हैदराबाद : कोविड-19 महामारी के बाद से हम कई डॉक्टरों और नर्सों की ऐसी तस्वीरें देख रहे हैं, जिनमें उनके चहरों पर चोट जैसे निशान दिखाई पड़ रहे हैं. यह निशान डॉक्टरों को मरीजों का इलाज करने के दौरान पहने गए सुरक्षा उपकरणों से आए हैं, खासकर एन95 मास्क से डॉक्टरों की यह दशा हुई है.
त्वचा रोग विशेषज्ञ फेस मास्क को लंबे समय तक पहनने को लेकर लगातार चेतावनी दे रहे हैं. साथ ही इसका इलाज भी प्रदान कर रहे हैं. इससे संबंधित एक अध्ययन का निष्कर्ष जर्नल ऑफ वाउंड केयर (Journal of Wound Care) में प्रकाशित किया गया है.
दुनियाभर के तमाम स्वाथ्यकर्मी लगातार कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं. स्वाथ्यकर्मियों के साथ-साथ आमलोग भी संक्रमण से बचने के लिए फेस मास्क का उपयोग कर रहे हैं. इससे त्वचा को काफी नुकसान भी झेलना पड़ रहा है.
इस संबंध में प्रोफेसर करेन ओसे (Professor Karen Ousey) का कहना है कि मास्क पहनने से चेहरे पर पसीना आता है, जिससे घर्षण उत्पन्न होता है. इससे नाक और गाल को काफी क्षति पहुंचती है.
प्रोफेसर ओसे बताते हैं कि अगर मास्क पहनने के बाद अंदर त्वचा पर ड्रेसिंग की गई तो मास्क की फिटिंग खराब हो सकती है.
ओसे सुझाव देते हैं कि स्वाथ्यकर्मियों को हर दो घंटों में मरीजों से अलग जाकर मास्क को उतारकर अपनी त्वचा को साफ करना चाहिए. मास्क पहने दूकानदारों को भी अपने चेहरे को साफ और पसीना मुक्त रखना चाहिए.