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अन्य रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए कोविड-19 बड़ी समस्या, जानें डॉक्टर की राय - क्वारंटाइन बेहर विकल्प

मेडीयर अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा के प्रमुख और एशियान सोसोइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोने ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत की जिसमें उन्होंने बताया कि कोविड-19 से ठीक हो चुके कोमॉर्बिडिटी वाले मरीज फिर से गंभीर समस्याओं के साथ अस्पताल वापस आ रहे हैं. जो अब गंभीर समस्या बन गई है. जिसके लिए कई वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं. बता दें कि पहले से ही कैंसर, एचआईवी, और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे मरीजों को कोमॉर्बिडिटी वाले मरीज कहते हैं.

Dr Tamorish Kole on post Covid infections
डॉ तामोरिश कोने का विशेष साक्षात्कार
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Published : Aug 19, 2020, 10:05 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय वैज्ञानिकों के साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय कोविड-19 पर गंभीर चिंता व्यक्त कर रहे हैं. इनमें कोविड-19 से पीड़ित मरीज शामिल हैं जिन्हें इसके कारण सीने में दर्द, फेफड़ों में संक्रमण सहित अन्य कई समस्याओं की शिकायत हैं. इस समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने मेडीयर अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा के प्रमुख और एशियान सोसोइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोने से विशेष बातचीत की. जिसमें उन्होंने स्वीकार किया सह-रुग्णता वाले लोगों को कोविड होने का ज्यादा खतरा है.

उन्होंने बताया कि जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से ठीक हो गए थे, वह फिर से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में आ गए. जिसमें सांस की तकलीफ वाले मरीज शामिल थे. उन्होंने अनुभव की कोविड-19 के कारण होने वाली फेफड़े की फाइब्रोसिस इस तरह की समस्या पैदा करती है. उन्होंने बताया कि जो मरीज मधुमेह के कारण इंसुलिन-आश्रित हैं और कोविड-19 से ठीक होकर घर जा चुके हैं. उनका शुगर लेवल ऊपर नीचे होता रहेगा. जिसके कारण उन्हें फिर से अस्पताल आना पड़ता हैं.

डॉ तामोरिश कोने से जानिए भारत में कोविड-19 की स्थिती

कोले के कहा कि दो मरीज अतिसार और बुखार से पीड़ित है और उनका कोरोना परिक्षण पॉजिटिव नहीं आया है. इसका मतलब यह नहीं हैं कि सब कुछ ठीक हो गया है.

भारत के अस्पतालों में अन्य संक्रमणों के साथ आने वाले लोगों की शिकायतें मिल रही है. अस्पताल के अधिकारी अब अपने कर्मचारियों को तैयार कर रहे हैं. उन्हें इस तरह के संभावित मामलों के बार में सूचित कर रहे हैं जिनमें घर लौट चुके व्यक्ति अस्पताल में इस संक्रमण के लक्षणों के बारे में शिकायत कर रहे हैं. दरअसल भारत का सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICMR) भी इस मुद्दे पर एक अध्ययन कर रहा है.

कोले के अनुसार इस बीमारी पर अध्ययन यह दावा नहीं करता है कि कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज की हालत कैसी हो सकती है. दवाओं का कैसा परिणाम हो सकता है. कोविड-19 एक जटिल बीमारी है. यह फेफड़ो को नुकसाल पहुंचाती है. इसके साथ ही इससे उबरने के बाद मधुमेह नियंत्रण होना एक मुद्दा बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि यह सभी चिकित्सकों के लिए फिर से सीखने की प्रक्रिया है. जैसे-जैसे हम कोविड-19 की डिटेल में जाऐंगे उसके बारे में और जानकारी मिलेगी.

कोमोर्बिडिटी वाले लोगों को अन्य परेशानियों के साथ अस्पताल में वापस आने के ज्यादा चॉन्स हैं और जिन लोगों को कोरोना के कारण फेफड़ों में नुकसान हुआ है वह भी कई समस्याओं के साथ वापस आ रहे हैं.

उन्होंने बताया कि एक अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 इम्यूनिटी केवल दो से छह महीने के बीच रहती है. हालांकि यह शोध एक निरंतर क्षेत्र है. कुछ रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीज फिर से इसी बीमारी से संक्रमित हो गए. इस प्रकार किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए और ज्याद डेटा की आवश्यकता होती है.

क्या है यह हवा में फेलने वाली बीमारी है?
इस पर कोले ने कहा कि यदि आप बहुत ज्यादा एरोसोल पैदा कर रहे हैं तो यह वायरस एरोसोल में जीवित रह सकता है. इसलिए हमने देखा कि गहन देखभाल में जहां मरीज एरोसोल पैदा करते है वहां लोगों के संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है. यदि बहुत सारे लोग किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर खड़े हैं तो यह जोखिम का क्षेत्र हो सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर यह वायरस हवा में पैदा नहीं होता है.

डॉ कोले ने भारतीय कोविड वैक्सीन का उल्लेख करते हुए कहा कि हम जानते हैं भारत में तीन वैक्सीन का मानव पर परीक्षण हो रहा है. लोग इस प्रकार के परिक्षण के लिए आगे आ रहे हैं और अपनी सेवा दे रहे हैं. भारतीय समुदाय, भारतीय वैज्ञानिक, वैश्विक विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. वैक्सीन का कोई शॉर्टकट नहीं है. इस बात की कोई संभावना व्यक्त नहीं की जा सकती कि इसका क्लिनिकल ट्रायल कब पूरा होगा. हम सभी को धैर्य रखना होगा और वैक्सीन का इंतजार करना होगा.

उन्होंने कहा कि रूस अब अनोखा देश प्रतीत हो रहा है. उसने कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है, लेकिन कोई वैज्ञानिक प्रमाण विश्व समुदाय के लिए उपलब्ध नहीं हैं इसलिए वर्तमान में हम रूसी टीके पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.

पढ़ें - कोरोना : देश में बन रहीं तीन वैक्सीन, एक का परीक्षण तीसरे चरण में

जहां तक भारतीय टीके का सवाल है हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल के अंत तक हमारे पास कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. इसके लिए भारतीय फार्मा कंपनियां भी अपना सर्नश्रेशष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं जिससे आम व्यक्तियों कर वैक्सीन पहुंच सके.

कोविड से बचने के लिए क्वारंटाइन बेहर विकल्प?
इस पर कोले कहते हैं कि कोरोना से मिलते जुलते लक्ष्ण होने पर घर पर क्वारंटाइन रहना अच्छा विकल्प है, लेकिन गंभीर लक्ष्णों वाले मरीजों को स्वास्थ्य देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है उन्हें इसके लिए हॉस्पीटल जाना चाहिए.

नई दिल्ली : भारतीय वैज्ञानिकों के साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय कोविड-19 पर गंभीर चिंता व्यक्त कर रहे हैं. इनमें कोविड-19 से पीड़ित मरीज शामिल हैं जिन्हें इसके कारण सीने में दर्द, फेफड़ों में संक्रमण सहित अन्य कई समस्याओं की शिकायत हैं. इस समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने मेडीयर अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा के प्रमुख और एशियान सोसोइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोने से विशेष बातचीत की. जिसमें उन्होंने स्वीकार किया सह-रुग्णता वाले लोगों को कोविड होने का ज्यादा खतरा है.

उन्होंने बताया कि जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से ठीक हो गए थे, वह फिर से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में आ गए. जिसमें सांस की तकलीफ वाले मरीज शामिल थे. उन्होंने अनुभव की कोविड-19 के कारण होने वाली फेफड़े की फाइब्रोसिस इस तरह की समस्या पैदा करती है. उन्होंने बताया कि जो मरीज मधुमेह के कारण इंसुलिन-आश्रित हैं और कोविड-19 से ठीक होकर घर जा चुके हैं. उनका शुगर लेवल ऊपर नीचे होता रहेगा. जिसके कारण उन्हें फिर से अस्पताल आना पड़ता हैं.

डॉ तामोरिश कोने से जानिए भारत में कोविड-19 की स्थिती

कोले के कहा कि दो मरीज अतिसार और बुखार से पीड़ित है और उनका कोरोना परिक्षण पॉजिटिव नहीं आया है. इसका मतलब यह नहीं हैं कि सब कुछ ठीक हो गया है.

भारत के अस्पतालों में अन्य संक्रमणों के साथ आने वाले लोगों की शिकायतें मिल रही है. अस्पताल के अधिकारी अब अपने कर्मचारियों को तैयार कर रहे हैं. उन्हें इस तरह के संभावित मामलों के बार में सूचित कर रहे हैं जिनमें घर लौट चुके व्यक्ति अस्पताल में इस संक्रमण के लक्षणों के बारे में शिकायत कर रहे हैं. दरअसल भारत का सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICMR) भी इस मुद्दे पर एक अध्ययन कर रहा है.

कोले के अनुसार इस बीमारी पर अध्ययन यह दावा नहीं करता है कि कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज की हालत कैसी हो सकती है. दवाओं का कैसा परिणाम हो सकता है. कोविड-19 एक जटिल बीमारी है. यह फेफड़ो को नुकसाल पहुंचाती है. इसके साथ ही इससे उबरने के बाद मधुमेह नियंत्रण होना एक मुद्दा बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि यह सभी चिकित्सकों के लिए फिर से सीखने की प्रक्रिया है. जैसे-जैसे हम कोविड-19 की डिटेल में जाऐंगे उसके बारे में और जानकारी मिलेगी.

कोमोर्बिडिटी वाले लोगों को अन्य परेशानियों के साथ अस्पताल में वापस आने के ज्यादा चॉन्स हैं और जिन लोगों को कोरोना के कारण फेफड़ों में नुकसान हुआ है वह भी कई समस्याओं के साथ वापस आ रहे हैं.

उन्होंने बताया कि एक अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 इम्यूनिटी केवल दो से छह महीने के बीच रहती है. हालांकि यह शोध एक निरंतर क्षेत्र है. कुछ रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीज फिर से इसी बीमारी से संक्रमित हो गए. इस प्रकार किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए और ज्याद डेटा की आवश्यकता होती है.

क्या है यह हवा में फेलने वाली बीमारी है?
इस पर कोले ने कहा कि यदि आप बहुत ज्यादा एरोसोल पैदा कर रहे हैं तो यह वायरस एरोसोल में जीवित रह सकता है. इसलिए हमने देखा कि गहन देखभाल में जहां मरीज एरोसोल पैदा करते है वहां लोगों के संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है. यदि बहुत सारे लोग किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर खड़े हैं तो यह जोखिम का क्षेत्र हो सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर यह वायरस हवा में पैदा नहीं होता है.

डॉ कोले ने भारतीय कोविड वैक्सीन का उल्लेख करते हुए कहा कि हम जानते हैं भारत में तीन वैक्सीन का मानव पर परीक्षण हो रहा है. लोग इस प्रकार के परिक्षण के लिए आगे आ रहे हैं और अपनी सेवा दे रहे हैं. भारतीय समुदाय, भारतीय वैज्ञानिक, वैश्विक विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. वैक्सीन का कोई शॉर्टकट नहीं है. इस बात की कोई संभावना व्यक्त नहीं की जा सकती कि इसका क्लिनिकल ट्रायल कब पूरा होगा. हम सभी को धैर्य रखना होगा और वैक्सीन का इंतजार करना होगा.

उन्होंने कहा कि रूस अब अनोखा देश प्रतीत हो रहा है. उसने कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है, लेकिन कोई वैज्ञानिक प्रमाण विश्व समुदाय के लिए उपलब्ध नहीं हैं इसलिए वर्तमान में हम रूसी टीके पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.

पढ़ें - कोरोना : देश में बन रहीं तीन वैक्सीन, एक का परीक्षण तीसरे चरण में

जहां तक भारतीय टीके का सवाल है हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल के अंत तक हमारे पास कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. इसके लिए भारतीय फार्मा कंपनियां भी अपना सर्नश्रेशष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं जिससे आम व्यक्तियों कर वैक्सीन पहुंच सके.

कोविड से बचने के लिए क्वारंटाइन बेहर विकल्प?
इस पर कोले कहते हैं कि कोरोना से मिलते जुलते लक्ष्ण होने पर घर पर क्वारंटाइन रहना अच्छा विकल्प है, लेकिन गंभीर लक्ष्णों वाले मरीजों को स्वास्थ्य देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है उन्हें इसके लिए हॉस्पीटल जाना चाहिए.

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