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चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति में गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए : डॉ. हर्षवर्धन

कोरोना वायरस को लेकर भारत में लॉकडाउन चल रहा है. वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार सभी एहतियाती कदम उठा रही है. अब केंद्र सरकार ने संक्रमितों की जांच तथा इलाज में काम आने वाले उपकरणों की आपूर्ति प्रक्रिया में गुणवत्ता का विशेष ध्यान देने का निर्देश जारी किया है.

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डॉ हर्षवर्धन
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Published : Mar 31, 2020, 5:47 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस से संक्रमित और इसके संदिग्ध मरीजों के इलाज में काम आने वाले चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति प्रक्रिया में गुणवत्ता का विशेष ध्यान देने का निर्देश देते हुए मंगलवार को कहा कि अस्पतालों में आपूर्ति किए जाने वाले सामानों की गुणवत्ता को मानकों की कसौटी पर सख्ती से परखा जाए.

उल्लेखनीय है कि इटली और स्पेन सहित अन्य देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दोयम दर्जे के चिकित्सा उपकरणों का आयात होने संबंधी खबरें सामने आने के बाद भारत इस दिशा में अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.

डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस संकट से निबटने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सहित अन्य संबद्ध विभागों के शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में कहा कि सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 के परीक्षण की किट और चिकित्साकर्मियों के सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) सहित सभी प्रकार की सामग्रियों की यथाशीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित हो. साथ ही उन्होंने कहा कि चिकित्सा सामग्री की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.

मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार डॉ. हर्षवर्धन ने बैठक में कोरोना वायरस के संक्रमण के परीक्षण और सैम्पलिंग प्रक्रिया की भी समीक्षा की. उन्होंने आईसीएमआर, सीएसआईआर और अन्य संबद्ध एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल कायम करने की प्रभावी रणनीति की जरूरत पर भी बल दिया.

उन्होंने वेंटिलेटर, परीक्षण किट, पीपीई स्वास्थ्य मंत्रालय और डीएसटी के बीच अंतर-विभागीय स्तर पर बेहतर तालमेल की सराहना की. उन्होंने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्यों में भी परीक्षण किट और अन्य जरूरी उपकरणों की आपूर्ति में कमी न हो. साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों एवं लद्दाख और अन्य संघ शासित क्षेत्रों को अतिरिक्त सहायता देने का भी निर्देश दिया जहां परीक्षण की सुविधा या प्रयोगशाला नहीं है.

यह भी पढ़ें-लॉकडाउन पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा- 23 लाख लोगों को दे रहे भोजन

स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे देश में कोरोना वायरस के संकमण की परीक्षण सुविधाओं के बारे में आईसीएमआर द्वारा जारी दिशानिर्देशों के पालन की दैनिक समीक्षा भी करने को कहा, जिससे परीक्षण की गुणवत्ता को बरकरार रखा जा सके.

बैठक में उपस्थित आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि देश में इस समय 13 हजार परीक्षण प्रतिदिन की क्षमता के साथ सरकार की 129 प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं. इनमें एनएबीएल की मान्यताप्राप्त 49 प्रयोगशालाएं भी शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि देश में निजी प्रयोगशालाओं द्वारा 16 हजार केंद्रों से नमूने भी एकत्र किए जा रहे हैं. परीक्षण किट की पर्याप्त उपलब्धता की जानकारी देते हुए डॉ. भार्गव ने कहा कि अब तक देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के 38,442 परीक्षण किए जा चुके हैं. इनमें से 1334 परीक्षण निजी प्रयोगशालाओं में किए गए.

बैठक में मौजूद जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने बताया कि वेंटिलेटर और परीक्षण किट का देश में ही निर्माण कार्य तेज कर दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि देश में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 1250 से अधिक मामले आ चुके हैं और 32 लोगों की मौत हो गई है.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस से संक्रमित और इसके संदिग्ध मरीजों के इलाज में काम आने वाले चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति प्रक्रिया में गुणवत्ता का विशेष ध्यान देने का निर्देश देते हुए मंगलवार को कहा कि अस्पतालों में आपूर्ति किए जाने वाले सामानों की गुणवत्ता को मानकों की कसौटी पर सख्ती से परखा जाए.

उल्लेखनीय है कि इटली और स्पेन सहित अन्य देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दोयम दर्जे के चिकित्सा उपकरणों का आयात होने संबंधी खबरें सामने आने के बाद भारत इस दिशा में अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.

डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस संकट से निबटने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सहित अन्य संबद्ध विभागों के शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में कहा कि सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 के परीक्षण की किट और चिकित्साकर्मियों के सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) सहित सभी प्रकार की सामग्रियों की यथाशीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित हो. साथ ही उन्होंने कहा कि चिकित्सा सामग्री की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.

मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार डॉ. हर्षवर्धन ने बैठक में कोरोना वायरस के संक्रमण के परीक्षण और सैम्पलिंग प्रक्रिया की भी समीक्षा की. उन्होंने आईसीएमआर, सीएसआईआर और अन्य संबद्ध एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल कायम करने की प्रभावी रणनीति की जरूरत पर भी बल दिया.

उन्होंने वेंटिलेटर, परीक्षण किट, पीपीई स्वास्थ्य मंत्रालय और डीएसटी के बीच अंतर-विभागीय स्तर पर बेहतर तालमेल की सराहना की. उन्होंने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्यों में भी परीक्षण किट और अन्य जरूरी उपकरणों की आपूर्ति में कमी न हो. साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों एवं लद्दाख और अन्य संघ शासित क्षेत्रों को अतिरिक्त सहायता देने का भी निर्देश दिया जहां परीक्षण की सुविधा या प्रयोगशाला नहीं है.

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स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे देश में कोरोना वायरस के संकमण की परीक्षण सुविधाओं के बारे में आईसीएमआर द्वारा जारी दिशानिर्देशों के पालन की दैनिक समीक्षा भी करने को कहा, जिससे परीक्षण की गुणवत्ता को बरकरार रखा जा सके.

बैठक में उपस्थित आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि देश में इस समय 13 हजार परीक्षण प्रतिदिन की क्षमता के साथ सरकार की 129 प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं. इनमें एनएबीएल की मान्यताप्राप्त 49 प्रयोगशालाएं भी शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि देश में निजी प्रयोगशालाओं द्वारा 16 हजार केंद्रों से नमूने भी एकत्र किए जा रहे हैं. परीक्षण किट की पर्याप्त उपलब्धता की जानकारी देते हुए डॉ. भार्गव ने कहा कि अब तक देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के 38,442 परीक्षण किए जा चुके हैं. इनमें से 1334 परीक्षण निजी प्रयोगशालाओं में किए गए.

बैठक में मौजूद जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने बताया कि वेंटिलेटर और परीक्षण किट का देश में ही निर्माण कार्य तेज कर दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि देश में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 1250 से अधिक मामले आ चुके हैं और 32 लोगों की मौत हो गई है.

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