रांची : झारखंड में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच बोकारो जिले में 24 वर्षीय गर्भवती महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने पर डॉक्टर्स और स्टाफ उसे प्रसव पीड़ा में तड़पता छोड़ भाग गए. घटना बोकारो सदर हॉस्पिटल की है, जहां झोपड़ी कॉलोनी की रहने वाली महिला शुक्रवार देर रात प्रसव पीड़ा में तड़पते हुए सदर हॉस्पिटल आई.
उसकी स्तिथि देखते हुए उसे एडमिट किया गया. जांच के दौरान डॉक्टरों ने कहा कि महिला का ऑपरेशन करना पड़ेगा. इस बाबत एहतियातन कोविड-19 टेस्ट कराया गया, जिसमें उसके कोरोना संक्रमित होने की बात सामने आई. रिपोर्ट आने के बाद उसका ऑपरेशन करने की बजाए डॉक्टर्स, स्टाफ उसको दर्द में तड़पता छोड़ भाग गए. कोई भी उसको सुनने और देखने को तैयार नहीं था.
भाग गए डॉक्टर्स और स्टाफ
घबराए परिजन ने सिविल सर्जन डॉ एके पाठक को पूरे मामले की जानकारी दी और मदद की गुहार लगाई. सीएस ने भी उन डॉक्टरों को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो नहीं माने. उन्होंने उन्हें प्रोटोकॉल के बारे में बताते हुए PPE किट पहनकर सर्जरी करने को कहा फिर भी डॉक्टर्स सर्जरी को राजी नहीं हुए. जिसके बाद सीएस ने उक्त महिला को रांची रिम्स भेज दिया, जहां महिला का प्रसव कराया गया.
सीएस की सफाई
वहीं, इस मामले में सीएस डॉ अशोक कुमार पाठक ने बताया कि महिला का रिपोर्ट पॉजिटिव आया था, जिसके बाद सभी चिकित्सक तैयार थे, लेकिन एनेस्थेटिक उपलब्ध नहीं होने के कारण डिलीवरी नहीं कराया जा सका. उन्होंने कहा कि कोई भी चिकित्सक और नर्स यहां से नहीं भागे थे. उन्होंने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सदर अस्पताल में एक ऑपरेशन थिएटर होने के कारण पॉजिटिव केस को ऑपरेट किया जाता तो उसे दूसरे दिन सील किया जा सकता था.
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स्वास्थ्य सेवा पर सवाल
बहरहाल, सीएस का दवा जो भी हो, लेकिन जिस तरह से एक प्रसव पीड़ा में तड़पती महिला को रांची रिम्स भेजने को स्वास्थ्य विभाग मजबूर हो गया. ऐसे में स्वास्थ्य सेवा पर जरूर सवाल खड़ा हो रहा है.