चंडीगढ़ : आभूषण भारतीय नारी की सुंदरता बढ़ा देते हैं. यही वजह है कि हमेशा से आभूषण महिलाओं को भाते हैं. इसके अलावा शादियां भी आभूषणों के बिना अधूरी ही मानी जाती है. गरीब से गरीब शख्स भी अपनी हैसियत के हिसाब से शादी में आभूषण खरीदता है. अगर आभूषण सोने-चांदी के हो तो उनका प्रभाव अलग से ही दिखाई देता है, लेकिन लॉकडाउन ने आभूषणों की चमक को फीका कर दिया है. हालांकि लॉकडाउन में ढील मिलने से ज्वैलरी की दुकानें तो खुल रही हैं, लेकिन अब भी दुकानों से ग्राहक गायब हैं.
चंडीगढ़ में ज्वैलरी की दुकानों पर लॉकडाउन का कितना प्रभाव पड़ा है. ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सिल्वर का काम करने वाले ज्वैलर ने कहा कि उन्हें अभी हालात ठीक होने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि इस वक्त बहुत कम सेल हो रही है. वहीं दूसरे ज्वैलर ने कहा कि जब से लॉकडाउन लगा है तब से 20 प्रतिशत खरीद भी नहीं हो पा रही है.
इसके साथ ही ज्वेलर्स ने कहा कि जिन लोगों ने शादी के चलते पहले से ही बुकिंग दे रखी थी. उन लोगों को गहने उपलब्ध कराने में भी सुनारों को लगभग 10 ग्राम पर 8 से 10 हजार का नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि लॉकडाउन से पहले की कीमतों में और अब की कीमतों में काफी अंतर आ गया है. ऐसे में ग्राहक पहले के कम रेट पर ही आभूषण खरीद रहे हैं. जिससे सुनार की जेब पर बोझ बढ़ रहा है.
अपनी सोने की बालियां बेचने पहुंची महिला ने बताया कि वो इस वक्त कुछ भी खरीदना नहीं चाहती हैं. कोरोना काल में वो और उनका परिवार बच जाए. पहले ये जरूरी है. महिला ने कहा कि अगर जिंदा रहे तो आगे सोना खरीद लिया जाएगा.
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गौरतलब है कि मौजूदा संकट को देखते हुए गरीब या मध्यमवर्गीय लोग अपना पैसा सोना या चांदी खरीदने में नहीं लगाना चाह रहे हैं. इसके बजाए वो ये पैसा अपने हाथ में ही रख रहे हैं, ताकि जरूरत आने पर उनका इस्तेमाल किया जा सके. जिसके चलते सोने और चांदी की बिक्री में लगभग 70 से 80% तक की कमी देखने को मिल रही है.