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अयोध्या विवाद फैसले पर नहीं मनाएंगे जश्न, देशभर में NRC का समर्थन : RSS

राजधानी दिल्ली में आयोजित एक बैठक में आरएसएस ने निर्णय लिया है कि वह अयोध्या विवाद का फैसला हिन्दुओं के पक्ष में आने पर जश्न नहीं मनाएगा. इसके साथ ही संघ ने देशभर में एनआरसी लागू करने का समर्थन किया है. जानें पूरा विवरण...

मोहन भागवत और अमित शाह
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Published : Nov 4, 2019, 4:13 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि अयोध्या विवाद का फैसला यदि हिन्दुओं के पक्ष में जाता है तो भी देशभर में 'जश्न का जुलूस' नहीं निकाला जाएगा. इसके साथ ही आरएसएस ने देशभर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने का भी समर्थन किया है.

सरसंघचालक मोहन भागवत की मौजूदगी में आरएसएस की समन्व्य समिति की राजधानी में हुई बैठक में ये दो अहम निर्णय लिये गये. विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) भी इस बैठक का हिस्सा थी, क्योंकि वह आरएसएस की प्रमुख शाखा है.

दो दिनों तक चली बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि 17 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हैं, तब भी न तो आरएसएस और न ही उसकी शाखा विहिप द्वारा जश्न का जुलूस निकाला जाएगा.

यह फैसला आरएसएस के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उसने कहा था कि सभी को फैसले का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही आरएसएस ने देशभर से शांति और सद्भाव बनाये रखने के लिए अपील की थी. इस निर्णय ने न केवल भारतीय जनता पार्टी को राहत दी बल्कि उसके चेहरे पर मुस्कान भी ला दी.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्न मोदी ने हाल ही में अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित 'परिपक्वता' की प्रशंसा की थी, इसके बाद मामले की चुनौती शीर्ष अदालत में दी गयी थी.

पढ़ें : NRC भविष्य का मूल दस्तावेज, मीडिया की कुछ रिपोर्टिंग से बिगड़े हालात : सीजेआई

बता दें कि अक्टूबर में मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

आरएसएस की इस बैठक में भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी नड्डा और महासचिव बी.एल संतोष उपस्थित थे.

गौरतलब है कि यह महत्वपूर्ण बैठक हरिद्वार में होने वाली थी, लेकिन संघ ने इस कार्यक्रम और अंतिम निर्णय से पहले होने वाली समारोह को रद्द कर दिया है और भारत भर में एनआरसी की तरफ जाने के लिए कहा है.

भाजपा के वैचारिक गुरु से लेकर विहिपि, राम जन्म भूमि आंदोलन जैसे तमाम अति राष्ट्रवादी सहयोगियों के 'नो सेलिब्रेशन' (जश्न नहीं) के फरमान जारी करने से कानून व्यवस्था के मामले में मोदी सरकार के लिए राहत की बात है. यह देश भर में एनआरसी का समर्थन है. यह निश्चित रूप से भगवा पार्टी के चेहरे पर मुस्कान लाई है.

इस बैठक में आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व कर्ता सम्मलित थे. उन्होंने देश से घुसपैठिएं निकालने के लिए असम की तरह पूरे देश में एनआरसी लागू करने का समर्थन किया है.

पढ़ें : असम के लोगों को पूर्व सीएम तरुण गोगोई का साथ, NRC के प्रकाशन से पहले दिया आश्वासन

बैठक में शामिल एक सूत्र ने कहा कि उपस्थित लोगों का समर्थन एक था यहां तक की वहां पर 'भारत माता का जय' का नारा लगाया गया.

यह पहली बार नहीं है जब आरएसएस ने एनआरसी के समर्थन में आया है.

गत अगस्त में असम में एनआरसी लागू किया था. इसमें 19 लाख लोगों के नाम छूट गए हैं. इस मामले में असम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, बिपल्ब देब ने मोहन भागवत से सितंबर में मुलाकात की थी.

नागरिकता संशोधन विधेयक का हवाला देते हुए मोहन भागवत ने कहा था, असम एनआरसी से बचे किसी भी हिंदू को भारत से निष्कासन का सामना नहीं करना पड़ेगा.

लेकिन इस बार हुई आरएसएस की बैठक ने देश भर में एनआरसी लागू करने का समर्थन किया है. बैठक में उपस्थित अमित शाह ने भी इसका समर्थन किया है.

पढ़ें ः बंगाल में NRC के मुद्दे पर लोगों को गुमराह किया गया : अमित शाह

हरियाणा चुनाव से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार पूरे देश में एनआरसी लागू करने के लिए तैयारी कर रहा है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि अयोध्या विवाद का फैसला यदि हिन्दुओं के पक्ष में जाता है तो भी देशभर में 'जश्न का जुलूस' नहीं निकाला जाएगा. इसके साथ ही आरएसएस ने देशभर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने का भी समर्थन किया है.

सरसंघचालक मोहन भागवत की मौजूदगी में आरएसएस की समन्व्य समिति की राजधानी में हुई बैठक में ये दो अहम निर्णय लिये गये. विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) भी इस बैठक का हिस्सा थी, क्योंकि वह आरएसएस की प्रमुख शाखा है.

दो दिनों तक चली बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि 17 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हैं, तब भी न तो आरएसएस और न ही उसकी शाखा विहिप द्वारा जश्न का जुलूस निकाला जाएगा.

यह फैसला आरएसएस के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उसने कहा था कि सभी को फैसले का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही आरएसएस ने देशभर से शांति और सद्भाव बनाये रखने के लिए अपील की थी. इस निर्णय ने न केवल भारतीय जनता पार्टी को राहत दी बल्कि उसके चेहरे पर मुस्कान भी ला दी.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्न मोदी ने हाल ही में अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित 'परिपक्वता' की प्रशंसा की थी, इसके बाद मामले की चुनौती शीर्ष अदालत में दी गयी थी.

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बता दें कि अक्टूबर में मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

आरएसएस की इस बैठक में भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी नड्डा और महासचिव बी.एल संतोष उपस्थित थे.

गौरतलब है कि यह महत्वपूर्ण बैठक हरिद्वार में होने वाली थी, लेकिन संघ ने इस कार्यक्रम और अंतिम निर्णय से पहले होने वाली समारोह को रद्द कर दिया है और भारत भर में एनआरसी की तरफ जाने के लिए कहा है.

भाजपा के वैचारिक गुरु से लेकर विहिपि, राम जन्म भूमि आंदोलन जैसे तमाम अति राष्ट्रवादी सहयोगियों के 'नो सेलिब्रेशन' (जश्न नहीं) के फरमान जारी करने से कानून व्यवस्था के मामले में मोदी सरकार के लिए राहत की बात है. यह देश भर में एनआरसी का समर्थन है. यह निश्चित रूप से भगवा पार्टी के चेहरे पर मुस्कान लाई है.

इस बैठक में आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व कर्ता सम्मलित थे. उन्होंने देश से घुसपैठिएं निकालने के लिए असम की तरह पूरे देश में एनआरसी लागू करने का समर्थन किया है.

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बैठक में शामिल एक सूत्र ने कहा कि उपस्थित लोगों का समर्थन एक था यहां तक की वहां पर 'भारत माता का जय' का नारा लगाया गया.

यह पहली बार नहीं है जब आरएसएस ने एनआरसी के समर्थन में आया है.

गत अगस्त में असम में एनआरसी लागू किया था. इसमें 19 लाख लोगों के नाम छूट गए हैं. इस मामले में असम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, बिपल्ब देब ने मोहन भागवत से सितंबर में मुलाकात की थी.

नागरिकता संशोधन विधेयक का हवाला देते हुए मोहन भागवत ने कहा था, असम एनआरसी से बचे किसी भी हिंदू को भारत से निष्कासन का सामना नहीं करना पड़ेगा.

लेकिन इस बार हुई आरएसएस की बैठक ने देश भर में एनआरसी लागू करने का समर्थन किया है. बैठक में उपस्थित अमित शाह ने भी इसका समर्थन किया है.

पढ़ें ः बंगाल में NRC के मुद्दे पर लोगों को गुमराह किया गया : अमित शाह

हरियाणा चुनाव से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार पूरे देश में एनआरसी लागू करने के लिए तैयारी कर रहा है.

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Don't celebrate verdict, go for pan-India NRC: RSS

New Delhi, Nov 1 (IANS) The Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) in its key meeting held here in the national capital has taken two key decisions that not only gave a breather to the Bharatiya Janata Party but also brought a smile to its face.





Apart from taking a unanimous decision not to take out celebratory processions across India, if the Ayodhya title suit verdict goes in favour of the Hindus, it has also backed a nationwide National Register of Citizens (NRC).



"No celebratory marches"

This decision was taken in the RSS coordination committee meeting that was attended by Sangh chief Mohan Bhagwat.



The Vishwa Hindu Parishad core group was also part of the meeting, as were the heads of RSS affiliates. In the two-day meeting it was decided that neither RSS, nor RSS affiliates including the Vishwa Hindu Parishad will take out celebratory marches, if the Supreme Court gives a favourable verdict for them ahead of Chief Jutice Ranjan Gogoi stepping down on November 17.



This decision comes days after the RSS in a statement appealed to everyone to "respect the verdict, whichever way it comes" and to "maintain peace and harmony" across India.



Prime Minister Narendra Modi too, earlier in his Radio talkshow 'Maan Ki Baat' praised the "maturity" shown by political parties after the Allahabad High Court verdict of the Ayodhya title dispute came, that later was challenged in the apex court and now it has reserved its verdict after a marathon hearing ended in October.



The meeting was also attended by key BJP leaders like its president Amit Shha, party's working president J.P. Nadda and General Secretary (organisation) B.L. Santosh.



Earlier this key meeting was suppose to take place in Haridwar, but the Sangh cancelled the venue and any other major events ahead of the final verdict.



"Go for nationwide NRC"

If 'no celebration' diktat from BJP's ideological mentor to all its hyper nationalist affiliates including VHP, that led the Ram Janambhoomi movement, was a breather for the Modi government in terms of law and order; it's endorsement of the nationwide NRC has surely brought smile on the saffron party's face.



The meeting that was attended by the RSS and BJP top leadership backed a nationwide imitation of National Register of Citizens (NRC), adapting the Assam model to root out "ghuspethiyan" (illegal immigrants).



A source, who attended the meeting said, the endorsement was unanimous and even some attendees chanted "Bharat Mata Ki Jai".



This is not the first time though an endorsement from the RSS has come for the NRC.



Earlier in September, Assam Chief Minister Sarbananda Sonowal and his Tripura counterpart Biplab Deb met Bhagwat over the issue of NRC that left out more than 19 lakh people, mostly Hindu Bengalis.



Following which Bhagwat had said, "No Hindus left out of NRC in Assam will face expulsion from India", referring to the Citizenship Amendment Bill.



But this time around, the endorsement of a nationwide NRC coming from a RSS meeting attended by Bhagwat himself assumes huge significance. Shah, who was also part of the same meeting has been vouching for the same.



Just days ahead of the Haryana polls, Shah who is also the Union Home Minister said the Centre was "preparing" for nationwide NRC.


Conclusion:
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