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लद्दाख गतिरोध : 12 अक्टूबर से भारत-चीन वार्ता का आधिकारिक हिस्सा है डीजीएमओ

चुशूल-मोल्दो में चीनी पक्ष के साथ विचार-विमर्श करने वाला भारतीय पक्ष एक बहुस्तरीय निकाय है, जिसमें एक भारतीय सेना कमांडर, MEA अधिकारी, एक डीजीएमओ प्रतिनिधि और स्थानीय सैन्य अधिकारी शामिल हैं. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट

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Published : Nov 21, 2020, 8:06 PM IST

Updated : Nov 22, 2020, 10:07 AM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच अभी गतिरोध खत्म नहीं हुआ है. हालांकि, बैठकों का दौर जारी है, जिसके जरिए तनाव को कम करने की कोशिश की जा रही है. 12 अक्टूबर को एक बार फिर भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक हुई. चीन के साथ सातवें दौर की बैठक का नेतृत्व सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के कार्यालय के एक ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी ने किया. 12 अक्टूबर को हुई वार्ता का DGMO आधिकारिक हिस्सा रहे.

एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि ऐसा सभी हितधारकों- जमीनी सैनिकों, DGMO और बाहरी मामलों के मंत्रालय को एक ही पृष्ठ पर रखने के लिए किया गया है. इस तरह के संवेदनशील मामलों में DGMO कार्यालय की भागीदारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस संवेदनशील कार्यालय के अंतर्गत सभी सैन्य अभियान चलाए जाते हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी, जो चीन के मामलों के विशेषज्ञ 21 सितंबर को हुई छठे दौर की बैठक से पहले से ही सैन्य वार्ता में भाग ले रहा था.

विचार-विमर्श के दौरान भारतीय पक्ष उच्च स्तरीय चीन अध्ययन समूह (CSG) द्वारा निर्देशित है. CSG का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, विदेश सचिव, रक्षा सचिव, सेना, नौसेना और IAF के उप-प्रमुख और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख के साथ मिलकर करते हैं.

अब तक दोनों पक्षों के डी-एस्केलेट और डिसइंगेज को लेकर आठ दौर की बातचीत हो चुकी है. सूत्र ने कहा है कि नौवें दौर की तारीख अभी तय नहीं हुई है.

सूत्रों के अनुसार बैठक में DGMO अधिकारी के अलावा, भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन, नवीन श्रीवास्तव, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा स्थानीय सैन्य प्रतिनिधि शामिल होंगे.

उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच हो रही वार्ता भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग के कारण उस समय अड़चनों का सामना करना पड़ा, जब चुशूल में कोर-कमांडर स्तर की वार्ता के आठवें दौर के दौरान चीनी पक्ष द्वारा तीन-चरणीय विघटन योजना प्रस्तावित की गई. हालांकि, भारतीय पक्ष ने इसे आधिकारिक तौर पर नहीं लिया है.

पढ़ें - नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान ने फिर किया संघर्ष विराम का उल्लंघन

वहीं भारतीय सेना गतिरोध वाले सभी बिंदुओं पर विचार एक साथ सैन्य हटाने पर जोर दे रही है, जबकि चीनी पक्ष पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना को पीछे हटने को प्राथमिकता देता रहा है.

भारत-चीन सीमा की अडिग प्रकृति के बावजूद, 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 14 जुलाई, 2 अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर को वार्ता के बाद दोनों पक्ष व्यापक रूप से विघटन और पीछे हटने पर सहमत हुए हैं, लेकिन इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच अभी गतिरोध खत्म नहीं हुआ है. हालांकि, बैठकों का दौर जारी है, जिसके जरिए तनाव को कम करने की कोशिश की जा रही है. 12 अक्टूबर को एक बार फिर भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक हुई. चीन के साथ सातवें दौर की बैठक का नेतृत्व सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के कार्यालय के एक ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी ने किया. 12 अक्टूबर को हुई वार्ता का DGMO आधिकारिक हिस्सा रहे.

एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि ऐसा सभी हितधारकों- जमीनी सैनिकों, DGMO और बाहरी मामलों के मंत्रालय को एक ही पृष्ठ पर रखने के लिए किया गया है. इस तरह के संवेदनशील मामलों में DGMO कार्यालय की भागीदारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस संवेदनशील कार्यालय के अंतर्गत सभी सैन्य अभियान चलाए जाते हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी, जो चीन के मामलों के विशेषज्ञ 21 सितंबर को हुई छठे दौर की बैठक से पहले से ही सैन्य वार्ता में भाग ले रहा था.

विचार-विमर्श के दौरान भारतीय पक्ष उच्च स्तरीय चीन अध्ययन समूह (CSG) द्वारा निर्देशित है. CSG का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, विदेश सचिव, रक्षा सचिव, सेना, नौसेना और IAF के उप-प्रमुख और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख के साथ मिलकर करते हैं.

अब तक दोनों पक्षों के डी-एस्केलेट और डिसइंगेज को लेकर आठ दौर की बातचीत हो चुकी है. सूत्र ने कहा है कि नौवें दौर की तारीख अभी तय नहीं हुई है.

सूत्रों के अनुसार बैठक में DGMO अधिकारी के अलावा, भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन, नवीन श्रीवास्तव, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा स्थानीय सैन्य प्रतिनिधि शामिल होंगे.

उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच हो रही वार्ता भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग के कारण उस समय अड़चनों का सामना करना पड़ा, जब चुशूल में कोर-कमांडर स्तर की वार्ता के आठवें दौर के दौरान चीनी पक्ष द्वारा तीन-चरणीय विघटन योजना प्रस्तावित की गई. हालांकि, भारतीय पक्ष ने इसे आधिकारिक तौर पर नहीं लिया है.

पढ़ें - नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान ने फिर किया संघर्ष विराम का उल्लंघन

वहीं भारतीय सेना गतिरोध वाले सभी बिंदुओं पर विचार एक साथ सैन्य हटाने पर जोर दे रही है, जबकि चीनी पक्ष पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना को पीछे हटने को प्राथमिकता देता रहा है.

भारत-चीन सीमा की अडिग प्रकृति के बावजूद, 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 14 जुलाई, 2 अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर को वार्ता के बाद दोनों पक्ष व्यापक रूप से विघटन और पीछे हटने पर सहमत हुए हैं, लेकिन इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

Last Updated : Nov 22, 2020, 10:07 AM IST
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