बेंगलुरु : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में जिस तरह के अंतरिक्ष सुधार की शुरुआत की थी. उसी के अनुसार अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में निजी भागीदारी को शामिल करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जोरदार मिशन के साथ नए दशक में प्रवेश किया है. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने यह जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि भारत के तकनीकी थिंक-टैंक ने इस दशक के लिए क्या-क्या तय किए हैं.
इसरो अध्यक्ष ने 2021 की योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता आगामी परियोजनाओं की नब्ज तय करेगा. मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा बताई गई योजनाओं को लागू करने को प्राथमिकता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह भारत की क्षमता को उजागर करने में भी सक्षम होगा. गगनयान और चंद्रयान-3 सहित आने वाली परियोजनाओं पर फोकस किया जाएगा.
सिवन ने कहा कि हम क्वांटम संचार उपग्रह और हाइपरसोनिक प्रक्षेपण के बारे में भी सोच रहे हैं. इतना ही नहीं आदित्य-एल 1 के तुरंत बाद अंतरिक्ष की खोज, शुक्र पर अंतरिक्ष यान भेजने की परियोजना है. यह परियोजना मिशन चंद्रमा के साथ-साथ जारी रहेगी.
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अंतरिक्ष मिशन में शामिल निजी क्षेत्र
उन्होंने कहा, 'मैं वास्तव में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार की खबर से हैरान था. मैंने कभी इसकी उम्मीद नहीं की थी.' इसरो को मिले प्रस्तावों के बारे में उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कई एमएसएमई, स्टार्टअप, अकादमिक उपक्रमों ने उन्हें चौंका दिया है.
उन्होंने कहा कि यह सुधार देश की अव्यक्त क्षमता का पता लगाएगा. मैं देश में कई इसरो की उम्मीद कर रहा हूं. कई निजी उद्यम जैसे अमेजन वेब सेवा, भारती एयरटेल वेब ने अंतरिक्ष परियोजना में रुचि दिखाई है. अमेजन ने सही लैंडिंग मांगी है और वे ग्राउंड स्टेशन स्थापित करना चाहते हैं. साथ ही उपयोगकर्ता टर्मिनल और संचार सेवाओं में शामिल हो सकते हैं.
इसरो चीफ ने कहा कि युवाओं के दिमाग तेज हो गए हैं और अभिनव विचारों के साथ वे आ रहे हैं. देश की युवा पीढ़ी में भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाने की क्षमता है. मेरी उम्मीद में भारत जो तकनीकी नवाचार प्रदान करेगा, पूरी दुनिया उसकी वाह-वाह करेगी.