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डेटा पर निर्भर होगी कोविड-19 टीके के प्रयोग की अनुमति : हर्षवर्धन - dr harshvardhan on clinical trial and emergency use of covid vaccine

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि भारत विभिन्न प्रकार के टीकों की उपलब्धता पर गौर कर रहा है, जिनमें से कुछ विशिष्ट उम्र वर्ग के लिए उपयुक्त हो सकते हैं, जबकि अन्य उस आयु वर्ग के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं.

dr harsh vardhan on clinical trial
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड 19 टीके पर दी जानकारी
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Published : Oct 11, 2020, 7:55 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि सरकार ने भारत में कोविड-19 टीके के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'सार्स कोव-2' का पता लगाने के लिए 'फेलूदा पेपर स्ट्रिप' जांच अगले कुछ हफ्ते में शुरू की जा सकती है. हर्षवर्धन सोशल मीडिया के अपने प्रशंसकों के साथ 'संडे संवाद' प्लेटफॉर्म पर बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान में कोविड-19 टीका मानव क्लीनिकल परीक्षण के पहले, दूसरे और तीसरे...विभिन्न चरणों में है. जिसके परिणाम की प्रतीक्षा है.

पर्याप्त सुरक्षा और प्रभावी आंकड़ों की होगी जरूरत

उन्होंने कहा कि रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की खातिर टीके के आपातकालीन प्रयोग की अनुमति देने के लिए पर्याप्त सुरक्षा और प्रभावी आंकड़ों की जरूरत होगी. वहीं, उन्होंने कहा कि आंकड़ों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई निर्भर करेगी. स्वास्थ्य मंत्री ने पहले कहा था कि कोविड-19 टीका 2021 की प्रथम तिमाही में उपलब्ध हो सकता है. आर्थिक कारणों से युवा और कामकाजी लोगों को कोविड-19 का टीका लगाने को प्राथमिकता देने के कयासों से इनकार करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 टीका लगाने के लिए समूहों की प्राथमिकता दो मुख्य बातों पर निर्भर करेंगी. पहला-पेशेवर खतरा और संक्रमण का जोखिम और दूसरा गंभीर बीमारी होने का खतरा तथा बढ़ती मृत्यु दर. सरकार किस तरह से कोविड-19 के टीके को लाने की योजना बना रही है, इस पर उन्होंने कहा कि यह विचार है कि शुरुआत में टीके की आपूर्ति सीमित मात्रा में उपलब्ध होगी. मंत्री ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में टीके की आपूर्ति को प्राथमिकता देना कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे संक्रमण का खतरा, विभिन्न जनसंख्या समूह के बीच अन्य रोगों का प्रसार, कोविड-19 मामलों के बीच मृत्यु दर और कई अन्य.

पढ़ें: 24 घंटे में 74,383 नए मामले, छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पी एल पुनिया कोरोना पॉजिटिव

विभिन्न प्रकार के टीकों की उपलब्धता पर गौर कर रहा भारत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि भारत विभिन्न प्रकार के टीकों की उपलब्धता पर गौर कर रहा है, जिनमें से कुछ विशिष्ट उम्र वर्ग के लिए उपयुक्त हो सकते हैं, जबकि अन्य उस आयु वर्ग के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं. मंत्री ने कहा कि योजना का सबसे महत्वपूर्ण कारक शीत श्रृंखला और परिवहन के अन्य साधन हैं, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि अंतिम स्थान तक टीके की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आए. कोविड-19 टीके के अन्य उम्मीदवारों को शामिल करने की आवश्यकता पर हर्षवर्धन ने कहा कि भारत की बड़ी आबादी को देखते हुए एक टीका या टीका निर्माता पूरे देश में टीकाकरण की जरूरत को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाएगा.

आबादी के हिसाब से कोविड-19 के कई टीकों की वहनीयता पर हो रहा विचार

उन्होंने कहा कि इसलिए हम देश में आबादी के हिसाब से कोविड-19 के कई टीकों की वहनीयता पर गौर कर रहे हैं. महामारी के दौरान सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर अपने विचार साझा करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि भारतीय जनसंख्या के लिए अधिकतम टीकाकरण सुनिश्चित करने की खातिर वर्तमान स्थिति में कई टीका साझेदारों की जरूरत होगी. 'फेलूदा' जांच पर उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और निजी प्रयोगशालाओं में 2 हजार से अधिक रोगियों पर जांच के दौरान जांच में 96 फीसदी संवेदनशीलता और 98 फीसदी विशिष्टता दिखी.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि सरकार ने भारत में कोविड-19 टीके के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'सार्स कोव-2' का पता लगाने के लिए 'फेलूदा पेपर स्ट्रिप' जांच अगले कुछ हफ्ते में शुरू की जा सकती है. हर्षवर्धन सोशल मीडिया के अपने प्रशंसकों के साथ 'संडे संवाद' प्लेटफॉर्म पर बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान में कोविड-19 टीका मानव क्लीनिकल परीक्षण के पहले, दूसरे और तीसरे...विभिन्न चरणों में है. जिसके परिणाम की प्रतीक्षा है.

पर्याप्त सुरक्षा और प्रभावी आंकड़ों की होगी जरूरत

उन्होंने कहा कि रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की खातिर टीके के आपातकालीन प्रयोग की अनुमति देने के लिए पर्याप्त सुरक्षा और प्रभावी आंकड़ों की जरूरत होगी. वहीं, उन्होंने कहा कि आंकड़ों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई निर्भर करेगी. स्वास्थ्य मंत्री ने पहले कहा था कि कोविड-19 टीका 2021 की प्रथम तिमाही में उपलब्ध हो सकता है. आर्थिक कारणों से युवा और कामकाजी लोगों को कोविड-19 का टीका लगाने को प्राथमिकता देने के कयासों से इनकार करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 टीका लगाने के लिए समूहों की प्राथमिकता दो मुख्य बातों पर निर्भर करेंगी. पहला-पेशेवर खतरा और संक्रमण का जोखिम और दूसरा गंभीर बीमारी होने का खतरा तथा बढ़ती मृत्यु दर. सरकार किस तरह से कोविड-19 के टीके को लाने की योजना बना रही है, इस पर उन्होंने कहा कि यह विचार है कि शुरुआत में टीके की आपूर्ति सीमित मात्रा में उपलब्ध होगी. मंत्री ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में टीके की आपूर्ति को प्राथमिकता देना कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे संक्रमण का खतरा, विभिन्न जनसंख्या समूह के बीच अन्य रोगों का प्रसार, कोविड-19 मामलों के बीच मृत्यु दर और कई अन्य.

पढ़ें: 24 घंटे में 74,383 नए मामले, छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पी एल पुनिया कोरोना पॉजिटिव

विभिन्न प्रकार के टीकों की उपलब्धता पर गौर कर रहा भारत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि भारत विभिन्न प्रकार के टीकों की उपलब्धता पर गौर कर रहा है, जिनमें से कुछ विशिष्ट उम्र वर्ग के लिए उपयुक्त हो सकते हैं, जबकि अन्य उस आयु वर्ग के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं. मंत्री ने कहा कि योजना का सबसे महत्वपूर्ण कारक शीत श्रृंखला और परिवहन के अन्य साधन हैं, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि अंतिम स्थान तक टीके की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आए. कोविड-19 टीके के अन्य उम्मीदवारों को शामिल करने की आवश्यकता पर हर्षवर्धन ने कहा कि भारत की बड़ी आबादी को देखते हुए एक टीका या टीका निर्माता पूरे देश में टीकाकरण की जरूरत को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाएगा.

आबादी के हिसाब से कोविड-19 के कई टीकों की वहनीयता पर हो रहा विचार

उन्होंने कहा कि इसलिए हम देश में आबादी के हिसाब से कोविड-19 के कई टीकों की वहनीयता पर गौर कर रहे हैं. महामारी के दौरान सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर अपने विचार साझा करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि भारतीय जनसंख्या के लिए अधिकतम टीकाकरण सुनिश्चित करने की खातिर वर्तमान स्थिति में कई टीका साझेदारों की जरूरत होगी. 'फेलूदा' जांच पर उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और निजी प्रयोगशालाओं में 2 हजार से अधिक रोगियों पर जांच के दौरान जांच में 96 फीसदी संवेदनशीलता और 98 फीसदी विशिष्टता दिखी.

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