नई दिल्ली : इजरायली मीडिया ने दावा किया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल, यूरोप और नाटो को कोरोना महामारी की चेतावनी समय रहते ही दे दी गई थी, लेकिन सबने इसे नजरअंदाज कर दिया. एक अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने नवंबर 2019 में यह जानकारी दी थी.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी एजेंसी नेशनल सेंटर फॉर मेडिकल इंटेलिजेंस (NCMI) ने नवंबर में चेतावनी के दस्तावेज तैयार किए थे. जिसे तुरंत व्हाइट हाउस पहुंचाया गया था. हालांकि इस बात से अवगत होने के बावजूद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे अनदेखा कर दिया.
इस पर कार्रवाई नहीं करने के बावजूद, अमेरिकी सरकार ने अपने सहयोगियों - 30 नाटो देशों और इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) को इस महामारी को लेकर सख्त चेतावनी दी थी. IDF ने तेल अवीव को इसकी सूचना दी.
यह अजीब बात थी कि एक तरफ अमेरिका ने इस पर कोई कार्रवाई करने का फैसला नहीं किया. जबकिन इजरायल ने कुछ भी नहीं करने का निर्णय लेने से पहले इस तरह की महामारी का अपने और अपने पड़ोसियों पर प्रभाव का अध्ययन किया था.
इतना होने के बावजूद अमेरिकी सरकार ने अब तक इजरायली मीडिया रिपोर्ट की वैधता को स्वीकार नहीं किया है. चीन ने भी उस समय वुहान से शुरू हुए इस जानलेवा कोरोना महामारी के बारे में कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया था.
20 जनवरी को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस वायरस के खतरे से दुनिया को चेताया था. हालांकि समय रहते अगर संपूर्ण राष्ट्र इस महामारी से अवगत होता तो आज स्थिति शायद ऐसी नहीं होती.
13 जनवरी को थाइलैंड में कोविड-19 का मामला सामने आने के बाद विश्व का ध्यान इस महामारी की तरफ गया और तब जाकर इस खतरे का अंदाजा लोगों को हुआ. आज कोरोना वायरस के प्रकोप से अमेरिका त्रस्त है. यहां अब तक सबसे ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है.
अप्रैल 2009 में H1N1 के बारे में भविष्यवाणी करने के लिए एक समान रिपोर्ट भी तैयार की गई थी जिसे दो महीने बाद WHO द्वारा 'महामारी' घोषित किया गया था. कई प्रमुख देशों द्वारा इस उभरते हुए संक्रमण की अनदेखी ने कई विवादों को खड़ा कर दिया है. इससे लाखों लोगों का जीवन फिलहाल दांव पर लगा हुआ है.
अमेरिका में कोरोना से अब तक 34 हजार 641 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 6 लाख 78 हजार से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हैं.
(संजीव बरुआ)