चंडीगढ़ : कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने पैतृक गांव लौट गए हैं. इसी कारण पंजाब में धान की बोआई के सीजन में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में पंजाब के जिला बरनाला के किसान खुद बिहार और यूपी जाकर वहां से मजदूरों के लेकर आए हैं. इस दौरान किसानों ने उनका फूल-माला पहनाकर स्वागत किया. बरनाला के किसान दो बसों में कुल 60 मजदूरों को लेकर आए.
इस दौरान भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के जिला प्रधान जगसीर सिंह छीनीवाल ने बताया कि मजदूरों की कमी होने को लेकर वह प्रशासन और सरकारी अधिकारियों से मिले थे. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपे और धरने पर भी बैठ गए. इसके बाद उन्हें पंजाब सरकार की तरफ से प्रवासी मजदूर लाने की अनुमति मिली.
उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए बरनाला जिले से दो बसें भेजी गई थीं, जिनमें 60 मजदूरों को लाया गया. बिहार से प्रवासी मजदूरों को लाने वाली बस का खर्च एक लाख 20 हजार और यूपी से मजदूरों को लाने वाली बस का खर्च 65 हजार रुपए आया. यह खर्च किसानों ने मिलकर उठाया है.
उन्होंने बताया कि बिहार और यूपी से लाए गए मजदूरों का मेडिकल चैकअप कराया जा रहा है. इसके इलावा उन्हें मास्क और साबुन भी दिया गया है. उन्होंने बताया कि बरनाला के और भी किसानों को बाहर से मजदूर लाने की अनुमति मिल गई है, जिस के लिए बसें रवाना हो गई हैं.
इन मजदूरों को लाने वाले किसान ने बताया कि उन्हें काफी दिक्कतें आईं. बार्डर पर पुलिस की तरफ से परेशान किया जाता रहा. मजदूरों को लाने के लिए छह दिन और पांच रातों का समय लगा. 3,600 किलोमीटर का सफर तय कर इन मजदूरों को पंजाब लाया गया है. इसके अलावा मजदूरों को ढूंढने में भी काफी परेशानी आई.
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वहीं किसान नेताओं ने पंजाब सरकार पर सवाल उठाए हैं. किसान नेता निर्मल सिंह सहौर ने कहा कि पंजाब सरकार और राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. किसानों की समस्या का हल निकालना चाहिए था, जोकि भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल ने निकाला है. उन्होंने जिला प्रधान जगसीर सिंह छीनीवाल और भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल की लीडरशिप का धन्यवाद किया.