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डॉक्टरों से मारपीट पर 10 साल तक कैद के प्रावधान वाला मसौदा विधेयक तैयार - डॉ हर्षवर्धन ने दी मामले की जानकारी

ऑन ड्यूटी डॉक्टर से मारपीट करने करने वाले व्यक्ति को अब डरना पड़ेगा. केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने यह साफ किया ऐसा विधेयक तैयार कर लिया गया है, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों से मारपीट करने वाले को 10 साल की जेल की सजा होगी.

केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉ हर्षवर्धन
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Published : Aug 14, 2019, 8:31 AM IST

Updated : Sep 26, 2019, 10:55 PM IST

नई दिल्ली: ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों से मारपीट करने वाले लोगों को दंडित करने के लिए 10 साल तक की जेल की सजा के प्रावधान वाले मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है. आम लोगों की राय लेने के लिए इसे जल्द ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने यह जानकारी दी.

मसौदा विधेयक को स्वास्थ्य मंत्री की मंजूरी मिल गई है. गौरतलब है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में इलाज के दौरान एक रोगी की मौत हो जाने पर उसके रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टरों पर हमला किये जाने के बाद देश भर के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गये थे.

अधिकारिक सूत्रों ने मसौदा विधेयक के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि क्लीनिकल प्रतिष्ठानों में डॉक्टरों एवं अन्य चिकित्साकर्मियों को गंभीर चोट पहुंचाने वालों को तीन से 10 साल के बीच कैद की सजा का सामना करना पड़ सकता है तथा उन पर दो से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि मसौदा विधेयक में कहा गया है कि हिंसा करने वालों या अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को छह महीने से लेकर पांच साल तक की कैद और 50,000 रुपये से पांच लाख रुपये के बीच जुर्माना लगाया जा सकता है.

स्वास्थ्यकर्मियों की परिभाषा में डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारी तथा मेडिकल छात्र, अस्पताल या क्लीनिक में रोग निदान सेवाएं प्रदान करने वाला व्यक्ति और एंबुलेंस चालक शामिल होंगे.

मंत्री ने कहा कि इस सिलसिले में एक केंद्रीय कानून मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों की काफी समय से लंबित मांग है. इस पर एक मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हम लोगों की राय और टिप्पणियों के लिए जल्द ही इसे सार्वजनिक कर देंगे.'

पढ़ें: निपाह वायरस को लेकर केंद्र सतर्क, स्वास्थ्य मंत्री ने ली बैठक

इसके बाद, हम इसे कैबिनेट की बैठक में ले जाएंगे. मसौदा विधेयक के मुताबिक हिंसा का मतलब किसी तरह का चोट पहुंचाना, डराना-धमकाना, किसी स्वास्थ्यकर्मी के कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान अवरोध पैदा करना या उनकी जान को जोखिम में डालना होगा. विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आठ सदस्यीय एक उपसमिति गठित की थी.

नई दिल्ली: ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों से मारपीट करने वाले लोगों को दंडित करने के लिए 10 साल तक की जेल की सजा के प्रावधान वाले मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है. आम लोगों की राय लेने के लिए इसे जल्द ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने यह जानकारी दी.

मसौदा विधेयक को स्वास्थ्य मंत्री की मंजूरी मिल गई है. गौरतलब है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में इलाज के दौरान एक रोगी की मौत हो जाने पर उसके रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टरों पर हमला किये जाने के बाद देश भर के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गये थे.

अधिकारिक सूत्रों ने मसौदा विधेयक के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि क्लीनिकल प्रतिष्ठानों में डॉक्टरों एवं अन्य चिकित्साकर्मियों को गंभीर चोट पहुंचाने वालों को तीन से 10 साल के बीच कैद की सजा का सामना करना पड़ सकता है तथा उन पर दो से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि मसौदा विधेयक में कहा गया है कि हिंसा करने वालों या अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को छह महीने से लेकर पांच साल तक की कैद और 50,000 रुपये से पांच लाख रुपये के बीच जुर्माना लगाया जा सकता है.

स्वास्थ्यकर्मियों की परिभाषा में डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारी तथा मेडिकल छात्र, अस्पताल या क्लीनिक में रोग निदान सेवाएं प्रदान करने वाला व्यक्ति और एंबुलेंस चालक शामिल होंगे.

मंत्री ने कहा कि इस सिलसिले में एक केंद्रीय कानून मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों की काफी समय से लंबित मांग है. इस पर एक मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हम लोगों की राय और टिप्पणियों के लिए जल्द ही इसे सार्वजनिक कर देंगे.'

पढ़ें: निपाह वायरस को लेकर केंद्र सतर्क, स्वास्थ्य मंत्री ने ली बैठक

इसके बाद, हम इसे कैबिनेट की बैठक में ले जाएंगे. मसौदा विधेयक के मुताबिक हिंसा का मतलब किसी तरह का चोट पहुंचाना, डराना-धमकाना, किसी स्वास्थ्यकर्मी के कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान अवरोध पैदा करना या उनकी जान को जोखिम में डालना होगा. विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आठ सदस्यीय एक उपसमिति गठित की थी.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 22:29 HRS IST




             
  • डॉक्टरों से मारपीट पर 10 साल तक कैद के प्रावधान वाला मसौदा विधेयक तैयार



नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों से मारपीट करने वाले लोगों को दंडित करने के लिए 10 साल तक की जेल की सजा के प्रावधान वाले मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है। आम लोगों की राय लेने के लिए इसे जल्द ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। 



मसौदा विधेयक को स्वास्थ्य मंत्री की मंजूरी मिल गई है। 



गौरतलब है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में इलाज के दौरान एक रोगी की मौत हो जाने पर उसके रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टरों पर हमला किये जाने के बाद देश भर के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गये थे। 



अधिकारिक सूत्रों ने मसौदा विधेयक के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि क्लीनिकल प्रतिष्ठानों में डॉक्टरों एवं अन्य चिकित्साकर्मियों को गंभीर चोट पहुंचाने वालों को तीन से 10 साल के बीच कैद की सजा का सामना करना पड़ सकता है तथा उन पर दो से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। 



उन्होंने बताया कि मसौदा विधेयक में कहा गया है कि हिंसा करने वालों या अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को छह महीने से लेकर पांच साल तक की कैद और 50,000 रुपये से पांच लाख रुपये के बीच जुर्माना लगाया जा सकता है। 



स्वास्थ्यकर्मियों की परिभाषा में डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारी तथा मेडिकल छात्र, अस्पताल या क्लीनिक में रोग निदान सेवाएं प्रदान करने वाला व्यक्ति और एंबुलेंस चालक शामिल होंगे। 



मंत्री ने कहा कि इस सिलसिले में एक केंद्रीय कानून मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों की काफी समय से लंबित मांग है। इस पर एक मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों की राय और टिप्पणियों के लिए जल्द ही इसे सार्वजनिक कर देंगे।’’ 



इसके बाद, हम इसे कैबिनेट की बैठक में ले जाएंगे। 



मसौदा विधेयक के मुताबिक हिंसा का मतलब किसी तरह का चोट पहुंचाना, डराना-धमकाना, किसी स्वास्थ्यकर्मी के कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान अवरोध पैदा करना या उनकी जान को जोखिम में डालना होगा। 



विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आठ सदस्यीय एक उपसमिति गठित की थी। 


Conclusion:
Last Updated : Sep 26, 2019, 10:55 PM IST
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