वॉशिंगटन/नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी द्वारा ड्रोन हमले में मारे गए ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी के नई दिल्ली से लेकर लंदन तक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का दावा किया है.
ट्रंप ने हालांकि सुलेमानी के हमले के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा. मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो ट्रंप संभवत: 2012 की उस घटना के बारे में कहना चाह रहे हों, जिसमें एक इजरायली राजनयिक को निशाना बनाया गया था. तेल येहूशुआ नाम की एक महिला जख्मी हो गई थी. हमला कार पर किया गया था. कार का ड्राइवर भी घायल हो गया था. कार में एक चुंबक के सहारे बम फिट किया गया था.
इस पूरे मामले पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी से ईटीवी भारत ने बातचीत की. कांग्रेस नेता ने कहा कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. अमेरिका चाहेगा की भारत और ईरान के रिश्ते खराब हो जाए. हमारी अपनी इंटेलिजेंस है. सच और झूठ का पता लगाना सरकार का काम है. यह बहुत जिम्मेदारी का मामला है. पीएम को इस पर सोच विचार करके कदम उठाना चाहिए.
आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा है कि ईरान के शक्तिशाली रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मारने का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का निर्णय रक्षात्मक था और इसे भविष्य में रक्तपात रोकने के लिए लिया गया था.
ब्रायन ने आरोप लगाया, 'पश्चिम एशिया के देशों में यात्रा कर रहा सुलेमानी दमिश्क से इराक आया था, जहां वह अमेरिकी जवानों और राजनयिकों पर हमले का षड्यंत्र रच रहा था.'
ट्रम्प ने बयान दिया था कि यह कार्रवाई युद्ध शुरू करने के लिए नहीं, बल्कि युद्ध रोकने के लिए की गई थी.
ब्रायन ने ट्रम्प के इसी बयान का जिक्र करते हुए कहा, 'इस हमले का लक्ष्य उन हमलों को रोकना था, जिनका षड्यंत्र सुलेमानी रच रहा था,. इसका लक्ष्य भविष्य में अमेरिकियों के खिलाफ ईरान के परोक्ष या आईआरजीसी कुद्स बल के जरिए किए जाने वाले प्रत्यक्ष हमले को रोकना था.'
उल्लेखनीय है कि जनरल सुलेमानी ईरान के अल-कुद्स बल के प्रमुख थे. शुक्रवार को बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से रवाना हुए उनके काफिले पर किए गए अमेरिकी ड्रोन हमले में वह मारे गए. हमले में ईरान के शक्तिशाली हशद अल-शाबी अर्द्धसैनिक बल के उप प्रमुख की भी मौत हो गई थी.