ETV Bharat / bharat

हिमाचल प्रदेश में मिले पाषण युग के दुर्लभ औजार - rare tools of stone age

हिमाचल प्रदेश के घुमारवीं की सीर खड्ड में पाषण युग के दुर्लभ औजार खोजे गए हैं. यह 1 लाख साल पहले के हेफ्टेड औजार बताए जा रहे हैं, जिसका खुलासा एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के पूर्व वरिष्ठ मानवविज्ञानी डॉ. अनेक राम सांख्यान ने किया है.

पाषण युग के दुर्लभ औजार
पाषण युग के दुर्लभ औजार
author img

By

Published : Oct 8, 2020, 7:54 PM IST

शिमला : हिमाचल प्रदेश के घुमारवीं सीर खड्ड में पाषण युग के दुर्लभ औजार खोजे गए हैं. यह एक लाख साल पुराने हेफ्टेड औजार बताए जा रहे हैं. इसका खुलासा एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के पूर्व वरिष्ठ मानव विज्ञानी डॉ. अनेक राम सांख्यान ने किया है.

डॉ. अनेक राम सांख्यान ने इन हेफ्टेड औजारों को ओएसएल तकनीक से 50 से 90 हजार वर्ष पूर्व का आंका है. डॉ. सांख्यान का दावा है कि यह भारत के उत्तर पश्चिमी उप हिमालय में पहली बार पाए गए हैं. इन औजारों का इस क्षेत्र में मिलना प्रागैतिहासिक मानव की विविध गतिविधियों का प्रमाण है.

पूर्व वरिष्ठ मानवविज्ञानी
डॉ. अनेक राम सांख्यान.

डॉ. अनेक राम सांख्यान घुमारवीं की सीर खड्ड घाटी में पिछले 5 सालों से जांच पड़ताल कर रहे थे. इस दौरान ही उन्हें कई महत्वपूर्ण पाषण युगीन आदिमानव के औजार मिले हैं. उन्होंने घुमारवीं से लेकर बम व जाहू तक 450 मध्य पुरापाषाण उपकरणों की खोज की है.

20 श्रेणियों के औजारों की पहचान

इस संग्रह में उन्होंने 20 श्रेणियों के औजारों की पहचान की, जिसमें 111 हेफ्टेड उपकरण हैं. लगभग चार में से एक उपकरण हेफ्टेड है. इनमें बड़े आकार की कुल्हाड़ी, भाले, तीर, फावड़े, मांस काटने के चौपर सहित अन्य औजार शामिल हैं. इन को हैफ्ट किया जा सकता है यानी एक डंडे के साथ बांधकर इस्तेमाल किया जाता है.

इन औजारों के अतिरिक्त घुमारवीं से अति दुर्लभ आरियां, कुदाल, चाकू, लारेल के पत्ते, तीखी धार वाली तलवारें, लकड़ी के शहतीर को फाड़ने वाली छैनी शामिल हैं. प्रेस की तरह भी एक उपकरण मिला है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे खाल को प्लेन किया जाता होगा.

पढ़ें- 'बाबा का ढाबा' का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों की लगी भीड़

डॉ. सांख्यान ने बताया कि पाषाण काल में आदि मानव पिछले 20 लाख वर्षों से हाथ से सीधे पकड़ कर इस्तेमाल करने वाले हैंडएक्स, चापर, स्क्रैपर आदि का उपयोग करता था. यह कम दूरी के शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. धीरे-धीरे खतरनाक जानवरों के साथ सीधे मुठभेड़ से बचने के लिए पाषण मानव ने इन्हें दूर से फेंकने की कला सीखी. उन्हें एक लकड़ी के साथ बांधने का विचार आया. इस तरह उसने एक हथौड़ा, कुल्हाड़ी, कुदाल, फावड़े का आविष्कार किया.

क्या है हेफ्टेड

हेफ्टेड यानी एक जस्ते या डंडे के साथ बांधकर इस्तेमाल करने वाला औजार. इनका ज्ञान आदिमानव को लगभग 1 लाख वर्ष पहले मध्य पाषाण युग में हुआ. डॉक्टर संख्यान ने घुमारवीं मिले हेफ्टेड औजार ओएसएल तकनीक से 50 से 90 हजार वर्षों के आंके हैं. कुछ जगहों जैसे पूर्वोत्तर भारत में हेफ्टिंग तकनीक बहुत समय बाद लगभग 2500 वर्ष पहले विकसित हुई.

इससे पहले हरितल्यागर में मिले थे जीवाश्म

डॉ. सांख्यान ने बताया कि इससे पहले घुमारवीं के हरितल्यागर में दुर्बल कपि मानवों के जीवाश्म मिले थे, जो मानव उदगम की आदिम भूमि जताते हैं. इस तरह की खोज देवभूमि हिमाचल को विश्व की प्राचीनतम आदिम भूमि का स्थान प्रदान करती है.

संग्राहालय की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए

डॉ. सांख्यान ने बताया कि दुर्भाग्यवश जीवाश्म संस्थानों की कमी के कारण यह अमूल्य जीवाश्म विदेशियों के संग्रहालय का आकर्षण बढ़ा रहे हैं. वहीं, रेता बजरी व पत्थर खनन से पाषाण उपकरण खत्म हो रहे हैं. इन को बचाने के लिए डॉ. सांख्यान ने वर्ष 2012 में घुमारवीं में पेलियो रिसर्च सोसाइटी का गठन किया, जिसके अंतर्गत 2017-18 में एक मिनी पेलियो म्यूजियम स्थापित किया गया है.

शिमला : हिमाचल प्रदेश के घुमारवीं सीर खड्ड में पाषण युग के दुर्लभ औजार खोजे गए हैं. यह एक लाख साल पुराने हेफ्टेड औजार बताए जा रहे हैं. इसका खुलासा एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के पूर्व वरिष्ठ मानव विज्ञानी डॉ. अनेक राम सांख्यान ने किया है.

डॉ. अनेक राम सांख्यान ने इन हेफ्टेड औजारों को ओएसएल तकनीक से 50 से 90 हजार वर्ष पूर्व का आंका है. डॉ. सांख्यान का दावा है कि यह भारत के उत्तर पश्चिमी उप हिमालय में पहली बार पाए गए हैं. इन औजारों का इस क्षेत्र में मिलना प्रागैतिहासिक मानव की विविध गतिविधियों का प्रमाण है.

पूर्व वरिष्ठ मानवविज्ञानी
डॉ. अनेक राम सांख्यान.

डॉ. अनेक राम सांख्यान घुमारवीं की सीर खड्ड घाटी में पिछले 5 सालों से जांच पड़ताल कर रहे थे. इस दौरान ही उन्हें कई महत्वपूर्ण पाषण युगीन आदिमानव के औजार मिले हैं. उन्होंने घुमारवीं से लेकर बम व जाहू तक 450 मध्य पुरापाषाण उपकरणों की खोज की है.

20 श्रेणियों के औजारों की पहचान

इस संग्रह में उन्होंने 20 श्रेणियों के औजारों की पहचान की, जिसमें 111 हेफ्टेड उपकरण हैं. लगभग चार में से एक उपकरण हेफ्टेड है. इनमें बड़े आकार की कुल्हाड़ी, भाले, तीर, फावड़े, मांस काटने के चौपर सहित अन्य औजार शामिल हैं. इन को हैफ्ट किया जा सकता है यानी एक डंडे के साथ बांधकर इस्तेमाल किया जाता है.

इन औजारों के अतिरिक्त घुमारवीं से अति दुर्लभ आरियां, कुदाल, चाकू, लारेल के पत्ते, तीखी धार वाली तलवारें, लकड़ी के शहतीर को फाड़ने वाली छैनी शामिल हैं. प्रेस की तरह भी एक उपकरण मिला है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे खाल को प्लेन किया जाता होगा.

पढ़ें- 'बाबा का ढाबा' का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों की लगी भीड़

डॉ. सांख्यान ने बताया कि पाषाण काल में आदि मानव पिछले 20 लाख वर्षों से हाथ से सीधे पकड़ कर इस्तेमाल करने वाले हैंडएक्स, चापर, स्क्रैपर आदि का उपयोग करता था. यह कम दूरी के शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. धीरे-धीरे खतरनाक जानवरों के साथ सीधे मुठभेड़ से बचने के लिए पाषण मानव ने इन्हें दूर से फेंकने की कला सीखी. उन्हें एक लकड़ी के साथ बांधने का विचार आया. इस तरह उसने एक हथौड़ा, कुल्हाड़ी, कुदाल, फावड़े का आविष्कार किया.

क्या है हेफ्टेड

हेफ्टेड यानी एक जस्ते या डंडे के साथ बांधकर इस्तेमाल करने वाला औजार. इनका ज्ञान आदिमानव को लगभग 1 लाख वर्ष पहले मध्य पाषाण युग में हुआ. डॉक्टर संख्यान ने घुमारवीं मिले हेफ्टेड औजार ओएसएल तकनीक से 50 से 90 हजार वर्षों के आंके हैं. कुछ जगहों जैसे पूर्वोत्तर भारत में हेफ्टिंग तकनीक बहुत समय बाद लगभग 2500 वर्ष पहले विकसित हुई.

इससे पहले हरितल्यागर में मिले थे जीवाश्म

डॉ. सांख्यान ने बताया कि इससे पहले घुमारवीं के हरितल्यागर में दुर्बल कपि मानवों के जीवाश्म मिले थे, जो मानव उदगम की आदिम भूमि जताते हैं. इस तरह की खोज देवभूमि हिमाचल को विश्व की प्राचीनतम आदिम भूमि का स्थान प्रदान करती है.

संग्राहालय की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए

डॉ. सांख्यान ने बताया कि दुर्भाग्यवश जीवाश्म संस्थानों की कमी के कारण यह अमूल्य जीवाश्म विदेशियों के संग्रहालय का आकर्षण बढ़ा रहे हैं. वहीं, रेता बजरी व पत्थर खनन से पाषाण उपकरण खत्म हो रहे हैं. इन को बचाने के लिए डॉ. सांख्यान ने वर्ष 2012 में घुमारवीं में पेलियो रिसर्च सोसाइटी का गठन किया, जिसके अंतर्गत 2017-18 में एक मिनी पेलियो म्यूजियम स्थापित किया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.