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आम लोगों के मुकाबले डॉक्टरों की कोरोना से मौत 10 गुना ज्यादा - कोरोना का दूसरी लहर

कोरोना वायरस की वजह से किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा डॉक्टर्स की मौत भारत में हुई है. एक स्टडी के मुताबिक कोरोना संक्रमित हर तीन डॉक्टर्स में से एक डॉक्टर की मौत हो जाती है. अभी तक 515 डॉक्टर्स कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवा चुके हैं.

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Published : Oct 8, 2020, 8:39 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के दावे के मुताबिक कोरोना का दूसरा चरण समाप्त हो गया है और कोरोना के नए मरीजों की संख्या में अब गिरावट शुरू हो गई है, लेकिन बड़ी संख्या में डॉक्टर कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. कोरोना की वजह से काफी संख्या में डॉक्टरों की मौत भी हो रही है. ताजा आंकड़े के मुताबिक 515 डॉक्टर्स कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें से ज्यादातर वो हैं, जिनकी ड्यूटी कोविड एरिया में थी या जनरल प्रैक्टिशनर थे. इनमें भी ज्यादातर डॉक्टर पीडियाट्रिशियन थे.

कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित होने वाले डॉक्टरों के ऊपर एक स्वतंत्र स्टडी की गई. इसके मुताबिक पिछले छह महीने में मरने वाले हर तीन डॉक्टरों में एक डॉक्टर की संक्रमण के चलते मौत हो रही है. इस अध्ययन में 10 सितंबर तक के आंकड़ों को शामिल किया गया है. 10 सितंबर तक कुल 515 डॉक्टरों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई, जबकि 2,174 डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हुए.

डॉक्टर्स पर कोरोना का कहर

स्टडी का दिया हवाला

इस तरह से देखा जाए तो डॉक्टरों में कोरोना की वजह से मृत्यु दर 16.7 फीसदी है, जो सामान्य लोगों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है. आम लोगों के कोरोना संक्रमण से मरने की आशंका 1.7 फीसदी ही है. इतना बड़ा अंतर इसलिए है, क्योंकि आम लोग हाई रिस्क जोन में नहीं होते हैं, जबकि डॉक्टर हमेशा हाई रिस्क जोन में होते हैं.

एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने स्टडी के हवाले से बताया कि किसी भी देश के मुकाबले भारत में कोरोना की वजह से डॉक्टर्स की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. आज की तारीख तक 515 डॉक्टर्स कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवा चुके हैं.

पढ़ें :- कोरोना के खिलाफ मोदी के जनआंदोलन पर बोले शेखावत- बचाव ही उपाय

रेजिडेंट डॉक्टर हाउस सर्जन को छोड़कर जनरल प्रैक्टिस करने वाले 36.4 फीसदी डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हुए हैं, जो आम लोगों के मुकाबले 22 फीसदी अधिक है. इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना संक्रमण के शिकार हर तीन डॉक्टर में से एक डॉक्टर की मौत हो जाती है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह देश का हेल्थ सिस्टम खतरे में है.

युवा डॉक्टर संभालें मोर्चा

डॉ. अमरिंदर सिंह का मानना है कि जिन डॉक्टरों की उम्र 60 वर्ष से ऊपर की है, उन्हें इस कोरोना काल में प्रैक्टिस नहीं करनी चाहिए. ऐसे हालात में युवा डॉक्टरों को कमान संभालनी चाहिए, क्योंकि बड़ी उम्र के डॉक्टर्स को खतरा ज्यादा है. हालांकि, कम उम्र के डॉक्टर्स भी कोविड संक्रमित होकर अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है.

सबसे ज्यादा मौत जनरल प्रैक्टिस डॉक्टर्स की

स्टडी के मुताबिक कोरोना संक्रमण से मरने वाले डॉक्टरों में जनरल प्रैक्टिशनर 25, मेडिकल स्पेशलिस्ट 24, जनरल सर्जन एंड गाइनेकोलॉजिस्ट 16 और अनेस्थीसियोलॉजिस्ट 14 शामिल हैं.

जनरल प्रैक्टिशनर मेडिकल स्पेशलिस्ट और जनरल सर्जन कई तरह के मरीजों को देखना होता है, इसलिए ये डॉक्टर सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं. भारत में ज्यादा संख्या में मरीजों को देखने की वजह से जनरल प्रैक्टिशनर कोरोना के सबसे ज्यादा निशाने पर हैं. इसके अलावा डेंटिस्ट, ईएनटी सर्जन और एनएसथीसियोलॉजी भी हाई रिस्क पर होते हैं.

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के दावे के मुताबिक कोरोना का दूसरा चरण समाप्त हो गया है और कोरोना के नए मरीजों की संख्या में अब गिरावट शुरू हो गई है, लेकिन बड़ी संख्या में डॉक्टर कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. कोरोना की वजह से काफी संख्या में डॉक्टरों की मौत भी हो रही है. ताजा आंकड़े के मुताबिक 515 डॉक्टर्स कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें से ज्यादातर वो हैं, जिनकी ड्यूटी कोविड एरिया में थी या जनरल प्रैक्टिशनर थे. इनमें भी ज्यादातर डॉक्टर पीडियाट्रिशियन थे.

कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित होने वाले डॉक्टरों के ऊपर एक स्वतंत्र स्टडी की गई. इसके मुताबिक पिछले छह महीने में मरने वाले हर तीन डॉक्टरों में एक डॉक्टर की संक्रमण के चलते मौत हो रही है. इस अध्ययन में 10 सितंबर तक के आंकड़ों को शामिल किया गया है. 10 सितंबर तक कुल 515 डॉक्टरों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई, जबकि 2,174 डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हुए.

डॉक्टर्स पर कोरोना का कहर

स्टडी का दिया हवाला

इस तरह से देखा जाए तो डॉक्टरों में कोरोना की वजह से मृत्यु दर 16.7 फीसदी है, जो सामान्य लोगों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है. आम लोगों के कोरोना संक्रमण से मरने की आशंका 1.7 फीसदी ही है. इतना बड़ा अंतर इसलिए है, क्योंकि आम लोग हाई रिस्क जोन में नहीं होते हैं, जबकि डॉक्टर हमेशा हाई रिस्क जोन में होते हैं.

एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने स्टडी के हवाले से बताया कि किसी भी देश के मुकाबले भारत में कोरोना की वजह से डॉक्टर्स की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. आज की तारीख तक 515 डॉक्टर्स कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवा चुके हैं.

पढ़ें :- कोरोना के खिलाफ मोदी के जनआंदोलन पर बोले शेखावत- बचाव ही उपाय

रेजिडेंट डॉक्टर हाउस सर्जन को छोड़कर जनरल प्रैक्टिस करने वाले 36.4 फीसदी डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हुए हैं, जो आम लोगों के मुकाबले 22 फीसदी अधिक है. इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना संक्रमण के शिकार हर तीन डॉक्टर में से एक डॉक्टर की मौत हो जाती है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह देश का हेल्थ सिस्टम खतरे में है.

युवा डॉक्टर संभालें मोर्चा

डॉ. अमरिंदर सिंह का मानना है कि जिन डॉक्टरों की उम्र 60 वर्ष से ऊपर की है, उन्हें इस कोरोना काल में प्रैक्टिस नहीं करनी चाहिए. ऐसे हालात में युवा डॉक्टरों को कमान संभालनी चाहिए, क्योंकि बड़ी उम्र के डॉक्टर्स को खतरा ज्यादा है. हालांकि, कम उम्र के डॉक्टर्स भी कोविड संक्रमित होकर अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है.

सबसे ज्यादा मौत जनरल प्रैक्टिस डॉक्टर्स की

स्टडी के मुताबिक कोरोना संक्रमण से मरने वाले डॉक्टरों में जनरल प्रैक्टिशनर 25, मेडिकल स्पेशलिस्ट 24, जनरल सर्जन एंड गाइनेकोलॉजिस्ट 16 और अनेस्थीसियोलॉजिस्ट 14 शामिल हैं.

जनरल प्रैक्टिशनर मेडिकल स्पेशलिस्ट और जनरल सर्जन कई तरह के मरीजों को देखना होता है, इसलिए ये डॉक्टर सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं. भारत में ज्यादा संख्या में मरीजों को देखने की वजह से जनरल प्रैक्टिशनर कोरोना के सबसे ज्यादा निशाने पर हैं. इसके अलावा डेंटिस्ट, ईएनटी सर्जन और एनएसथीसियोलॉजी भी हाई रिस्क पर होते हैं.

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