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राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य ने ईटीवी भारत को बताया, कब शुरू होगा निर्माण कार्य

केंद्र सरकार ने हाल ही में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के लिए 15 सदस्यों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें बिहार से कामेश्वर चौपाल का नाम भी शामिल है. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

interview with Kameshwar Chaupal
कामेश्वर चौपाल
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Published : Feb 12, 2020, 9:45 AM IST

Updated : Mar 1, 2020, 1:42 AM IST

पटना: बिहार के कामेश्वर चौपाल का नाम एकबार फिर सुर्खियों में है. सन् 1989 ई. में जब अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद ने राममंदिर निर्माण की आधारशिला रखी तो पहली ईंट कामेश्वर चौपाल ने ही रखी थी. केंद्र सरकार ने हाल ही में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के लिए 15 सदस्यों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें इनका नाम भी शामिल है.

ईटीवी भारत बिहार के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने कामेश्वर चौपाल से खास बातचीत की. जहां उन्होंने कामेश्वर चौपाल से राम मंदिर निर्माण की योजनाओं और तैयारियों पर उनकी राय जानी. नीचे उनकी बातचीत के प्रमुख अंश पढ़ें:

बातचीत का भाग-1

सवाल: अयोध्या जन्म भूमि पर फैसला आना फिर राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का निर्माण होना, इन सभी कलापों को कामेश्वर चौपाल किस रूप में देखते हैं?

जवाब: एक लंबे अरसे में देश में ये विवाद था. मैं देश की जनता का धन्यवाद करता हूं जो उन्होंने सालों तक धैर्य रखा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जनता ने स्वीकार किया, राम मंदिर निर्माण की दिशा में काम होना जनता की जीत है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरा देश खुश है. सभी की अकांक्षा है कि अयोध्या में प्रभु राम का भव्य मंदिर बने. प्रभु राम सभी के दिलों की धड़कन है. व्यक्ति चाहे जिस भी विचारधारा का हो लेकिन, राम राज्य से प्रभावित जरूर है. गांधी भी भारत को राम राज्य बनाना चाहते थे, अब वह समय आ गया है.

सवाल: राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की घोषणा के बाद अयोध्या के साधु-संतों की ओर से विरोध के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं, इसपर क्या कहेंगे?

जवाब: ऐसी कोई बात नहीं है. जहां तक महंत नृत्य गोपाल दास जी को ट्रस्ट में जगह न दिए जाने की बात है तो वे इससे नाराज नहीं हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन राम के लिए जिया है तो अब जब मंदिर बन रहा है तो उन्हें भी बहुत खुशी है. हां, ऐसा जरूर हो सकता है कि कुछ संत चाहते हैं कि वे अपने जीते जी मंदिर देखें इसलिए जल्दबाजी कर रहे हैं. सभी साधु-संत राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट समिति के सदस्यों के साथ खड़े हैं.

सवाल: मंदिर आंदोलन में प्रवीण तोगड़िया का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, तो क्या उन्हें ट्रस्ट में शामिल किया जाना उचित नहीं था?

जवाब: देखिए, ट्रस्ट का निर्माण हमने नहीं किया. ट्रस्ट सरकार ने बनाया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाया. कोर्ट की जो मर्यादा थी उसके मद्देनजर सदस्य चुने गए. जहां तक बात है प्रवीण तोगड़िया कि तो उन्होंने जो योगदान दिया है उसे कभी भूला नहीं जा सकता. लेकिन, जिन लोगों ने अयोध्या राम मंदिर के लिए प्राणों की आहुति दी, उन्हें क्या मिला? अब सभी को एकजुट होकर आगे की ओर बढ़ना चाहिए.

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कामेश्वर चौपाल से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत

सवाल: बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने भूमि के मलबे की मांग की है, इसपर क्या राय है?

जवाब: अब जब ये सिद्ध हो गया है कि वहां मस्जिद थी ही नहीं बल्कि राम मंदिर था तो अब कोई तर्क ही नहीं बनता है कि उन्हें मलबा दिया जाए. वहां राम मंदिर था.

सवाल: आपको नहीं लगता कि मुस्लिम समाज ने एक ऐतिहासिक मौका खो दिया, अगर मुसलमानों ने स्वेच्छा से जमीन दी होती तो देश में अलग मिसाल बनती?

जवाब: मुसलमान समाज कहना गलत होगा. कुछ नेताओं के कारण पूरे समाज पर दोष नहीं दिया जा सकता. अयोध्या राम मंदिर को लेकर कुछ नेताओं ने विरोध किया. मुसलमान समाज ने तो कभी आपत्ति जताई ही नहीं. समाज चाहता था कि ये विवाद समाप्त हो. तभी तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जब पुनर्विचारयाचिका दायर की गई तो समाज ने नकार दिया.

सवाल: सालों से मंदिर के लिए काम हो रहा है तो ऐसे में मंदिर का स्वरूप क्या होगा?

बातचीत का भाग-2

जवाब: स्वरूप का विषय जब ट्रस्ट के सामने आएगा तो उसपर विचार किया जाएगा. आज से तकरीबन 30 साल पहले पूज्य संतों ने जिस भव्य राम मंदिर की कल्पना की थी, उसे सालों बीत गए हैं. लेकिन, ये भी सच है कि राम मंदिर से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं इसलिए संग्रहित मॉडल, पत्थरों को कतई नकारा नहीं जाएगा.

सवाल: राम मंदिर के पुराने ट्रस्ट में करोड़ों का कोष जमा है, उस राशि का क्या होगा. ये राशि नए ट्रस्ट को ट्रांसफर होगी?

जवाब: पुराना ट्रस्ट राशि देने के लिए तैयार है. नए ट्रस्ट के सदस्य भी उस राशि को लेना चाहते हैं. बस इंतजार है कि नए ट्रस्ट का कोई अकाउंट खुले, पदाधिकारियों का गठन हो तो काम शुरू किया जाएगा. नए ट्रस्ट की पहली बैठक 19 फरवरी को दिल्ली में होगी. जहां कुछ बातें होंगी क्योंकि अभी सभी सदस्य ठीक से एक-दूसरे से मिल भी नहीं पाए हैं. अभी तो पूरा ट्रस्ट भी नहीं बन पाया है, लोग जुटाने बाकी हैं.

सवाल:...तो क्या मंदिर निर्माण के समय राम लल्ला को स्थानांतरित किया जाएगा?

जवाब: निश्चित तौर पर स्थानांतरण करना ही होगा वरना गर्भगृह बनेगा कहां, अभी जो गर्भगृह है वहां तो प्रभु राम पहले से विराजमान हैं. उन्हें कुछ दिनों के लिए कहीं और रखेंगे तभी तो तय जगह पर भव्य मंदिर बन पाएगा. बाद में दोबारा विधिवत उनकी प्राण प्रतिष्ठा, भोग, पूजा की जाएगी.

सवाल: क्या आधारशिला भी दोबारा रखी जाएगी?

जवाब: देखिए, मूल रूप से विवाद तो गर्भगृह वाली जगह को लेकर ही था. वहां तो आधारशिला नहीं रखी गई थी. अब जब फैसला आया है तो निश्चित तौर पर गर्भगृह में शिलान्यास करना ही पड़ेगा.

पटना: बिहार के कामेश्वर चौपाल का नाम एकबार फिर सुर्खियों में है. सन् 1989 ई. में जब अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद ने राममंदिर निर्माण की आधारशिला रखी तो पहली ईंट कामेश्वर चौपाल ने ही रखी थी. केंद्र सरकार ने हाल ही में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के लिए 15 सदस्यों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें इनका नाम भी शामिल है.

ईटीवी भारत बिहार के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने कामेश्वर चौपाल से खास बातचीत की. जहां उन्होंने कामेश्वर चौपाल से राम मंदिर निर्माण की योजनाओं और तैयारियों पर उनकी राय जानी. नीचे उनकी बातचीत के प्रमुख अंश पढ़ें:

बातचीत का भाग-1

सवाल: अयोध्या जन्म भूमि पर फैसला आना फिर राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का निर्माण होना, इन सभी कलापों को कामेश्वर चौपाल किस रूप में देखते हैं?

जवाब: एक लंबे अरसे में देश में ये विवाद था. मैं देश की जनता का धन्यवाद करता हूं जो उन्होंने सालों तक धैर्य रखा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जनता ने स्वीकार किया, राम मंदिर निर्माण की दिशा में काम होना जनता की जीत है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरा देश खुश है. सभी की अकांक्षा है कि अयोध्या में प्रभु राम का भव्य मंदिर बने. प्रभु राम सभी के दिलों की धड़कन है. व्यक्ति चाहे जिस भी विचारधारा का हो लेकिन, राम राज्य से प्रभावित जरूर है. गांधी भी भारत को राम राज्य बनाना चाहते थे, अब वह समय आ गया है.

सवाल: राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की घोषणा के बाद अयोध्या के साधु-संतों की ओर से विरोध के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं, इसपर क्या कहेंगे?

जवाब: ऐसी कोई बात नहीं है. जहां तक महंत नृत्य गोपाल दास जी को ट्रस्ट में जगह न दिए जाने की बात है तो वे इससे नाराज नहीं हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन राम के लिए जिया है तो अब जब मंदिर बन रहा है तो उन्हें भी बहुत खुशी है. हां, ऐसा जरूर हो सकता है कि कुछ संत चाहते हैं कि वे अपने जीते जी मंदिर देखें इसलिए जल्दबाजी कर रहे हैं. सभी साधु-संत राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट समिति के सदस्यों के साथ खड़े हैं.

सवाल: मंदिर आंदोलन में प्रवीण तोगड़िया का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, तो क्या उन्हें ट्रस्ट में शामिल किया जाना उचित नहीं था?

जवाब: देखिए, ट्रस्ट का निर्माण हमने नहीं किया. ट्रस्ट सरकार ने बनाया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाया. कोर्ट की जो मर्यादा थी उसके मद्देनजर सदस्य चुने गए. जहां तक बात है प्रवीण तोगड़िया कि तो उन्होंने जो योगदान दिया है उसे कभी भूला नहीं जा सकता. लेकिन, जिन लोगों ने अयोध्या राम मंदिर के लिए प्राणों की आहुति दी, उन्हें क्या मिला? अब सभी को एकजुट होकर आगे की ओर बढ़ना चाहिए.

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कामेश्वर चौपाल से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत

सवाल: बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने भूमि के मलबे की मांग की है, इसपर क्या राय है?

जवाब: अब जब ये सिद्ध हो गया है कि वहां मस्जिद थी ही नहीं बल्कि राम मंदिर था तो अब कोई तर्क ही नहीं बनता है कि उन्हें मलबा दिया जाए. वहां राम मंदिर था.

सवाल: आपको नहीं लगता कि मुस्लिम समाज ने एक ऐतिहासिक मौका खो दिया, अगर मुसलमानों ने स्वेच्छा से जमीन दी होती तो देश में अलग मिसाल बनती?

जवाब: मुसलमान समाज कहना गलत होगा. कुछ नेताओं के कारण पूरे समाज पर दोष नहीं दिया जा सकता. अयोध्या राम मंदिर को लेकर कुछ नेताओं ने विरोध किया. मुसलमान समाज ने तो कभी आपत्ति जताई ही नहीं. समाज चाहता था कि ये विवाद समाप्त हो. तभी तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जब पुनर्विचारयाचिका दायर की गई तो समाज ने नकार दिया.

सवाल: सालों से मंदिर के लिए काम हो रहा है तो ऐसे में मंदिर का स्वरूप क्या होगा?

बातचीत का भाग-2

जवाब: स्वरूप का विषय जब ट्रस्ट के सामने आएगा तो उसपर विचार किया जाएगा. आज से तकरीबन 30 साल पहले पूज्य संतों ने जिस भव्य राम मंदिर की कल्पना की थी, उसे सालों बीत गए हैं. लेकिन, ये भी सच है कि राम मंदिर से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं इसलिए संग्रहित मॉडल, पत्थरों को कतई नकारा नहीं जाएगा.

सवाल: राम मंदिर के पुराने ट्रस्ट में करोड़ों का कोष जमा है, उस राशि का क्या होगा. ये राशि नए ट्रस्ट को ट्रांसफर होगी?

जवाब: पुराना ट्रस्ट राशि देने के लिए तैयार है. नए ट्रस्ट के सदस्य भी उस राशि को लेना चाहते हैं. बस इंतजार है कि नए ट्रस्ट का कोई अकाउंट खुले, पदाधिकारियों का गठन हो तो काम शुरू किया जाएगा. नए ट्रस्ट की पहली बैठक 19 फरवरी को दिल्ली में होगी. जहां कुछ बातें होंगी क्योंकि अभी सभी सदस्य ठीक से एक-दूसरे से मिल भी नहीं पाए हैं. अभी तो पूरा ट्रस्ट भी नहीं बन पाया है, लोग जुटाने बाकी हैं.

सवाल:...तो क्या मंदिर निर्माण के समय राम लल्ला को स्थानांतरित किया जाएगा?

जवाब: निश्चित तौर पर स्थानांतरण करना ही होगा वरना गर्भगृह बनेगा कहां, अभी जो गर्भगृह है वहां तो प्रभु राम पहले से विराजमान हैं. उन्हें कुछ दिनों के लिए कहीं और रखेंगे तभी तो तय जगह पर भव्य मंदिर बन पाएगा. बाद में दोबारा विधिवत उनकी प्राण प्रतिष्ठा, भोग, पूजा की जाएगी.

सवाल: क्या आधारशिला भी दोबारा रखी जाएगी?

जवाब: देखिए, मूल रूप से विवाद तो गर्भगृह वाली जगह को लेकर ही था. वहां तो आधारशिला नहीं रखी गई थी. अब जब फैसला आया है तो निश्चित तौर पर गर्भगृह में शिलान्यास करना ही पड़ेगा.

Last Updated : Mar 1, 2020, 1:42 AM IST
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