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भारत खो रहा है अपने दोस्त? विदेश मंत्री बोले- अब होगी सच्चे दोस्त की पहचान - विदेशमंत्री एस जयशंकर विश्व राजनीति पर

विदेशमंत्री एस जयशंकर शनिवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं इसे बहुत विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आज अगर आप किसी भारतीय दूतावास में जाते हैं, तो एक समर्थन मिलता है, जो शायद भारतीयों को पहले के वर्षों में इस तरह से नहीं मिलता था.

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विदेशमंत्री एस जयशंकर
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Published : Mar 7, 2020, 3:20 PM IST

नई दिल्ली : विदेशमंत्री एस जयशंकर नागरिकता संशोधन कानून और विदेश नीति को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि सरकार के पास नागरिकता की शर्ते निर्धारित करने का अधिकार है. सीएए के जरिए देश विहीन लोगों की संख्या घटाने की कोशिश की, इसकी प्रशंसा होनी चाहिए.

दरअसल विदेशमंत्री शनिवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने हालिया मसलों से जुड़ें विषय पर अपना जवाब दिया. एस जयशंकर ने कहा कि मैं इसे बहुत विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आज अगर आप किसी भारतीय दूतावास में जाते हैं, तो एक समर्थन मिलता है, जो शायद भारतीयों को पहले के वर्षों में इस तरह से नहीं मिलता था.

जयशंकर ने कहा कि हम अब अपने दोस्तों (दुनिया में) को खो रहे हैं ? इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि शायद हमें पता चल रहा है कि हमारे दोस्त वास्तव में हैं कौन!

जयशंकर ने आगे कहा कोई भी यह नहीं कह सकता कि सरकार या संसद के पास नागरिकता की शर्तें निर्धारित करने का अधिकार नहीं है, हर सरकार ने यह किया है.

जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र संस्था की टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यूएनएचआरसी के निदेशक पहले भी गलत हो चुके हैं. यूएनएचआरसी सीमा पार के आंतकवाद के मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता रहता है जैसे कि उसके ठीक बगल के देश से कोई लेना-देना नहीं है.

भारत की तुर्की को दो-टूक, कश्मीर मामले में न दें दखल

उन्होंने कहा कि यह समझने की कोशिश करें कि उनका संबंध कहां से है. यूएनएचआरसी के रिकॉर्ड को देखें कि वे पूर्व में कश्मीर मुद्दे से कैसे निपटे हैं.

इसके साथ उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलना भारतीय कारोबार के हित में था.

नई दिल्ली : विदेशमंत्री एस जयशंकर नागरिकता संशोधन कानून और विदेश नीति को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि सरकार के पास नागरिकता की शर्ते निर्धारित करने का अधिकार है. सीएए के जरिए देश विहीन लोगों की संख्या घटाने की कोशिश की, इसकी प्रशंसा होनी चाहिए.

दरअसल विदेशमंत्री शनिवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने हालिया मसलों से जुड़ें विषय पर अपना जवाब दिया. एस जयशंकर ने कहा कि मैं इसे बहुत विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आज अगर आप किसी भारतीय दूतावास में जाते हैं, तो एक समर्थन मिलता है, जो शायद भारतीयों को पहले के वर्षों में इस तरह से नहीं मिलता था.

जयशंकर ने कहा कि हम अब अपने दोस्तों (दुनिया में) को खो रहे हैं ? इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि शायद हमें पता चल रहा है कि हमारे दोस्त वास्तव में हैं कौन!

जयशंकर ने आगे कहा कोई भी यह नहीं कह सकता कि सरकार या संसद के पास नागरिकता की शर्तें निर्धारित करने का अधिकार नहीं है, हर सरकार ने यह किया है.

जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र संस्था की टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यूएनएचआरसी के निदेशक पहले भी गलत हो चुके हैं. यूएनएचआरसी सीमा पार के आंतकवाद के मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता रहता है जैसे कि उसके ठीक बगल के देश से कोई लेना-देना नहीं है.

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उन्होंने कहा कि यह समझने की कोशिश करें कि उनका संबंध कहां से है. यूएनएचआरसी के रिकॉर्ड को देखें कि वे पूर्व में कश्मीर मुद्दे से कैसे निपटे हैं.

इसके साथ उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलना भारतीय कारोबार के हित में था.

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