नई दिल्ली : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित लोगों ने आज नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर काला दिवस मनाया. यह दिवस 22 अक्टूबर 1947 में पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद जिले में हुई उनपर हिंसक कार्रवाई के विरोध में है. पीओके से विस्थापित लोगों के संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि जम्मू कश्मीर के इतिहास में कोई काला दिवस है तो 22 अक्टूबर 1947 है जब पाकिस्तान ने हम नर्दोंष लोगों पर हमला किया.
हजारों की संख्या में जंतर मंतर पर इक्टठा हुए लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए.
एसओएस इंटरनेशनल (पीओके से विस्थापित लोगों के लिए एक संगठन) के अध्यक्ष राजीव चुनी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार में हर कोई पीओके को वापस लेने का दावा कर रहा है, लेकिन कोई भी पीओके से विस्थापित लोगों के बारे में नहीं सोच रहा है. विस्थापित लोग 72 सालों से अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
राजीव चुनी ने कहा कि वर्तमान में विस्थापित लोगों की संख्या देश भर में 13 लाख है. सरकार हमें स्थायी जगह न दें लेकिन सहारा तो दे. सत्ता में रहने वाले लोग पीओके को अपना बताते हैं तो उस क्षेत्र के लोग भी तो हुए. तो उन लोगों पर सरकार क्यों मदद नहीं करती है.
जम्मू कश्मीर की विधानसभा सीटों में हमारे लिए 24 सीटें रखी हुई है उनमें से 8 सीटें हमें दीजिए और उस पर चुनाव कराइए. इसके लिए हमने 2018 में चुनाव आयोग से भी बात किया था. उन्होंने कहा क्षेत्र तो सीमा पार है. तो हमने कहा देश भर में जितने विस्थापित लोग सब अपनी अपनी जगह से मतदान करेंगे और खाली पड़ी 24 सीटों में से दीजिए.
हमे अपने प्रत्याशी भी नहीं खड़े कर सकते हैं क्योकि विस्थापित लोग देश भर में है. कहीं 100 परिवार तो कही 50 परिवार है.
सुरजीत सिंह ने कहा कि सरकार जो पैकेज जम्मू कश्मीर के लोगों दी रखी है वहीं पैकेज विस्थापित लोगों को दिया जाए जैसे राशन शिक्षा रोजगार आदि सुविधाएं हमें भी दी जाए.
गौरतलब है कि पाकिस्तान से विस्थापित लोग देश के विभिन्न राज्यों में अस्थायी तौर पर रह रहे हैं. उन लोगों का कहना है उन्हें पाकिस्तान स्थित उनके धार्मिक स्थानों पर जाने की अनुमति दी जाए.