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ETV Bharat का प्रयास: कुल्लू मनाली से वापस घर लौटी एक मानसिक रूप से बीमार महिला

ETV BHARAT की मदद से कुल्लु मनाली में फंसी शिवमोग्गा जिले के शिकारीपुरा तालुका के गामा गांव की एक मानसिक रूप से अक्षम महिला को वापस अपने घर कर्नाटक पहुंचाया गया.

मानसिक रूप से अक्षम वापस लौटीं घर
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Published : Oct 11, 2019, 1:28 PM IST

दावणगेरे: शिवमोग्गा जिले के शिकारीपुरा तालुका के गामा गाँव की निवासी सुशीलम्मा, जो पिछले चार वर्षों से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली के कलात में रह रही थीं, आखिरकार अपने घर लौट आई हैं. Etv Bharat ने सुशीलम्मा पर पहली रिपोर्ट प्रकाशित की, जो भाषा की समस्याओं से पीड़ित और वह मानसिक रूप से अक्षम थी, कुल्लू मनाली सेंटर फॉर मेंटल कम्फर्ट में उनको रखा गया था.

पहले बार में यह पहचान लिया गया था कि सुशीलम्मा कर्नाटक की रहने वाली हैं. रिपोर्ट के बाद, दावणगेरे जिले के कमिशनर शिवमूर्ति ने मामले को गंभीरता से लिया और आखिरकार सुशीलाम्मा को वापस लाने में सफल रहे.

कुल्लू मनाली से वापस घर लौटी एक मानसिक रूप से बीमार महिला

अलग-अलग वातावरण, अनजानी भाषा, भोजन और संस्कृति ने सुशीलम्मा की स्थिति को और जटिल बना दिया था. इस समय तक हिमाचल की एक सामाजिक कार्यकर्ता सुनीला शर्मा ने Etv Bharat Hyderabad से संपर्क किया, फिर वह दावणगेरे के जिला आयुक्त शिवमूर्ति के पास पहुँची.

कहानियों की श्रृंखला के प्रकाशन के बाद दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक सशक्तिकरण के जिला कार्यालय की , कर्नाटक सरकार ने अपने एक कर्मचारी को मनाली भेजकर सुशीलाम्मा से मिलने और उनके बारे में कुछ और विवरण एकत्र करने के लिए कहा.

अब सुशीलाम्मा को अस्थायी रूप से दावणगेरे में महिलाओं के लिए घर में भर्ती कराया गया.

महिला की कहानी:

शादी के 11 साल बाद सुशीलम्मा को उनके पति ने छोड़ दिया. उसका एक महिला के साथ संबंध भी था. इससे सुशीलम्मा की मानसिक बीमारी कुछ और गंभीर हो गई. पति के छोड़ने के बाद उदास होकर वह अनजाने में हिमाचल प्रदेश पहुँच गईं और वहां उन्हें आदर्श मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में आश्रय मिला.

पढ़ें-डॉ. हर्षवर्धन की अपील - स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ाएं राज्य सरकारें

कठिन उपचार:

मानसिक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के अनुसार, हर मरीज को जब जरूरत हो काउंसलिंग के तहत जाना चाहिए और परामर्श मरीजों की मातृभाषा में ही होना चाहिए. करनाटक से होने के कारण सुशीलाम्मा भाषा के न समझ पाने की वजह से काउंसलिंग के लिए नहीं जा सकती थीं. इसी दिशा-निर्देश में यह भी कहा गया है कि मानसिक रूप से अक्षम मरीजों का इलाज उनके गृह शहर में होना चाहिए.

शिमला कई वर्षों से मानसिक रूप से अक्षम रोगियों के लिए आश्रय रहा है. यहां गैर सरकारी संगठन रोगियों के लिए आश्रय प्रदान कराते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों के मरीजों को यहां आश्रय मिलाता है.

मानसिक रूप से बीमार मरीजों की काउंसलिंग उनकी मातृभाषा में होनी चाहिए ताकि जिसके लिए उनका अपने राज्य में वापस लाया जाना बहुत जरिरी है. जानकारी के अनुसार आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और कई और राज्यों के बिमार लोगों वहां शरण मिली है.

कुछ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेन शिमला तक पहुँचने का सबसे आसान तरीका है. कुछ माता-पिता जो रोगियों से बहुत पीड़ित थे उन्हें ट्रेन के माध्यम से भेजते हैं.

दावणगेरे: शिवमोग्गा जिले के शिकारीपुरा तालुका के गामा गाँव की निवासी सुशीलम्मा, जो पिछले चार वर्षों से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली के कलात में रह रही थीं, आखिरकार अपने घर लौट आई हैं. Etv Bharat ने सुशीलम्मा पर पहली रिपोर्ट प्रकाशित की, जो भाषा की समस्याओं से पीड़ित और वह मानसिक रूप से अक्षम थी, कुल्लू मनाली सेंटर फॉर मेंटल कम्फर्ट में उनको रखा गया था.

पहले बार में यह पहचान लिया गया था कि सुशीलम्मा कर्नाटक की रहने वाली हैं. रिपोर्ट के बाद, दावणगेरे जिले के कमिशनर शिवमूर्ति ने मामले को गंभीरता से लिया और आखिरकार सुशीलाम्मा को वापस लाने में सफल रहे.

कुल्लू मनाली से वापस घर लौटी एक मानसिक रूप से बीमार महिला

अलग-अलग वातावरण, अनजानी भाषा, भोजन और संस्कृति ने सुशीलम्मा की स्थिति को और जटिल बना दिया था. इस समय तक हिमाचल की एक सामाजिक कार्यकर्ता सुनीला शर्मा ने Etv Bharat Hyderabad से संपर्क किया, फिर वह दावणगेरे के जिला आयुक्त शिवमूर्ति के पास पहुँची.

कहानियों की श्रृंखला के प्रकाशन के बाद दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक सशक्तिकरण के जिला कार्यालय की , कर्नाटक सरकार ने अपने एक कर्मचारी को मनाली भेजकर सुशीलाम्मा से मिलने और उनके बारे में कुछ और विवरण एकत्र करने के लिए कहा.

अब सुशीलाम्मा को अस्थायी रूप से दावणगेरे में महिलाओं के लिए घर में भर्ती कराया गया.

महिला की कहानी:

शादी के 11 साल बाद सुशीलम्मा को उनके पति ने छोड़ दिया. उसका एक महिला के साथ संबंध भी था. इससे सुशीलम्मा की मानसिक बीमारी कुछ और गंभीर हो गई. पति के छोड़ने के बाद उदास होकर वह अनजाने में हिमाचल प्रदेश पहुँच गईं और वहां उन्हें आदर्श मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में आश्रय मिला.

पढ़ें-डॉ. हर्षवर्धन की अपील - स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ाएं राज्य सरकारें

कठिन उपचार:

मानसिक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के अनुसार, हर मरीज को जब जरूरत हो काउंसलिंग के तहत जाना चाहिए और परामर्श मरीजों की मातृभाषा में ही होना चाहिए. करनाटक से होने के कारण सुशीलाम्मा भाषा के न समझ पाने की वजह से काउंसलिंग के लिए नहीं जा सकती थीं. इसी दिशा-निर्देश में यह भी कहा गया है कि मानसिक रूप से अक्षम मरीजों का इलाज उनके गृह शहर में होना चाहिए.

शिमला कई वर्षों से मानसिक रूप से अक्षम रोगियों के लिए आश्रय रहा है. यहां गैर सरकारी संगठन रोगियों के लिए आश्रय प्रदान कराते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों के मरीजों को यहां आश्रय मिलाता है.

मानसिक रूप से बीमार मरीजों की काउंसलिंग उनकी मातृभाषा में होनी चाहिए ताकि जिसके लिए उनका अपने राज्य में वापस लाया जाना बहुत जरिरी है. जानकारी के अनुसार आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और कई और राज्यों के बिमार लोगों वहां शरण मिली है.

कुछ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेन शिमला तक पहुँचने का सबसे आसान तरीका है. कुछ माता-पिता जो रोगियों से बहुत पीड़ित थे उन्हें ट्रेन के माध्यम से भेजते हैं.

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Davanagere: Sushilamma, a resident of gama village of Shikaripura taluka of Shivamogga district, who has been living in Kalat in Kullu Manali taluk of Himachal Pradesh for the last four years, has finally returned home.



Etv Bharat has published the first report on Sushilamma, who is suffering from language problems and she was mentally disable , stuck in Kullu Manali Center for Mental Comfort. 

On first note she was noticed as Susheelamma belongs to Karnataka. After the report, the Davangere district conditioner Shivamurthy took the case seriously and was finally successful in bringing Susheelamma. 



different atmosphere, unknowing language, food and culture was made susheelamma situation some more critical. By this time Suneela Sharma A social activist of Himachal pradesh contacted Etv Bharat Hyderabad staff then it reached Davanagere district commissioner  Shivamurthy. After publishing series of stories district office of empowerment of differently able and seniors citizen, Government of Karnataka sent its one of the staff to Manali to meet her and collect some more details about Susheelamma. 



Now Susheelamma temporarily admitted to state home for women in Davanagere.



Story of the lady: Susheelamma left by her husband after 11 years of marriage. He also had a relationship with a lady. which is the reason for couple depart. This made Susheelamma's mental illness some more critical. depressed by his husband act she reached Himachal pradesh unknowingly. Then she found a shelter in Adarsha Mental health center. 



difficult treatment: As per the Mental health guidelines every patients should be go under counselling when they needed. the counselling should be in patients mother tongue. Being in different place Susheelamma couldn't go under counselling because of language issue. The same guidelines says Mentally disabled patients should be treat in their home town. 



Shimla is the destination: Shimla is the destination for mentally disabled patients since the many years. Numbers of NGOs providing shelter for patients. Patients from different part of the country got shelter here. thou Mentally ill patients counselling should be in their mother tongue its important to bring them back. As per the information Patients form Andhrapradesh, Telangana, West Bengal and many more states got shelter over there. 



Some Mental health experts says Train is easiest way to reach Shimla thats why the using the facility. Some parents who suffered lot from patients send them through train. 

 



Byte: Susheelamma, Mentally ill patietn



Shashidar, Project officer, Department of diffrently abled and senior cityzen. 




Conclusion:
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