नई दिल्ली : कर्नाटक के निलंबित विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के बयान पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने प्रतिक्रिया दी. दरअसल रोहतगी ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे देना उनका अपना संवैधानिक अधिकार है. इस पर आपत्ति जताते हुए डॉ धवन ने कहा कि ऐसा नहीं बल्कि यह निजी फैसला था, जो विधायकों ने अपने हित के लिए लिया था.
पूर्व स्पीकर के लिए अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि विधायक लोगों द्वारा चुने गये थे और एक सिविल सेवक नहीं थे, जिनके पास असीमित अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि विधायक पद संवैधानिक प्रतिष्ठा हैं और उनके इस्तीफे के पीछे एक मकसद था.
धवन ने कहा, 'सरकार ऐसे लोगों के एक समूह से घिरी थी, जो इस्तीफा देना चाहते थे. उन्हें इस अदालत में आने की अनुमति होना चाहिए. यह मायने नहीं रखता कि यह विमान किसका था, वे मुंबई से रवाना हो गए.'
उन्होंने यह भी कहा कि अखबारों पर भरोसा करना न्यायाधीशों पर लागू है, लेकिन पूर्व स्पीकर पर यह लागू नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी व्यक्ति जानता होगा कि कर्नाटक में क्या हो रहा है, स्पीकर को पता है कि विधानसभा में क्या हो रहा है.
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दरअसल विधायकों ने तर्क दिया था कि न्यूनतम सात दिनों का जो समय उन्हें जवाब के लिए दिया जाना था, वह नहीं दिया गया था. इस पर धवन ने कहा कि यह नियामक है और सात दिनों का समय देना अनिवार्य नहीं है.
उन्होंने अपनी बात साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला दिया.
बता दें कि न्यायमूर्ति रमण ने कहा था कि सुनवाई गुरुवार तक खत्म हो जानी चाहिए, लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अपनी दलीलें शुक्रवार को पेश करेंगे.