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लॉकडाउन-2 : दिशा निर्देश में कृषि क्षेत्र को दी गई राहत पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ - इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा के बाद किसानों के सामने आ रहीं परेशानियों को लेकर इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन एम.जे. खान ने कहा है कि सरकार को कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की आवाजाही के लिए विशेष ट्रेन, बस इत्यादि की व्यवस्था करनी चाहिए, तभी खेती किसानी का काम सामान्य रूप से चल सकेगा.

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Published : Apr 16, 2020, 3:23 PM IST

नई दिल्ली : देशभर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की. इसे लेकर इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन एम.जे. खान ने कहा है कि सरकार को कृषि क्षेत्र से आ रहे ताजा उत्पादों के लिए उत्पन्न व्यवस्थागत समस्याओं के लिए कुछ विशेष उपाय करने चाहिए.

इसके अलावा कई राज्यों में फसल काटने के लिए मजदूरों की जरूरत है जबकि मजदूर अपने-अपने जगहों पर फंसे हुए हैं और लाखों की संख्या में मजदूर कैंपों और शिविर में रुके हुए हैं. ऐसे में कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की आवाजाही के लिए विशेष ट्रेन, बस इत्यादि की व्यवस्था की जानी चाहिए, तभी खेती किसानी का काम सामान्य रूप से चल सकेगा.

एम.जे. खान ने मजदूरों की समस्या से निबटने के लिए सुझाव दिया कि आज औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े मजदूरों के पास भी कोई काम नहीं है और ऐसे में वे काम की तलाश कर रहे हैं. अगर सरकार मजदूरों की आवाजाही की व्यवस्था करती है या उसके लिए यातायात शुरू करने की अनुमति देती है, तो औद्योगिकी क्षेत्र के मजदूर भी कृषि क्षेत्र के लिए काम कर सकते हैं और ऐसे में बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकेगा.

लॉकडाउन की वजह से केवल किसान ही नहीं बल्कि कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योग और अन्य संस्थाओं पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है.

सभी निजी या गैर सरकारी संस्थाओं के कार्यालय बंद हैं और उसमें कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी भी घर बैठे हैं. ऐसे में इन कंपनियों और संस्थानों के सामने सभी स्टाफ को समय से तनख्वाह देने की समस्या भी सामने खड़ी है.आमदनी न होने की वजह से ऐसी बहुत सारी कंपनियां और संस्थान मुश्किल में हैं.

आईसीएफए की तरफ से एम जे खान ने कहा है कि ऐसे सभी कंपनियों को उनके कुल मासिक खर्च के औसत के हिसाब से तीन महीने का कॉलेटरल फ्री लोन दिया जाना चाहिए, जिसको चुकाने के लिए उन्हें कम से कम एक साल का समय दिया जाना चाहिए.

वहीं इस मामले में किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि ऐसे समय में सरकार को कृषि क्षेत्र किसानों के लिए अलग से एक विशेष पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, जिसमें कि पीएम किसान की राशि को छह हजार से बढ़ाकर 24 हजार प्रति वर्ष कर देना चाहिए और किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा दुगनी करने के साथ ब्याज दर को एक प्रतिशत कर देना चाहिए.

पढ़ें- किसानों के लिए अच्छी खबर : इस साल सामान्य रहेगा मानसून

उन्होंने कहा कि संकट के समय में किसानों के सभी कर और किस्तों की अदायगी एक साल के लिए निलंबित कर देनी चाहिए.

रबी फसल की कटाई के समय में देशभर में किसानों के सामने मजदूरों का संकट भी खड़ा हो गया है. ऐसे में मनरेगा योजना के मजदूरों को कृषि कार्यों में लगाने से किसानों को राहत मिल सकती है.

किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह ने यह भी मांग रखी है कि रबी की फसलों पर सभी किसानों को ढाई सौ से पांच सौ रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया जाना चाहिए.

साथ ही उन्होंने कृषि यंत्रों पर लगने वाली जीएसटी को समाप्त करने की मांग भी की.

गृह मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के समय में जारी किए गए दिशा-निर्देशों पर चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए जो रियायत सरकार ने घोषित किए हैं. उनका क्रियान्वयन भी जमीनी स्तर पर होना चाहिए. बहरहाल ऐसा होता हुआ नहीं प्रतीत होता और जगह-जगह किसानों के ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को रोककर उन्हें परेशान किया जाता है.

बता दें कि बुधवार को देशभर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित गाइडलाइन भी जारी कर दी है.

देशव्यापी लॉकडाउन के दूसरे हिस्से में कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन से लगभग पूरी तरह राहत देने का निर्णय लिया गया है.

नई दिल्ली : देशभर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की. इसे लेकर इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन एम.जे. खान ने कहा है कि सरकार को कृषि क्षेत्र से आ रहे ताजा उत्पादों के लिए उत्पन्न व्यवस्थागत समस्याओं के लिए कुछ विशेष उपाय करने चाहिए.

इसके अलावा कई राज्यों में फसल काटने के लिए मजदूरों की जरूरत है जबकि मजदूर अपने-अपने जगहों पर फंसे हुए हैं और लाखों की संख्या में मजदूर कैंपों और शिविर में रुके हुए हैं. ऐसे में कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की आवाजाही के लिए विशेष ट्रेन, बस इत्यादि की व्यवस्था की जानी चाहिए, तभी खेती किसानी का काम सामान्य रूप से चल सकेगा.

एम.जे. खान ने मजदूरों की समस्या से निबटने के लिए सुझाव दिया कि आज औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े मजदूरों के पास भी कोई काम नहीं है और ऐसे में वे काम की तलाश कर रहे हैं. अगर सरकार मजदूरों की आवाजाही की व्यवस्था करती है या उसके लिए यातायात शुरू करने की अनुमति देती है, तो औद्योगिकी क्षेत्र के मजदूर भी कृषि क्षेत्र के लिए काम कर सकते हैं और ऐसे में बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकेगा.

लॉकडाउन की वजह से केवल किसान ही नहीं बल्कि कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योग और अन्य संस्थाओं पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है.

सभी निजी या गैर सरकारी संस्थाओं के कार्यालय बंद हैं और उसमें कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी भी घर बैठे हैं. ऐसे में इन कंपनियों और संस्थानों के सामने सभी स्टाफ को समय से तनख्वाह देने की समस्या भी सामने खड़ी है.आमदनी न होने की वजह से ऐसी बहुत सारी कंपनियां और संस्थान मुश्किल में हैं.

आईसीएफए की तरफ से एम जे खान ने कहा है कि ऐसे सभी कंपनियों को उनके कुल मासिक खर्च के औसत के हिसाब से तीन महीने का कॉलेटरल फ्री लोन दिया जाना चाहिए, जिसको चुकाने के लिए उन्हें कम से कम एक साल का समय दिया जाना चाहिए.

वहीं इस मामले में किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि ऐसे समय में सरकार को कृषि क्षेत्र किसानों के लिए अलग से एक विशेष पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, जिसमें कि पीएम किसान की राशि को छह हजार से बढ़ाकर 24 हजार प्रति वर्ष कर देना चाहिए और किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा दुगनी करने के साथ ब्याज दर को एक प्रतिशत कर देना चाहिए.

पढ़ें- किसानों के लिए अच्छी खबर : इस साल सामान्य रहेगा मानसून

उन्होंने कहा कि संकट के समय में किसानों के सभी कर और किस्तों की अदायगी एक साल के लिए निलंबित कर देनी चाहिए.

रबी फसल की कटाई के समय में देशभर में किसानों के सामने मजदूरों का संकट भी खड़ा हो गया है. ऐसे में मनरेगा योजना के मजदूरों को कृषि कार्यों में लगाने से किसानों को राहत मिल सकती है.

किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह ने यह भी मांग रखी है कि रबी की फसलों पर सभी किसानों को ढाई सौ से पांच सौ रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया जाना चाहिए.

साथ ही उन्होंने कृषि यंत्रों पर लगने वाली जीएसटी को समाप्त करने की मांग भी की.

गृह मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के समय में जारी किए गए दिशा-निर्देशों पर चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए जो रियायत सरकार ने घोषित किए हैं. उनका क्रियान्वयन भी जमीनी स्तर पर होना चाहिए. बहरहाल ऐसा होता हुआ नहीं प्रतीत होता और जगह-जगह किसानों के ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को रोककर उन्हें परेशान किया जाता है.

बता दें कि बुधवार को देशभर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित गाइडलाइन भी जारी कर दी है.

देशव्यापी लॉकडाउन के दूसरे हिस्से में कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन से लगभग पूरी तरह राहत देने का निर्णय लिया गया है.

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