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तेजस्वी के 'डॉन' कभी नीतीश के 'सिपहसालार' हुआ करते थे - अमित भेलारी

अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार एक समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी थे और वह कुछ ऐसे ही थे जैसे लालू प्रसाद के मोहम्मद शहाबुद्दीन. लोग आज भी उस चर्चित तस्वीर को याद करते हैं, जिसमें नीतीश हाथ जोड़कर अनंत के सामने खड़े थे. लोग उस घटना को भी नहीं भूलते हैं, जिसमें अनंत सिंह ने वर्ष 2004 में एक चुनाव अभियान के दौरान नीतीश कुमार के बाढ़ के सरसोहरा गांव में पहुंचने पर उन्हें चांदी के सिक्कों से तौला था. अनंत सिंह के व्यक्तित्व और बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पढ़ें ब्यूरो चीफ अमित भेलारी की रिपोर्ट...

बिहार चुनाव में अनंत सिंह
बिहार चुनाव में अनंत सिंह
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Published : Oct 14, 2020, 6:01 AM IST

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार अनंत सिंह मोकामा सीट से राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उनका सामना जदयू के उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह से होगा. राजीव के पिता कभी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबी थे. अनंत सिंह के पिछले कामों के साथ तुलना करने पर मोकामा के शंकरटोला निवासी राजीव लोचन एक साफ छवि वाले नेता हैं. उनके पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बिन्नी बाबू वाजपेयी के काफी करीबी थे और वाजपेयी जब भी मोकामा जाते थे तो वे बिन्नी बाबू के आवास पर ही ठहरते थे.

इसके उलट अनंत सिंह को कट्टर प्रतिद्वंद्वी अपराधी विवेका पहलवान और नागा सिंह सहित कई अपराधी गिरोहों के साथ गैंगवार के लिए जाना जाता है. अनुमंडलीय शहर बाढ़ से करीब चार किमी दक्षिण लद्मा गांव के निवासी अनंत और विवेका के बीच प्रतिद्वंद्विता की लड़ाई में दर्जनों मारे गए. अनंत के बड़े भाई और वकील सच्चिदानंद सिंह उर्फ फाजो सिंह की हत्या में दोषी पाए जाने के बाद विवेका नौ साल तक जेल में रहा था. नीतीश ने उस समय फाजो सिंह के श्राद्ध में भी भाग लिया था.

अनंत वर्ष 2005 में जदयू के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे. वर्ष 2010 में भी वे मोकामा विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे. वर्ष 2005 में अनंत ने 35 हजार से अधिक मतों से लोजपा के उम्मीदवार और एक अन्य प्रतिद्वंद्वी नलिनी रंजन को हराया था. इसी तरह 2010 में उन्होंने रंजन की पत्नी सोनम देवी को हराया. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने उन्हें दरकिनार कर दिया, इसके बावजूद अनंत ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जदयू के उम्मीदवार नीरज कुमार को हराकर चुनाव जीता.

मोकामा ताल के लोगों के अब भी डॉन से नेता बने अनंत सिंह का नाम याद करते हुए रोंगटे खड़े हो जाते हैं. फिलहाल विवादास्पद विधायक पटना जिले स्थित अपने पैतृक घर लाडमा गांव से एके -47 और हथगोले की बरामदगी के बाद गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम ) अधिनियम (यूएपीए ) के तहत आरोप तय होने के बाद से जेल में हैं.

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अनंत के अपराध का सिलसिला 1976 में शुरू हुआ जब चोरी से संबंधित मामले में उनका नाम पहली बार सामने आया था. उन्होंने कुख्यात अपराधी के रूप में लोकप्रियता तब हासिल की जब उन्होंने बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या का मुन्नी लाल गिरोह से बदला लिया. वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले बच्छू सिंह की हत्या के बाद अनंत अधिक लोकप्रिय हो गए, क्योंकि उनके बड़े भाई (अब दिवंगत) दिलीप सिंह चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सूरजभान सिंह ने दिलीप को हरा दिया.

आपराधिक पृष्टभूमि वाले लोगों को टिकट देने के बारे में पूछे जाने पर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह पार्टी का फैसला था और हालात के अनुसार राजनीति में चीजें बदलती हैं. एक समय था जब राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने पिता की अनुपस्थिति में अनंत को 'बैड एलिमेंट' करार दिया था.

अनंत एक पत्रकार और कैमरामैन को अपने आवास पर बंदूक के कुंदे से पिटाई करने के बाद दो घंटे से अधिक समय तक बंधक बनाए रखने के लिए बिहार में काफी कुख्यात हैं.

यह ज्ञात तथ्य है कि विधायक बनने के बाद अनंत ने रियल एस्टेट के धंधे में प्रवेश किया और अब तक बहुत संपत्ति अर्जित की है. कुछ दिनों पहले दायर शपथ पत्र के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में उनकी संपत्ति में 2000 गुना वृद्धि हुई है. उनके पास 22 लाख 13 हजार 388 रुपये नकद हैं. 2005 में उनके पास केवल 3.40 लाख रुपये की संपत्ति थी. वे अभी 38 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.

अनंत ने 19-20 में 8.86 लाख रुपये का आईटी रिटर्न दाखिल किया था, जबकि उनकी पत्नी नीलम देवी ने 1.20 करोड़ रुपये का रिटर्न दाखिल किया था, तो कोई भी आसानी से यह अच्छी तरह से समझ सकता है कि बिहार में छोटे सरकार की मांद में पैसा कैसे बह रहा है.

अनंत के खिलाफ राज्य की राजधानी में शास्त्री नगर, एसके पुरी, कोतवाली और पाटलिपुत्र जैसे थानों में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली से संबंधित कई मामले दर्ज हैं. 10वीं भी पास नहीं कर सके विधायक को अपने आधिकारिक निवास पर घोड़े और सांप रखने के लिए भी जाना जाता है. वह स्टाइल में सिगरेट पीना, ब्रांडेड जूते और चश्मा पहनने के अलावा सफेद पतलून और शर्ट पहनना भी पसंद करते हैं. उन्हें तांगा (घोड़ा गाड़ी) चलाना भी पसंद है.

इस विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि मोकामा के लोग अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवार चुनते समय किस तरह का व्यवहार करते हैं, क्योंकि एक डॉन है और दूसरा अनंत के विपरीत स्वच्छ छवि और चमकते अतीत के रिकॉर्ड के साथ असली संत है.

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार अनंत सिंह मोकामा सीट से राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उनका सामना जदयू के उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह से होगा. राजीव के पिता कभी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबी थे. अनंत सिंह के पिछले कामों के साथ तुलना करने पर मोकामा के शंकरटोला निवासी राजीव लोचन एक साफ छवि वाले नेता हैं. उनके पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बिन्नी बाबू वाजपेयी के काफी करीबी थे और वाजपेयी जब भी मोकामा जाते थे तो वे बिन्नी बाबू के आवास पर ही ठहरते थे.

इसके उलट अनंत सिंह को कट्टर प्रतिद्वंद्वी अपराधी विवेका पहलवान और नागा सिंह सहित कई अपराधी गिरोहों के साथ गैंगवार के लिए जाना जाता है. अनुमंडलीय शहर बाढ़ से करीब चार किमी दक्षिण लद्मा गांव के निवासी अनंत और विवेका के बीच प्रतिद्वंद्विता की लड़ाई में दर्जनों मारे गए. अनंत के बड़े भाई और वकील सच्चिदानंद सिंह उर्फ फाजो सिंह की हत्या में दोषी पाए जाने के बाद विवेका नौ साल तक जेल में रहा था. नीतीश ने उस समय फाजो सिंह के श्राद्ध में भी भाग लिया था.

अनंत वर्ष 2005 में जदयू के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे. वर्ष 2010 में भी वे मोकामा विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे. वर्ष 2005 में अनंत ने 35 हजार से अधिक मतों से लोजपा के उम्मीदवार और एक अन्य प्रतिद्वंद्वी नलिनी रंजन को हराया था. इसी तरह 2010 में उन्होंने रंजन की पत्नी सोनम देवी को हराया. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने उन्हें दरकिनार कर दिया, इसके बावजूद अनंत ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जदयू के उम्मीदवार नीरज कुमार को हराकर चुनाव जीता.

मोकामा ताल के लोगों के अब भी डॉन से नेता बने अनंत सिंह का नाम याद करते हुए रोंगटे खड़े हो जाते हैं. फिलहाल विवादास्पद विधायक पटना जिले स्थित अपने पैतृक घर लाडमा गांव से एके -47 और हथगोले की बरामदगी के बाद गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम ) अधिनियम (यूएपीए ) के तहत आरोप तय होने के बाद से जेल में हैं.

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अनंत के अपराध का सिलसिला 1976 में शुरू हुआ जब चोरी से संबंधित मामले में उनका नाम पहली बार सामने आया था. उन्होंने कुख्यात अपराधी के रूप में लोकप्रियता तब हासिल की जब उन्होंने बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या का मुन्नी लाल गिरोह से बदला लिया. वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले बच्छू सिंह की हत्या के बाद अनंत अधिक लोकप्रिय हो गए, क्योंकि उनके बड़े भाई (अब दिवंगत) दिलीप सिंह चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सूरजभान सिंह ने दिलीप को हरा दिया.

आपराधिक पृष्टभूमि वाले लोगों को टिकट देने के बारे में पूछे जाने पर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह पार्टी का फैसला था और हालात के अनुसार राजनीति में चीजें बदलती हैं. एक समय था जब राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने पिता की अनुपस्थिति में अनंत को 'बैड एलिमेंट' करार दिया था.

अनंत एक पत्रकार और कैमरामैन को अपने आवास पर बंदूक के कुंदे से पिटाई करने के बाद दो घंटे से अधिक समय तक बंधक बनाए रखने के लिए बिहार में काफी कुख्यात हैं.

यह ज्ञात तथ्य है कि विधायक बनने के बाद अनंत ने रियल एस्टेट के धंधे में प्रवेश किया और अब तक बहुत संपत्ति अर्जित की है. कुछ दिनों पहले दायर शपथ पत्र के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में उनकी संपत्ति में 2000 गुना वृद्धि हुई है. उनके पास 22 लाख 13 हजार 388 रुपये नकद हैं. 2005 में उनके पास केवल 3.40 लाख रुपये की संपत्ति थी. वे अभी 38 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.

अनंत ने 19-20 में 8.86 लाख रुपये का आईटी रिटर्न दाखिल किया था, जबकि उनकी पत्नी नीलम देवी ने 1.20 करोड़ रुपये का रिटर्न दाखिल किया था, तो कोई भी आसानी से यह अच्छी तरह से समझ सकता है कि बिहार में छोटे सरकार की मांद में पैसा कैसे बह रहा है.

अनंत के खिलाफ राज्य की राजधानी में शास्त्री नगर, एसके पुरी, कोतवाली और पाटलिपुत्र जैसे थानों में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली से संबंधित कई मामले दर्ज हैं. 10वीं भी पास नहीं कर सके विधायक को अपने आधिकारिक निवास पर घोड़े और सांप रखने के लिए भी जाना जाता है. वह स्टाइल में सिगरेट पीना, ब्रांडेड जूते और चश्मा पहनने के अलावा सफेद पतलून और शर्ट पहनना भी पसंद करते हैं. उन्हें तांगा (घोड़ा गाड़ी) चलाना भी पसंद है.

इस विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि मोकामा के लोग अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवार चुनते समय किस तरह का व्यवहार करते हैं, क्योंकि एक डॉन है और दूसरा अनंत के विपरीत स्वच्छ छवि और चमकते अतीत के रिकॉर्ड के साथ असली संत है.

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