नयी दिल्ली : विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भारत को जैव ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की सलाह का शनिवार को स्वागत किया और कहा कि अक्षय ऊर्जा को स्वीकार करना संभव है, लेकिन इसके लिए सरकार को समग्र एवं विस्तृत कार्ययोजना बनानी होगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि एंतोनियो गुतारेस की टिप्पणी सही समय पर आई है और वैश्विक जलवायु महत्वाकांक्षा को पूरा करने में भारत के लिए उचित समय है. साथ ही उन्होंने देश को वित्तीय और प्रौद्योगिकी समर्थन मुहैया कराने की जरूरत पर बल दिया.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने शुक्रवार को भारत से अपील की थी कि स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर महत्वाकांक्षी वैश्विक नेतृत्व की वह कमान संभाले और कहा कि देश जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में वास्तविक वैश्विक महाशक्ति बन सकता है, अगर वह जैव ईंधन से अक्षय ऊर्जा की तरफ मुड़ता है.
ग्रीनपीस इंडिया के अविनाश चंचल ने कहा, यह ज्ञात तथ्य है कि कोयला को जलाना वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है और इससे जलवायु संकट बढ़ता है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने सही कहा है कि ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले को जलाने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य और जलवायु पर असर हो रहा है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है.
इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेल बिइंग काउंसिल के सीईओ कमल नारायण उमर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को स्वच्छ वायु के साथ ही जैव ईंधन की वकालत करने वालों का पूरा समर्थन है, क्योंकि जैव ईंधन से भारत में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं.
उमर ने कहा कि जैव ईंधन को अपने जीवन से हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि इससे पैदा क्षति से हम परिचित हैं और यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है.
पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगाड ने गुतारेस के बयान का स्वागत किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि वह भारत जैसे विकासशील देश के वित्तीय और प्रौद्योगिकी समर्थन के तरीके को तलाशे.
चंचल ने कहा कि जैव ईंधन से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण भारत को अनुमानत: 10.7 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान उठाना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक भारत 2030 तक अक्षय ऊर्जा से 1050 गीगावाट क्षमता तक ऊर्जा पैदा कर सकता है.
इंडियन ऑटो एलपीजी कोलिशन के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने स्वच्छ ऊर्जा में भारत से निवेश करने के गुतारेस के आग्रह को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे तथा अर्थव्यवस्था को उबरने में मदद मिलेगी.
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