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चीन के साथ बढ़ रहे तनाव के बीच भारत को मिला अमेरिका का साथ

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Published : Jul 10, 2020, 10:38 PM IST

गलवान घाटी में जो कुछ भी हुआ वह जग जाहिर है. इसके बाद अमेरिका ने भी चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ आक्रमक रूख अपनाया. सीमा विवाद को लेकर बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका कई मोर्चों पर भारत के साथ खड़ा दिखा.

भारत को मिला अमेरिका का साथ
भारत को मिला अमेरिका का साथ

हैदराबाद : भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिसंक झड़प को लेकर चीन के खिलाफ अमेरिका आक्रामक रुख इख्तियार करते हुए कम्युनिस्ट शासन पर प्रतिबंध लगाते हुए दक्षिणी चीन सागर में सैन्य अभ्यास शुरू किया. सीमा विवाद को लेकर उत्पन्न तनाव के बीच अमेरिका भारत के साथ खड़ा दिखा.

इस बीच वाशिंगटन ने जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाले कथित मानवाधिकार हनन की जांच के लिए अमेरिका द्वारा भेजे गए तीन अधिकारियों को चीन ने गिरफ्तार कर लिया है.

इससे पहले अमेरिका ने चीनी अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था.

चीन पर ट्रंप प्रशासन की हालिया आक्रामक कार्रवाइयों ने संभवतः चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से बात करने के लिए मजबूर कर दिया था. दोनों नेताओं के बीच हुई चर्चा में कहा गया था कि बीजिंग और मॉस्को को वैश्विक स्थितियों को बदलते हुए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है.

बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच वार्ता के बाद दोनों देशों की सेनांए पीछे हट गईं.

पढ़ें - 'कोरोना कवच' या 'कोरोना रक्षक': आपको किस बीमा पॉलिसी का विकल्प चुनना चाहिए?

गौरतलब है कि सैनिकों की खींचतान के ठीक एक दिन पहले, दो अमेरिकी विमान वाहक दक्षिण चीन सागर में अभ्यास कर रहे थे.

सीमा विवाद को लेकर बीजिंग के खिलाफ वाशिंगटन की कार्रवाई की एक श्रृंखला दिखाती है कि वैश्विक संबंधों के संदर्भ में नई दिल्ली के साथ अमेरिका की निकटता बढ़ रही है.

हैदराबाद : भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिसंक झड़प को लेकर चीन के खिलाफ अमेरिका आक्रामक रुख इख्तियार करते हुए कम्युनिस्ट शासन पर प्रतिबंध लगाते हुए दक्षिणी चीन सागर में सैन्य अभ्यास शुरू किया. सीमा विवाद को लेकर उत्पन्न तनाव के बीच अमेरिका भारत के साथ खड़ा दिखा.

इस बीच वाशिंगटन ने जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाले कथित मानवाधिकार हनन की जांच के लिए अमेरिका द्वारा भेजे गए तीन अधिकारियों को चीन ने गिरफ्तार कर लिया है.

इससे पहले अमेरिका ने चीनी अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था.

चीन पर ट्रंप प्रशासन की हालिया आक्रामक कार्रवाइयों ने संभवतः चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से बात करने के लिए मजबूर कर दिया था. दोनों नेताओं के बीच हुई चर्चा में कहा गया था कि बीजिंग और मॉस्को को वैश्विक स्थितियों को बदलते हुए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है.

बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच वार्ता के बाद दोनों देशों की सेनांए पीछे हट गईं.

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गौरतलब है कि सैनिकों की खींचतान के ठीक एक दिन पहले, दो अमेरिकी विमान वाहक दक्षिण चीन सागर में अभ्यास कर रहे थे.

सीमा विवाद को लेकर बीजिंग के खिलाफ वाशिंगटन की कार्रवाई की एक श्रृंखला दिखाती है कि वैश्विक संबंधों के संदर्भ में नई दिल्ली के साथ अमेरिका की निकटता बढ़ रही है.

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