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कर्नाटक के निलंबित विधायकों पर SC में धवन ने कहा - उनका निजी फैसला था - न्यायमूर्ति रमण

कर्नाटक के निलंबित विधायकों के मामलों में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह उनका निजी फैसला था, जो विधायकों ने लिया था. दरअसल वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के बयान पर राजीव धवन ने प्रतिक्रिया दी है. जानें विस्तार से...

कर्नाटक के निलंबित विधायकों पर SC में धवन
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Published : Oct 25, 2019, 3:40 PM IST

नई दिल्ली : कर्नाटक के निलंबित विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के बयान पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने प्रतिक्रिया दी. दरअसल रोहतगी ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे देना उनका अपना संवैधानिक अधिकार है. इस पर आपत्ति जताते हुए डॉ धवन ने कहा कि ऐसा नहीं बल्कि यह निजी फैसला था, जो विधायकों ने अपने हित के लिए लिया था.

पूर्व स्पीकर के लिए अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि विधायक लोगों द्वारा चुने गये थे और एक सिविल सेवक नहीं थे, जिनके पास असीमित अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि विधायक पद संवैधानिक प्रतिष्ठा हैं और उनके इस्तीफे के पीछे एक मकसद था.

कर्नाटक के निलंबित विधायकों पर SC में धवन.

धवन ने कहा, 'सरकार ऐसे लोगों के एक समूह से घिरी थी, जो इस्तीफा देना चाहते थे. उन्हें इस अदालत में आने की अनुमति होना चाहिए. यह मायने नहीं रखता कि यह विमान किसका था, वे मुंबई से रवाना हो गए.'

उन्होंने यह भी कहा कि अखबारों पर भरोसा करना न्यायाधीशों पर लागू है, लेकिन पूर्व स्पीकर पर यह लागू नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी व्यक्ति जानता होगा कि कर्नाटक में क्या हो रहा है, स्पीकर को पता है कि विधानसभा में क्या हो रहा है.

इसे भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट का टेलीकॉम कंपनियों को 92 हजार करोड़ चुकाने का निर्देश

दरअसल विधायकों ने तर्क दिया था कि न्यूनतम सात दिनों का जो समय उन्हें जवाब के लिए दिया जाना था, वह नहीं दिया गया था. इस पर धवन ने कहा कि यह नियामक है और सात दिनों का समय देना अनिवार्य नहीं है.
उन्होंने अपनी बात साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला दिया.

बता दें कि न्यायमूर्ति रमण ने कहा था कि सुनवाई गुरुवार तक खत्म हो जानी चाहिए, लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अपनी दलीलें शुक्रवार को पेश करेंगे.

नई दिल्ली : कर्नाटक के निलंबित विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के बयान पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने प्रतिक्रिया दी. दरअसल रोहतगी ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे देना उनका अपना संवैधानिक अधिकार है. इस पर आपत्ति जताते हुए डॉ धवन ने कहा कि ऐसा नहीं बल्कि यह निजी फैसला था, जो विधायकों ने अपने हित के लिए लिया था.

पूर्व स्पीकर के लिए अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि विधायक लोगों द्वारा चुने गये थे और एक सिविल सेवक नहीं थे, जिनके पास असीमित अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि विधायक पद संवैधानिक प्रतिष्ठा हैं और उनके इस्तीफे के पीछे एक मकसद था.

कर्नाटक के निलंबित विधायकों पर SC में धवन.

धवन ने कहा, 'सरकार ऐसे लोगों के एक समूह से घिरी थी, जो इस्तीफा देना चाहते थे. उन्हें इस अदालत में आने की अनुमति होना चाहिए. यह मायने नहीं रखता कि यह विमान किसका था, वे मुंबई से रवाना हो गए.'

उन्होंने यह भी कहा कि अखबारों पर भरोसा करना न्यायाधीशों पर लागू है, लेकिन पूर्व स्पीकर पर यह लागू नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी व्यक्ति जानता होगा कि कर्नाटक में क्या हो रहा है, स्पीकर को पता है कि विधानसभा में क्या हो रहा है.

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दरअसल विधायकों ने तर्क दिया था कि न्यूनतम सात दिनों का जो समय उन्हें जवाब के लिए दिया जाना था, वह नहीं दिया गया था. इस पर धवन ने कहा कि यह नियामक है और सात दिनों का समय देना अनिवार्य नहीं है.
उन्होंने अपनी बात साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला दिया.

बता दें कि न्यायमूर्ति रमण ने कहा था कि सुनवाई गुरुवार तक खत्म हो जानी चाहिए, लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अपनी दलीलें शुक्रवार को पेश करेंगे.

Intro:Objecting to Senior Advocate Mukul Rohtagi's statement that it was MLAs indefeasable right to resign, Dr Dhawan contended today that it wasn't so and it was a privilage that was granted to the MLAs. Appearing for the former speaker, Senior Advocate Rajeev Dhawan said that the MLAs were elected by the people and wasn't a civil servant who would have the indefeasable right.


Body:Contending further he said that, the post pf MLAs is of constitutional eminence and there was a motive behind the resignations.

"A government was toppled, there was a group of people who wanted to resign, they were allowed to come to this court. It doesn't matter whose plane it was, they were off to Mumbai," added Dhawan. He also said that relying on newspapers applied on the judges but that did not apply on the former speaker. He said that anyboby in India would know what was happening in Karnataka, the speaker knows what is happening in assembly.

The MLAs had argued that minimum 7 days of time which has to be given to them for reply was not given to which Dhawan said that it is regulatory and not mandatory to give 7 days. He cited SC observations to prove his point.


Conclusion:Justice Ramana had said yesterday that the hearing should be over by today but Senior Advocate Kapil Sibal will make his submissions tommorrow.
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