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DRDO ने ओडिशा में ABHYAS का सफल परीक्षण किया

डीआरडीओ ने हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट का सफल परीक्षण किया. यह देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती देगा.

परीक्षण के दौरान अभ्यास विमान
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Published : May 13, 2019, 10:58 PM IST

भुवनेश्वर: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ABHYAS- हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) का सफल परीक्षण किया. परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में किया गया.

डीआरडीओ ने बयान जारी कर कहा कि परीक्षण को विभिन्न रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम द्वारा ट्रैक किया गया. ABHYAS एक छोटे गैस टरबाइन इंजन पर काम करता है और यह MEMS नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है.

etvbharat drdo
अभ्यास विमान परीक्षण की सूचना

इस बिना पायलट के एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कई तरह की मिसाइल्स को टेस्ट करने में किया जाएगा. साथ ही इसका इस्‍तेमाल अलग अलग तरीके की मिसाइल और एयरक्राफ्टस का पता लगाने के लिए हो सकता है.

ABHYAS की डिजाइन टारगेट पर आधारित है, जो डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) द्वारा विकसित एक उच्च गति लक्ष्य ड्रोन प्रणाली है.

पढ़ें-मिशन शक्तिः 2 साल 150 वैज्ञानिकों की मेहनत का फल, मलबा से खतरा नहीं

डीआरडीओ के अनुसार यह एक बेहतरीन एयरक्राफ्ट है जो नवीन तकनीक का उदाहरण है और देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती देगा.

गौरतलब है कि इससे कुछ समय पहले ही अप्रैल में डीआरडीओ ने अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन की तर्ज पर रुस्तम-2 को विकसित किया था.

भुवनेश्वर: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ABHYAS- हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) का सफल परीक्षण किया. परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में किया गया.

डीआरडीओ ने बयान जारी कर कहा कि परीक्षण को विभिन्न रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम द्वारा ट्रैक किया गया. ABHYAS एक छोटे गैस टरबाइन इंजन पर काम करता है और यह MEMS नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है.

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अभ्यास विमान परीक्षण की सूचना

इस बिना पायलट के एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कई तरह की मिसाइल्स को टेस्ट करने में किया जाएगा. साथ ही इसका इस्‍तेमाल अलग अलग तरीके की मिसाइल और एयरक्राफ्टस का पता लगाने के लिए हो सकता है.

ABHYAS की डिजाइन टारगेट पर आधारित है, जो डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) द्वारा विकसित एक उच्च गति लक्ष्य ड्रोन प्रणाली है.

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डीआरडीओ के अनुसार यह एक बेहतरीन एयरक्राफ्ट है जो नवीन तकनीक का उदाहरण है और देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती देगा.

गौरतलब है कि इससे कुछ समय पहले ही अप्रैल में डीआरडीओ ने अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन की तर्ज पर रुस्तम-2 को विकसित किया था.

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