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उत्तर प्रदेश : क्या राज्य सभा चुनाव के लिए भाजपा ने बिठाए जातीय समीकरण ?

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Published : Oct 27, 2020, 11:08 PM IST

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 10 राज्य सभा सीटों के लिए होने वाले के लिए आठ उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं, एक सीट पर बसपा उम्मीदवार को वाक ओवर दिया है. माना जा रहा है कि भाजपा ने वाक ओवर देकर जातीय समीकरण बैठाने की कोशिश की है.

कॉन्सेप्ट इमेज
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नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों में से 8 पर अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. इसमें पार्टी की कहीं ना कहीं दूर दृष्टि नजर आ रही है. पार्टी ने इस लिस्ट में जहां पूरी तरह से जातीय समीकरण पर ध्यान दिया है. पार्टी का 8 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला भी एक नए समीकरण को जन्म दे रहा है. हालांकि पार्टी के लिए इस सीट को जितना भी काफी आसान था बावजूद इसके बीजेपी ने बसपा उम्मीदवार को वाकओवर दिया, जिससे उत्तर प्रदेश की राजनीति को लेकर अंदरखाने नई चर्चा शुरू हो गई है.

rajya sabha
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवार

भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को जारी और राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम में गजब का जातिय समीकरण बिठाया. पार्टी ने इसमें अपने परंपरागत वोट बैंक का ध्यान, तो रखा ही है साथ ही जातीय समीकरण को और नए चेहरों को पूरी तरह से मौका दिया गया है. हालांकि पार्टी यहां पर 9 सीट राज्यसभा की जीत सकती थी बावजूद उसने नोवीं सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं.

उत्तर प्रदेश में 9 नवंबर को राज्यसभा के चुनाव होने हैं और यह चुनाव उत्तर प्रदेश के राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने मात्र 8 प्रत्याशियों को ही चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि माना यह जा रहा है की 9वीं सीट भी भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी आसान सीट थी मगर बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति में हुई मंथन के बाद इसमें नौवें सीट पर एक तरह से भारतीय जनता पार्टी में बहुजन समाज पार्टी को वॉकओवर देने का मन बनाया.

इस लिस्ट को देखा जाए तो इसमें जातीय समीकरण को का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है इसमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी अरुण सिंह पूर्व डीजीपी बृजलाल हालांकि बृजलाल मायावती के खास नजदीक माने जाते रहे हैं . नीरज शेखर हरिद्वार दुबे गीता शाक्य बी एल शर्मा और सीमा द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया गया है. इसमें अगर जातीय समीकरण देखा जाए तो बीजेपी ने दो राजपूत ओबीसी दो ब्राह्मण एक दलित और एक सिख समुदाय के प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाकर उत्तर प्रदेश में चुनाव से काफी पहले जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है.

सूत्रों की मानें तो नौवीं सीट पर बहुजन समाज पार्टी को बीजेपी की तरफ से वर्कोवर दिया जाना भी भविष्य के लिए एक सांकेतिक पहल भी मानी जा रही है तो क्या उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में एक नए समीकरण का आगाज भारतीय जनता पार्टी कर सकती है या फिर यह मात्र दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश है इन दोनों ही पहलुओं पर अगर देखा जाए तो पार्टी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए ही यह फैसला लिया है.

अब अगर जातीय संतुलन को देखा जाए तक पूर्व डीजीपी बृजलाल को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है, जो दलित समुदाय से आते हैं और वो अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं. हालांकि वह बसपा सुप्रीमो मायावती के काफी करीबी माने माने जाते रहे हैं. वैसे इस सीट ओर पार्टी के दलित नेता और पूर्व प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री की उम्मीदवारी की भी चर्चा थी. इसके बावजूद पार्टी ने अंतिम समय मे मायावती के करीबी ब्रिजलाल का नाम तय किया इस बात को लेकर भी चर्च का माहौल गर्म है.

हाल ही में जिस तरह से हाथरस मामले पर बीजेपी दलित वोट बैंक को लेकर कहीं ना कहीं बैकफुट पर जा रही थी इन बातों को भी ध्यान में रखते हुए पार्टी ने बृजलाल को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाकर दलित वोट बैंक को प्रभावित करने की कोशिश की है.

यही नहीं पिछले चुनाव के समय से लेकर अभी तक उत्तर प्रदेश के एक बड़े वोट बैंक रहे ब्राह्मण समुदाय को लेकर पार्टी पर काफी आरोप लगते रहे थे और बिजेपी को भी ऐसा लग रहा था कि यह समुदाय उससे अलग होता जा रहा है और इस बार राज्यसभा में दो ब्राह्मण उम्मीदवार बनाकर जिसमें से एक पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे और पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी का नाम शामिल किया गया है, ब्राह्मण समुदाय के बड़े वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश की गयी है.

पढ़ें - बिहार: चिराग का नीतीश पर आरोप, सात निश्चय योजना में हुआ भ्रष्टाचार

इसी तरह पार्टी ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और केंद्रीय कार्यालय के प्रभारी अरुण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर ,दो ठाकुर समुदाय के प्रत्याशियों को अपना उम्मीदवार बना कर अगड़ी जातियों और सवर्ण समुदाय पर पार्टी के प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश की है.

वही लोध समुदाय से बीएल वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के भी करीबी माने जाते हैं और उत्तर प्रदेश में लोध समुदाय भारतीय जनता पार्टी का पुराना वोट बैंक रहा है इसी तरह पिछड़ी जाति से ही गीता शाक्य के जरिए भी पार्टी ने पिछड़ी जाति और महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाने की कोशिश की है.

कांग्रेस ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच कहीं ना कहीं कोई छुपा समझौता हुआ है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने बसपा को वॉकओवर दिया है.
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में अभी 10 सीटों के लिए 10 उम्मीदवार है जिनमें एक बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के अलावा आठ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं यदि कोई निर्दलीय उम्मीदवार अपना नामांकन नहीं भरता, तो ऐसे में निर्विरोध चुनाव हो सकता है. मगर इस चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी जातीय समीकरण को लेकर कहीं ना कहीं संतुलन जरूर बिठा पाएगी.

साथ ही बसपा को वॉकओवर देने की बात भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में आने वाले भविष्य में एक नए समीकरण को जन्म देने की सुगबुगाहट हो सकती है इस बात को लेकर अब चर्चा जरूर शुरू हो चुकी है.

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों में से 8 पर अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. इसमें पार्टी की कहीं ना कहीं दूर दृष्टि नजर आ रही है. पार्टी ने इस लिस्ट में जहां पूरी तरह से जातीय समीकरण पर ध्यान दिया है. पार्टी का 8 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला भी एक नए समीकरण को जन्म दे रहा है. हालांकि पार्टी के लिए इस सीट को जितना भी काफी आसान था बावजूद इसके बीजेपी ने बसपा उम्मीदवार को वाकओवर दिया, जिससे उत्तर प्रदेश की राजनीति को लेकर अंदरखाने नई चर्चा शुरू हो गई है.

rajya sabha
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवार

भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को जारी और राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम में गजब का जातिय समीकरण बिठाया. पार्टी ने इसमें अपने परंपरागत वोट बैंक का ध्यान, तो रखा ही है साथ ही जातीय समीकरण को और नए चेहरों को पूरी तरह से मौका दिया गया है. हालांकि पार्टी यहां पर 9 सीट राज्यसभा की जीत सकती थी बावजूद उसने नोवीं सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं.

उत्तर प्रदेश में 9 नवंबर को राज्यसभा के चुनाव होने हैं और यह चुनाव उत्तर प्रदेश के राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने मात्र 8 प्रत्याशियों को ही चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि माना यह जा रहा है की 9वीं सीट भी भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी आसान सीट थी मगर बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति में हुई मंथन के बाद इसमें नौवें सीट पर एक तरह से भारतीय जनता पार्टी में बहुजन समाज पार्टी को वॉकओवर देने का मन बनाया.

इस लिस्ट को देखा जाए तो इसमें जातीय समीकरण को का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है इसमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी अरुण सिंह पूर्व डीजीपी बृजलाल हालांकि बृजलाल मायावती के खास नजदीक माने जाते रहे हैं . नीरज शेखर हरिद्वार दुबे गीता शाक्य बी एल शर्मा और सीमा द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया गया है. इसमें अगर जातीय समीकरण देखा जाए तो बीजेपी ने दो राजपूत ओबीसी दो ब्राह्मण एक दलित और एक सिख समुदाय के प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाकर उत्तर प्रदेश में चुनाव से काफी पहले जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है.

सूत्रों की मानें तो नौवीं सीट पर बहुजन समाज पार्टी को बीजेपी की तरफ से वर्कोवर दिया जाना भी भविष्य के लिए एक सांकेतिक पहल भी मानी जा रही है तो क्या उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में एक नए समीकरण का आगाज भारतीय जनता पार्टी कर सकती है या फिर यह मात्र दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश है इन दोनों ही पहलुओं पर अगर देखा जाए तो पार्टी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए ही यह फैसला लिया है.

अब अगर जातीय संतुलन को देखा जाए तक पूर्व डीजीपी बृजलाल को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है, जो दलित समुदाय से आते हैं और वो अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं. हालांकि वह बसपा सुप्रीमो मायावती के काफी करीबी माने माने जाते रहे हैं. वैसे इस सीट ओर पार्टी के दलित नेता और पूर्व प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री की उम्मीदवारी की भी चर्चा थी. इसके बावजूद पार्टी ने अंतिम समय मे मायावती के करीबी ब्रिजलाल का नाम तय किया इस बात को लेकर भी चर्च का माहौल गर्म है.

हाल ही में जिस तरह से हाथरस मामले पर बीजेपी दलित वोट बैंक को लेकर कहीं ना कहीं बैकफुट पर जा रही थी इन बातों को भी ध्यान में रखते हुए पार्टी ने बृजलाल को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाकर दलित वोट बैंक को प्रभावित करने की कोशिश की है.

यही नहीं पिछले चुनाव के समय से लेकर अभी तक उत्तर प्रदेश के एक बड़े वोट बैंक रहे ब्राह्मण समुदाय को लेकर पार्टी पर काफी आरोप लगते रहे थे और बिजेपी को भी ऐसा लग रहा था कि यह समुदाय उससे अलग होता जा रहा है और इस बार राज्यसभा में दो ब्राह्मण उम्मीदवार बनाकर जिसमें से एक पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे और पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी का नाम शामिल किया गया है, ब्राह्मण समुदाय के बड़े वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश की गयी है.

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इसी तरह पार्टी ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और केंद्रीय कार्यालय के प्रभारी अरुण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर ,दो ठाकुर समुदाय के प्रत्याशियों को अपना उम्मीदवार बना कर अगड़ी जातियों और सवर्ण समुदाय पर पार्टी के प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश की है.

वही लोध समुदाय से बीएल वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के भी करीबी माने जाते हैं और उत्तर प्रदेश में लोध समुदाय भारतीय जनता पार्टी का पुराना वोट बैंक रहा है इसी तरह पिछड़ी जाति से ही गीता शाक्य के जरिए भी पार्टी ने पिछड़ी जाति और महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाने की कोशिश की है.

कांग्रेस ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच कहीं ना कहीं कोई छुपा समझौता हुआ है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने बसपा को वॉकओवर दिया है.
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में अभी 10 सीटों के लिए 10 उम्मीदवार है जिनमें एक बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के अलावा आठ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं यदि कोई निर्दलीय उम्मीदवार अपना नामांकन नहीं भरता, तो ऐसे में निर्विरोध चुनाव हो सकता है. मगर इस चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी जातीय समीकरण को लेकर कहीं ना कहीं संतुलन जरूर बिठा पाएगी.

साथ ही बसपा को वॉकओवर देने की बात भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में आने वाले भविष्य में एक नए समीकरण को जन्म देने की सुगबुगाहट हो सकती है इस बात को लेकर अब चर्चा जरूर शुरू हो चुकी है.

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