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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अधिक निवेश की जरूरत : अम्बरीष राय - शिक्षा की गुणवत्ता

केंद्र सकार अपना सालाना बजट एक फरवरी को संसद में पेश करने जा रही है, वहीं बजट से हमेशा की तरह इस बार भी सभी सेक्टरों से जुड़े लोगों को ढेरों उम्मीदें बंधी हुई हैं. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों की इस बजट से क्या- क्या उम्मीदें हैं, इस पर ईटीवी भारत ने शिक्षा जगत से जुड़े शिक्षा का अधिकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीष राय से बात की. पढ़ें पूरी खबर...

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अम्बरीष राय
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Published : Jan 25, 2020, 6:42 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 9:37 AM IST

नई दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट एक फरवरी को पेश करने जा रही है. इस बीच ईटीवी भारत अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों से बात कर रहा है और आने वाले बजट से उनकी आकांक्षा और उम्मीदों को जानने की कोशिश कर रहा है.

इसी कड़ी में शिक्षा का अधिकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीष राय ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर इस देश में शिक्षा व्यवस्था को गुणवत्ता के साथ बेहतर बनाना है, तो उसके लिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा.

अम्बरीष राय के मुताबिक, 'इस वक्त लाखों की संख्या में प्रशिक्षित शिक्षक के पद खाली पडे़ हुए हैं, लेकिन सरकारें उन खाली पदों पर योग्य शिक्षकों को भरने की स्थिति में नहीं है. इस वक्त हमें और अधिक टीचर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की जरूरत है. सरकारी स्कूल की सभी रिक्त जगहों पर ट्रेंड टीचरों को स्थाई तौर पर नियुक्त किए जाने की जरूरत है, जिससे शिक्षा की बदतर हालत को सुधारा जा सके.'

उन्होंने देश के विकास में शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि बजट आवंटन की बात करें तो शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक है, लेकिन दुर्भाग्य से अब तक इस पर सही तरीके से ध्यान नहीं दिया गया है.

अम्बरीष राय से ईटीवी भारत की बातचीत.

कोठारी आयोग का जिक्र करते हुए अम्बरीष ने कहा, '1966 के दौर में गठित कोठारी आयोग ने सरकार को शिक्षा पर बजट का 6 फीसद आवंटित करने की सिफारिश की थी. लेकिन पांच दशकों से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद किसी भी सरकार ने कोठारी आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया है. आज भी बजट का 3 से लेकर 3.4 फीसद ही शिक्षा के लिए दिया जा रहा है, जो निराशाजनक है.'

यह भी पढ़ें- भारत और ब्राजील के बीच 15 समझौतों पर हस्ताक्षर

अम्बरीश ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, 'हमारा पड़ोसी देश नेपाल अपने बजट का 4 फीसद शिक्षा पर खर्च करता है, जबकि वह बहुत ही छोटा सा देश है. जब तक हम अपने विकास के पैमाने में शिक्षा के महत्व को नहीं समझेंगे और इस सेक्टर में अधिककतम निवेश नहीं करेंगे, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना मुश्किल है.

नई दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट एक फरवरी को पेश करने जा रही है. इस बीच ईटीवी भारत अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों से बात कर रहा है और आने वाले बजट से उनकी आकांक्षा और उम्मीदों को जानने की कोशिश कर रहा है.

इसी कड़ी में शिक्षा का अधिकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीष राय ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर इस देश में शिक्षा व्यवस्था को गुणवत्ता के साथ बेहतर बनाना है, तो उसके लिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा.

अम्बरीष राय के मुताबिक, 'इस वक्त लाखों की संख्या में प्रशिक्षित शिक्षक के पद खाली पडे़ हुए हैं, लेकिन सरकारें उन खाली पदों पर योग्य शिक्षकों को भरने की स्थिति में नहीं है. इस वक्त हमें और अधिक टीचर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की जरूरत है. सरकारी स्कूल की सभी रिक्त जगहों पर ट्रेंड टीचरों को स्थाई तौर पर नियुक्त किए जाने की जरूरत है, जिससे शिक्षा की बदतर हालत को सुधारा जा सके.'

उन्होंने देश के विकास में शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि बजट आवंटन की बात करें तो शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक है, लेकिन दुर्भाग्य से अब तक इस पर सही तरीके से ध्यान नहीं दिया गया है.

अम्बरीष राय से ईटीवी भारत की बातचीत.

कोठारी आयोग का जिक्र करते हुए अम्बरीष ने कहा, '1966 के दौर में गठित कोठारी आयोग ने सरकार को शिक्षा पर बजट का 6 फीसद आवंटित करने की सिफारिश की थी. लेकिन पांच दशकों से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद किसी भी सरकार ने कोठारी आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया है. आज भी बजट का 3 से लेकर 3.4 फीसद ही शिक्षा के लिए दिया जा रहा है, जो निराशाजनक है.'

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अम्बरीश ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, 'हमारा पड़ोसी देश नेपाल अपने बजट का 4 फीसद शिक्षा पर खर्च करता है, जबकि वह बहुत ही छोटा सा देश है. जब तक हम अपने विकास के पैमाने में शिक्षा के महत्व को नहीं समझेंगे और इस सेक्टर में अधिककतम निवेश नहीं करेंगे, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना मुश्किल है.

Intro:Modi Government 2.0 will be presenting it's second budget on 1st of February. ETV Bharat is taking expert's views on expecting from the upcoming budget for different sectors.
Education is one of the most important sectors when it comes to budget allocation. Kothari commission in 1966 recommended that at least 6% of the GDP should be allocated to education but even after five decades this could not be made possible by any of the government ruling at centre.
ETV Bharat talked to the National convener of Right to Esucation Forum, Ambrish Rai who suggested that if we want to transform the education sector of this country, we need huge investment in this sector.
"There are lakhs of vacant positions for trained teachers and the government has not been able to fill them. We need more tracher training institutes and the vacancies should be filled with trained and permanent teachers in government schools" said Ambrish Rai.


Body:In order to improve the quality of education, quality teaching should be emphasised upon and that is not possible with ad hoc teachers who are not trained enough.
"We have huge expectations from this budget session of parliament. The investment in education has been around 3.5% in our country which is very low. Low investment in education sector has created a huge cumulative gap and to fulfil that gap we need huge investments in the sector" he added.




Conclusion:
Last Updated : Feb 18, 2020, 9:37 AM IST
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