अमृतसर: ऑपरेशन ब्लू स्टार की 32वीं बरसी पर शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आज नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात में बादल ने शाह से ऑपरेशन ब्लू स्टार पर उचित जांच करने की मांग की.
इससे पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर गुरुवार को अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब में सिख समुदाय के लोगों के बीच झड़प हो गई. दरअसल, कुछ लोग मंदिर में जरनैल सिंह भिंडरावाला की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनकर पहुंचे और 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे भी लगाए.
इस दौरान वहां तलवारें भी लहराई गई. घटना में कई लोग घायल हो गए हैं. इस झड़प में स्वर्ण मंदिर की रेलिंग भी टूट गई. मामला बिगड़ता देख घटनास्थल पर मौजूद पुलिस ने किसी तरह से मामला शांत कराया.
जानकारी के मुताबिक, अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए लोगों के परिवारों को सम्मानित कर रहे थे. तभी खालसा के जत्थेदार ने ध्यान सिंह मंड अकाल तख्त के नीचे खड़े होकर संदेश पढ़ना शुरु कर दिया.
जब उनको शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकारियों ने रोकने की कोशिश की तो ध्यान सिंह के समर्थकों ने नारेबाजी शुरु करदी. इस दौरान जमकर धक्का मुक्की हुई और तलवारें व कृपाणें भी लहराई गईं.
बता दें कि आज ऑपरेशन ब्लू स्टार की 32वीं बरसी है. 6 जून 1984 को पंजाब के अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को खालिस्तान समर्थकों जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया था.
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स्वर्ण मंदिर को चरमपंथियों से स्वतंत्र करवाने के लिए 3 जून 1984 ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरु किया गया. सेनाध्यक्ष जनरल बरार की अगुवाई में सेना को स्वर्ण मंदिर चर्मपंथियों से मुक्त कराने का जिम्मा सौंपा गया. 3 जून की शाम सेनाध्यक्ष जनरल बरार अगुवाई में सेना ने अमृतसर में दाखिल हुई और टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों का उपयोग किया.
तीन दिन चली लड़ाई के बाद आखिरकार भिंडारावाला को सेना ने मार गिराया. लेकिन इस दौरान स्वर्ण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा और जानमाल का भी काफी नुकसान हुआ.
इस अभियान में करीब 492 लोगों की जान गई. साथ ही सेना चार अधिकारियों सहित 83 जवान भी शहीद हुए.
किस वजह से हुआ था ऑपरेशन
दरअसल, 1983 में डीआईजी एएस अटवाल की हत्या कर दी गई थी जिससे माहौल काफी खराब हो गया था. इतना ही नहीं उसी सील पंजाब के जालंधर में कुछ बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस में हिंदुओं की हत्या कर डाली. इस दौरान कई विमान हाईजैक किए गए. स्थिति को काबू से बाहर जाते देख केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया.
इस बीच भिंडरावाला ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया था. सरकार के रडार पर आ चुके चर्मपंथियों के कब्जे मे आजाद कराने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार बनाया गया.
ऑपरेशन के बाद लोगों में आक्रोश
सेना की कारवाई के बाद सरकार ने एक श्वेत पत्र जारी कर कहा कि इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए और 248 अन्य सैनिक घायल हुए जबकि 492 लोगों को मौत हो गई है. इसके अलावा करीब 1562 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस ऑपरेशन से आक्रोशित लोगों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी. नतीजन देश भर में दंगे भड़क उठे.
कौन था भिंडरावाला?
दरअसल , बंटवारे के दौरान ही पंजाब में कट्टरपंथी विचारधारा पनपने लगी थी. जिस समय अकाली अलग सिख राज्य की मांग कर रहे थे उसी समय दमदमी टकसाल में जरनैल सिंह भिंडरावाला सिख धर्म की पढ़ाई करने आया. वो अपनी कट्टर आस्था के चलते लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. इसकी लोकप्रियाता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब टकसाल के गुरु का निधन हुआ तो भिंडरावाला को टकसाल प्रमुख का दर्जा मिला. इसके बाद उसकी लोकप्रियता में काफी तेजी से इजाफा हुआ. उसको देश विदेश से समर्थन मिलने लगा.