चेन्नई : तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं करने के केंद्र के फैसले की निंदा की है और ऐसे मामलों पर विपक्षी दलों की 'अनदेखी' कर 'दादागिरी' का रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
डीएमके सांसद एवं संसदीय दल के नेता टीआर बालू ने गुरुवार को कहा कि संसद में किसानों के विरोध और चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी थी. उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंता की बात है कि केंद्र की भाजपा सरकार शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं करना चाहती है.
बालू ने कहा कि सरकार ने इस मामले पर डीएमके सहित विपक्षी दलों से सलाह नहीं ली, जो स्वीकार्य नहीं है. सरकार ने पहले विपक्ष को बताया था कि कोविड-19 महामारी के कारण इस साल संसद का शीतकालीन सत्र नहीं आयोजित किया जाएगा और जनवरी 2021 में बजट सत्र बुलाया जाएगा.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि उन्होंने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के संसदीय दल के नेताओं से संपर्क किया था. उन्होंने चल रही महामारी के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं और शीतकालीन सत्र को रद्द करने की राय दी है.
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बृहस्पतिवार को यहां एक बयान में बालू ने कहा कि डीएमके की ओर से कोरोना महामारी का हवाला देते हुए संसद का शीतकालीन सत्र रद्द करने के भाजपा सरकार के कदम की मैं कड़ी निंदा करता हूं.
उच्चतम न्यायालय द्वारा किसानों के मुद्दे को जल्द ही राष्ट्रीय मुद्दा बनने की संभावना जताने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय खुद असाधारण स्थिति के बीच समाधान तलाशने के लिए आगे आ रहा है, तो सरकार का संसद सत्र रद्द करना निंदनीय है.
बालू ने कहा कि लोकतंत्र देश का 'दिल' है और संसद में सार्थक चर्चा के लिए यह धड़क रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका एहसास नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल और विपक्ष भारत के शक्तिशाली लोकतंत्र के दो पहिए हैं, लेकिन जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से लोकतांत्रिक लोकाचार को कुचला जा रहा है.'
बालू ने कहा कि केंद्र को विपक्ष की अनदेखी करने और विचारों और लोकतंत्र के रास्ते पर अपने ‘दादागीरी के रवैये’ को रोकना चाहिए.