नई दिल्ली : आजादी के बाद पहली बार ऐसा होगा जब केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) के बाहर के निवासी से शादी करने वाली कश्मीरी महिलाओं के बच्चों को जल्द ही सभी लाभ मिलेंगे.
इसमें सरकारी नौकरियां पाने से लेकर अचल संपत्ति में अपना हिस्सा पाना तक शामिल है. ये फायदा उन्हें यहां के निवास प्रमाणपत्र के नियमों में किए गए बदलावों के कारण मिलेगा.
अगस्त 2019 के पहले तक केवल तत्कालीन राज्य के स्थायी निवासी ही सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति पाने के हकदार थे. इसके अलावा स्थायी निवासियों को ही यहां भूमि अधिग्रहण करने की पात्रता थी.
विवादास्पद अनुच्छेद 35 ए तत्कालीन राज्य के स्थायी निवासियों को ही विशेष अधिकार देता था. हालांकि, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कई कानूनों और नियमों को या तो निरस्त कर दिया गया था या उनमें यह सुनिश्चित करने के लिए संशोधन किए गए कि जम्मू और कश्मीर से बाहर शादी करने वाली महिलाओं को ये अधिकार समान रूप से मिले.
पिछले एक साल में इन नियमों में परिवर्तन के चलते जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों के साथ-साथ किसी राज्य में 15 साल से रह रहे लोग, 10 साल तक यहां काम करने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारी और कक्षा 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को प्रदेश में सरकारी नौकरी करने का अधिकार मिला है.
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साथ ही उन्हें छात्रवृत्ति और अचल संपत्तियों के अधिग्रहण का भी अधिकार मिल गया है.
इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के बाहर के निवासी से शादी करने वाली महिलाओं के बच्चों के लिए भी निवास प्रमाणपत्र पाना आसान हो गया है.
कानून और सामान्य प्रशासन विभाग के उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों के अनुसार, नियमों में हुए इन संशोधनों से ऐसी महिलाओं को भी लाभ होगा, जो जम्मू-कश्मीर की नहीं हैं लेकिन उनकी शादी यहां के पुरुषों से हुई है.
अधिकारियों ने कहा है कि ये सभी प्रस्तावित संशोधन अगले महीने में किए जाएंगे.
कठुआ-उधमपुर से भाजपा के लोक सभा सदस्य और राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और प्रमुख सचिव सुब्रमण्यम के साथ चर्चा के बाद यूटी सरकार ने निवासी प्रमाण पत्र के मामले में आसानी से नियमों में संशोधन करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति दे दी है.
प्रदेश के बाहर शादी करने वाली महिलाओं या अभिभावकों के बच्चों के लिए प्रमाण पत्र जारी करने के औपचारिक आदेश जारी किए जा रहे हैं.