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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोविड-19 पर पारदर्शिता के लिए जोर देगा एस्टोनिया : दूत - estonian envoy on covid 19

यूरोपीय देश एस्टोनिया के बाल्टिक राष्ट्र मई में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पद का नेतृत्व करेंगे. एस्टोनिया का कहना है कि दो साल (2020-2021) के लिए गैर स्थाई निर्वाचित सदस्य के रूप में वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोविड-19 पर 'खुलेपन' और 'सूचना पारदर्शिता' के लिए जोर डालेगा. इस संबंध में ईटीवी भारत के लिए वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा ने राजदूत कैटरिन किवी (Katrin Kivi) से खास बातचीत की.

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Published : Apr 29, 2020, 10:55 PM IST

नई दिल्ली : यूरोपीय देश एस्टोनिया के बाल्टिक राष्ट्र मई में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पद का नेतृत्व करेंगे. एस्टोनिया का कहना है कि दो साल (2020-2021) के लिए गैर स्थाई निर्वाचित सदस्य के रूप में वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोविड-19 पर 'खुलेपन' और 'सूचना पारदर्शिता' के लिए जोर डालेगा.

इस संबंध में ईटीवी भारत के लिए वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा ने राजदूत कैटरिन किवी (Katrin Kivi) से खास बातचीत की.

इस विशेष साक्षात्कार में राजदूत कैटरिन किवी (Katrin Kivi) ने कहा कि मार्च में आयोजित डोमिनिकन गणराज्य के अध्यक्ष पद के तहत सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिए एस्टोनिया बहुत कड़ी मेहनत कर रहा था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, बैठक अनिर्णायक रही लेकिन अमेरिका ने चीन पर सार्वजनिक डेटा की पारदर्शिता को लेकर प्रहार किया. वहीं बीजिंग ने कहा कि हमें वैश्विक सहयोग के माध्यम से इस महामारी से लड़ना होगा न कि किसी को बलि का बकरा बनाकर.

दूत ने कहा कि मई में भी हम कोरोना संकट पर चर्चा करेंगे. हम देशों से जानकारी साझा करने के लिए कहेंगे क्योंकि मौजूदा स्तर पर हमारे पास पूरी जानकारी नहीं है.

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. हमें इस मामले पर काम करना जारी रखना होगा और साइबर सुरक्षा पर बहुत ध्यान देना होगा.

दूत ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि महामारी के इस दौर में साइबर हमलों के मामले काफी बढ़ गए हैं.

बता दें, 22 मई को एस्टोनियाई प्रधानमंत्री संघर्ष रोकथाम और साइबर सुरक्षा पर एक अनौपचारिक सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य भाग ले सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके एस्टोनियाई समकक्ष के बीच बातचीत हुई थी. बातचीत के दौरान दोनों के बीच डिजिटल टूल के उपयोग और सहयोग पर चर्चा हुई. इसकी जानकारी जयशंकर ने ट्विटर पर दी है.

डोनाल्ड ट्रंप का बीजिंग की ओर झुकाव के आरोपों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) को फंड न देने के फैसले पर एस्टोनिया दूत ने कहा कि दुनिया के देशों को फिलहाल सहयोग करने की जरूरत है और यह वक्त एक दूसरे पर आरोप लगाने का नहीं है. अमेरिका की घोषणा के बाद से एस्टोनिया ने डब्ल्यूएचओ को फंडिंग की अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है.

राजदूत कैटरिन किवी (Katrin Kivi) ने कहा कि हम सभी संघर्ष क्षेत्रों में वैश्विक युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील का भी समर्थन करेंगे. इसका बहुत बड़ा मानवीय प्रभाव है.

उन्होंने कहा कि हमें मानव जीवन की रक्षा करनी होगी और विश्व स्तर पर सभी समस्याग्रस्त क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बनानी होगी.

उन्होंने कहा कि एस्टोनिया कई प्रौद्योगिकी संचालित स्टार्टअप का गढ़ रहा है और कोरोना वायरस प्रकोप के पहले से ही डिजिटल समाधान प्रदान करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम कर रहा है.

दोनों देशों ने ई-गवर्नेंस पर तेलंगाना और नागालैंड में क्षेत्रीय सरकारों के साथ मिलकर काम करने वाले एस्टोनिया के साथ डिजिटलाइजेशन और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में तीन समझौतों पर हामी भरी है.

गौरतलब है कि लगभग 1.3 मिलियन लोगों के देश एस्टोनिया में अब तक कोविड-19 के करीब एक हजार से अधिक मामले सामने आए हैं. इनमें से कुछेक 50 लोगों की इस महामारी के कारण मौत हुई है.

हालांकि, यह संपर्क ट्रेसिंग के लिए किसी भी मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग नहीं कर रहा है. इस बारे में दूत ने कहा कि हम डेटा सुरक्षा और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा के कारण संपर्क अनुरेखण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग नहीं कर रहे हैं. हमें प्रौद्योगिकी और निगरानी के बीच संतुलन बनना बहुत ही पेचीदा विषय लगता है.

किवी ने कहा कि एस्टोनिया में हम कानून और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण को बहुत सम्मान देते हैं. एक विशेष स्थिति में ट्रैकिंग के लिए भी अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन अभी तक हमने इसका इस्तेमाल नहीं किया है.

भारत सरकार द्वारा आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल पर एस्टोनियाई दूत ने कहा कि इसके लिए कानूनी सुरक्षा ढांचे की आवश्यकता पड़ेगी.

दूत ने कहा कि एस्टोनिया में हमारे पास एक ठोस कानूनी ढांचा है और सरकार डिजिटलाइजेशन शुरू करने के बाद से यह कानून पारित कर रही है. यह नई तकनीक का आविष्कार करने के लिए पर्याप्त नहीं है और सरकारों के लिए एक ही समय में कानूनी तौर पर डेटा सुरक्षा हासिल किए बिना लोगों को इनका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना थोड़ा मुश्किल है.

नई दिल्ली : यूरोपीय देश एस्टोनिया के बाल्टिक राष्ट्र मई में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पद का नेतृत्व करेंगे. एस्टोनिया का कहना है कि दो साल (2020-2021) के लिए गैर स्थाई निर्वाचित सदस्य के रूप में वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोविड-19 पर 'खुलेपन' और 'सूचना पारदर्शिता' के लिए जोर डालेगा.

इस संबंध में ईटीवी भारत के लिए वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा ने राजदूत कैटरिन किवी (Katrin Kivi) से खास बातचीत की.

इस विशेष साक्षात्कार में राजदूत कैटरिन किवी (Katrin Kivi) ने कहा कि मार्च में आयोजित डोमिनिकन गणराज्य के अध्यक्ष पद के तहत सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिए एस्टोनिया बहुत कड़ी मेहनत कर रहा था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, बैठक अनिर्णायक रही लेकिन अमेरिका ने चीन पर सार्वजनिक डेटा की पारदर्शिता को लेकर प्रहार किया. वहीं बीजिंग ने कहा कि हमें वैश्विक सहयोग के माध्यम से इस महामारी से लड़ना होगा न कि किसी को बलि का बकरा बनाकर.

दूत ने कहा कि मई में भी हम कोरोना संकट पर चर्चा करेंगे. हम देशों से जानकारी साझा करने के लिए कहेंगे क्योंकि मौजूदा स्तर पर हमारे पास पूरी जानकारी नहीं है.

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. हमें इस मामले पर काम करना जारी रखना होगा और साइबर सुरक्षा पर बहुत ध्यान देना होगा.

दूत ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि महामारी के इस दौर में साइबर हमलों के मामले काफी बढ़ गए हैं.

बता दें, 22 मई को एस्टोनियाई प्रधानमंत्री संघर्ष रोकथाम और साइबर सुरक्षा पर एक अनौपचारिक सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य भाग ले सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके एस्टोनियाई समकक्ष के बीच बातचीत हुई थी. बातचीत के दौरान दोनों के बीच डिजिटल टूल के उपयोग और सहयोग पर चर्चा हुई. इसकी जानकारी जयशंकर ने ट्विटर पर दी है.

डोनाल्ड ट्रंप का बीजिंग की ओर झुकाव के आरोपों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) को फंड न देने के फैसले पर एस्टोनिया दूत ने कहा कि दुनिया के देशों को फिलहाल सहयोग करने की जरूरत है और यह वक्त एक दूसरे पर आरोप लगाने का नहीं है. अमेरिका की घोषणा के बाद से एस्टोनिया ने डब्ल्यूएचओ को फंडिंग की अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है.

राजदूत कैटरिन किवी (Katrin Kivi) ने कहा कि हम सभी संघर्ष क्षेत्रों में वैश्विक युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील का भी समर्थन करेंगे. इसका बहुत बड़ा मानवीय प्रभाव है.

उन्होंने कहा कि हमें मानव जीवन की रक्षा करनी होगी और विश्व स्तर पर सभी समस्याग्रस्त क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बनानी होगी.

उन्होंने कहा कि एस्टोनिया कई प्रौद्योगिकी संचालित स्टार्टअप का गढ़ रहा है और कोरोना वायरस प्रकोप के पहले से ही डिजिटल समाधान प्रदान करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम कर रहा है.

दोनों देशों ने ई-गवर्नेंस पर तेलंगाना और नागालैंड में क्षेत्रीय सरकारों के साथ मिलकर काम करने वाले एस्टोनिया के साथ डिजिटलाइजेशन और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में तीन समझौतों पर हामी भरी है.

गौरतलब है कि लगभग 1.3 मिलियन लोगों के देश एस्टोनिया में अब तक कोविड-19 के करीब एक हजार से अधिक मामले सामने आए हैं. इनमें से कुछेक 50 लोगों की इस महामारी के कारण मौत हुई है.

हालांकि, यह संपर्क ट्रेसिंग के लिए किसी भी मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग नहीं कर रहा है. इस बारे में दूत ने कहा कि हम डेटा सुरक्षा और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा के कारण संपर्क अनुरेखण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग नहीं कर रहे हैं. हमें प्रौद्योगिकी और निगरानी के बीच संतुलन बनना बहुत ही पेचीदा विषय लगता है.

किवी ने कहा कि एस्टोनिया में हम कानून और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण को बहुत सम्मान देते हैं. एक विशेष स्थिति में ट्रैकिंग के लिए भी अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन अभी तक हमने इसका इस्तेमाल नहीं किया है.

भारत सरकार द्वारा आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल पर एस्टोनियाई दूत ने कहा कि इसके लिए कानूनी सुरक्षा ढांचे की आवश्यकता पड़ेगी.

दूत ने कहा कि एस्टोनिया में हमारे पास एक ठोस कानूनी ढांचा है और सरकार डिजिटलाइजेशन शुरू करने के बाद से यह कानून पारित कर रही है. यह नई तकनीक का आविष्कार करने के लिए पर्याप्त नहीं है और सरकारों के लिए एक ही समय में कानूनी तौर पर डेटा सुरक्षा हासिल किए बिना लोगों को इनका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना थोड़ा मुश्किल है.

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