नई दिल्ली : आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में परिसर में 17 दिसंबर को मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता 'हम देखेंगे' गाए जाने के प्रकरण में जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है. यह जानकारी जैसे ही मिली, इस पर तीखी प्रतिक्रिया आने लगी है. मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने इस मजाक बता डाला.
उन्होंने कहा कि फैज को हिंदू विरोधी करार देना हास्यास्पद है और इस तरह की बात करना किसी मजाक से कम नहीं है. उन्होंने तो आधी जिंदगी पाकिस्तान के बाहर गुजारी है. उन्हें पाक विरोधी कहा जाता था. हम देखेंगे कविता उन्होंने जनरल जिया उल हक के सांप्रदायिक और कट्टरवादी सोच के खिलाफ लिखा था.
आईआईटी कानपुर के उपनिदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने प्रदर्शन को लेकर जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि आईआईटी के लगभग 300 छात्रों ने परिसर के भीतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था, क्योंकि उन्हें धारा 144 लागू होने के चलते बाहर जाने की इजाजत नहीं थी. प्रदर्शन के दौरान एक छात्र ने फ़ैज़ की कविता 'हम देखेंगे' गाई, जिसके खिलाफ कांत मिश्रा और 16 से 17 लोगों ने आईआईटी निदेशक के पास लिखित शिकायत दी.
उनका कहना था कि कविता में कुछ दिक्कत वाले शब्द हैं. जो हिंदुओं की भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.
क्या है यह कविता ....एक नजर
हम देखेंगे
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिस का वादा है
जो लौह-ए-अज़ल में लिख्खा है
जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ
रूई की तरह उड़ जाएँगे
हम महकूमों के पाँव-तले
जब धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हकम के सर-ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज़-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएँगे
हम अहल-ए-सफ़ा मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएँगे
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो ग़ाएब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नाज़िर भी
उट्ठेगा अनल-हक़ का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज करेगी ख़ल्क़-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि उनके नेतृत्व में छह सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है, जो प्रकरण की जांच करेगी. कुछ छात्रों से पूछताछ की गई है जबकि कुछ अन्य से तब पूछताछ की जाएगी, जब वे अवकाश के बाद वापस संस्थान आएंगे.
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की जंग में स्थिति खराब हो रही है, इसलिए उन्होंने लोगों से इसे बंद करने को कहा है और उन्होंने उनकी बात मान ली है.