नई दिल्ली : आधिकारिक सूत्रों ने यूरोपीय संघ (ईयू) संसद में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर मतदान से पहले रविवार को कहा कि ईयू संसद को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जो लोकतांत्रिक रूप से चुने गए सांसदों के अधिकारों एवं प्रभुत्व पर सवाल खड़े करे.
उन्होंने कहा कि सीएए भारत का पूर्णतया अंदरूनी मामला है और कानून संसद के दोनों सदनों में बहस के बाद लोकतांत्रिक माध्यम से पारित किया गया था.
एक सूत्र ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि प्रस्ताव पेश करने वाले एवं उसके समर्थक आगे बढ़ने से पहले तथ्यों के पूर्ण एवं सटीक आकलन के लिए हमसे वार्ता करेंगे.'
उल्लेखनीय है कि ईयू संसद सीएए के खिलाफ कुछ सदस्यों द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर बहस और मतदान करेगी.
यूरोपीय संसद में भारत सरकार के बयान पर तीखे सवाल उठाए जा रहे हैं. अहम बात है कि ये सब 22 सदस्यों वाले ईयू प्रतिनिधिमंडल के तीन महीने पहले किए गए कश्मीर दौरे के बावजूद हो रहा है.
कश्मीर और सीएए के साथ छेड़छाड़ करने को लेकर यूरोपीय संसद के कुल 751 सदस्यों में से 626 सदस्यों ने अपने अलग-अलग और तीखे मत संसद में दायर किए हैं.
छह प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसदों ने मसौदा (संख्या नंबर : B9-0077/2020 से B9-0082/2020) प्रस्तावित किया है, जिस पर इस हफ्ते यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र के दौरान ब्रसेल्स में चर्चा होनी है.
29 जनवरी को स्थानीय समयानुसार शाम छह बजे इस पर चर्चा की जाएगी और इसके बाद अगले दिन यानी 30 जनवरी को इस मसौदे पर सदस्यों द्वारा मतदान किया जाएगा.
संसद में इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया था जिस पर बुधवार को बहस होगी और इसके एक दिन बाद मतदान होगा.
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प्रस्ताव में कहा गया है, 'सीएए भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा. इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट विश्व में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है.'
सीएए भारत में पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था जिसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
भारत सरकार का कहना है कि नया कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है बल्कि इसे पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है.
- स्मिता शर्मा