हैदराबाद: विनायक चतुर्थी के लिए हैदराबाद के मूर्ति निर्माताओं ने पर्यावरण के अनुकूल तरीके से भगवान गणेश का मूर्तियों तैयार की हैं.
दरअसल, मुर्ति निर्माताओं ने भगवान गणेश की मूर्ति को बनाने में गाय के गोबर का इस्तेमाल कर रहे है. मूर्ति निर्माताओं का कहना है कि यह विकल्प पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेगा.
एक मूर्ति निर्माता डॉ सुदर्शन सिंह ने एक मीडिया हाऊस से बात करते हुए कहा कि हमने भगवान गणेश की मूर्तियों को प्राकृतिक रूप से गोबर से बनाना शुरू किया है.
इस इको-फ्रेंडली की मदद से हम बहुत ही कम समय में मूर्तियों को आसानी से बना सकते हैं और इससे विसर्जन के बाद कोई जल प्रदूषण नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के साथ, इन मूर्तियों के निर्माता भी लाभान्वित होंगे. हमने प्राकृतिक पेंट का उपयोग करके मूर्तियों को डिज़ाइन किया है. यह विकल्प कई मायनों में फायदेमंद है, जब ये मूर्तियाँ जलस्रोतों में विसर्जित की जाएंगी.
उन्होंने कहा कि गाय के गोबर में ऑक्सीजन होता है, जिससे पानी भी शुद्ध होगा. सिंह ने अन्य निर्माताओं से इस विधि को अपनाने का अनुरोध किया है.
यहां के निर्माता इन मूर्तियों का मूल्य 80 रुपये से लेकर 100 रुपये तक लगा रहे हैं, मुख्य रूप से इन मूर्तियों को आम जनता को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना है.
गोशाला महल के भाजपा विधायक राजा सिंह ने बताया कि, 'भारत में पहली बार, हमने भगवान गणेश की मूर्तियों को शुद्ध गोबर से बनाना शुरू किया है.हिंदू धर्म में, गोबर और मूत्र को बहुत आध्यात्मिक माना जाता है. हमारा मुख्य उद्देश्य है कि गायों को बचाएं. हमें एक अच्छी सार्वजनिक प्रतिक्रिया भी मिल रही है.
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हम इस साल के विनायक चतुर्थी के लिए गोबर से दो लाख भगवान गणेश की मूर्तियां बनाने का लक्ष्य रख रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि हमने पहले ही गाय के गोबर का उपयोग करके 50,000 गणेश की मूर्तियों का निर्माण किया है. आगामी दिनों में, हमारा उद्देश्य 10 लाख मूर्तियां बनाना है. सरकार इस पहल में हमारी मदद करने के लिए तैयार है, तब हम इस विकल्प के माध्यम से अधिक मूर्तियां बनाने में सक्षम होंगे.'