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कोरोना का भय : महाराष्ट्र में ग्रामीणों ने घर लौटे लोगों से की मारपीट

देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते अब लोगों में इसके प्रति खौफ देखने को मिल रहा है. अपने घरों को लौट रहे प्रवासियों को भी शक की निगाहों से देखा जा रहा है कि कहीं वे कोरोना से संक्रमित तो नहीं हैं. ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के हिंगोली में देखने को मिला, जहां गुस्साए ग्रामीणों ने उन लोगों की पिटाई कर दी, जो अन्य स्थानों से लौटे थे और 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि भी पूरी कर चुके थे.

कोरोना के शक में मारपीट
कोरोना के शक में मारपीट
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Published : Jun 2, 2020, 5:03 PM IST

हिंगोली : कोरोना संक्रमण का भय अब लोगों में इस कदर समाता जा रहा है कि घर लौट रहे प्रवासी अपने परिजनों की ही नाराजगी के शिकार हो जा रहे हैं. महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में ऐसी ही दो घटनाएं सामने आईं, जिसमें कोरोना के डर से ग्नामीणों ने घर लौटे प्रवासियों की पिटाई कर दी, जिससे लोग बुरी तरह घायल हो गए.

पहली घटना
वासमत तालुका के हट्टा गांव का एक परिवार मई की शुरुआत में मुंबई से लौटा था. डॉक्टर से सलाह लेने के बाद उन्होंने गांव से कुछ दूर अपने खेत में खुद को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर लिया था, जब 27 मई को उनकी क्वारंटाइन की अवधि पूरी हुई तो परिवार के दो लोग बाहर निकले और सड़क किनारे अपने खेत की तरफ जाकर बैठ गए. तभी उधर से गुजर रहे दो लोगों ने उनके साथ गाली-गलौज की और अपने खेत में लौटने को कहा. बाद में कुछ और ग्रामीण पहुंचे और परिवार के साथ झगड़ा करने लगे. गुस्साए गांववालों ने गर्भवती महिला को भी नहीं बख्शा और उसके पेट पर भी लात मार दी.

इस मामले में दो शिकायतें दर्ज की गई हैं. पीड़ित परिवार ने उन ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, जिन्होंने उनपर हमला किया. इसके विपरीत गांव वालों ने भी परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है.

दूसरी घटना
इसी तरह की दूसरी घटना में एक व्यक्ति की बेरहमी से पिटाई की गई, जब वह मलीहवाड़ा गांव के एक सार्वजनिक कुंए में पानी भरने के लिए गया. जानकारी के मुताबिक, मुरलीधर भोकरे की पत्नी अपनी बेटी के साथ एक महीने पहले औरंगाबाद में गृहनगर से गांव लौटी थी. डॉक्टरों की सलाह पर परिवार ने खुद को क्वारंटाइन किया.

क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद भोकारे ने गांव के सरपंच और पुलिस को सूचना दी और गांव वापस आने की इच्छा जताई. जब वह पानी लाने के लिए गांव के सार्वजनिक कुएं पर गए, तो कुछ ग्रामीणों ने आपत्ति जताई और उनकी पिटाई शुरू कर दी.

भोकरे के सिर पर गंभीर चोटें आईं और काफी खून बह निकला. जब कुछ अन्य लोगों ने बीच बचाव की कोशिश की तो उन्हें भी पीटा गया. चारों घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया. जब भोकरे की हालत गंभीर हो गई, तो उन्हें इलाज के लिए नांदेड़ जाने के लिए कहा गया.

हिंगोली : कोरोना संक्रमण का भय अब लोगों में इस कदर समाता जा रहा है कि घर लौट रहे प्रवासी अपने परिजनों की ही नाराजगी के शिकार हो जा रहे हैं. महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में ऐसी ही दो घटनाएं सामने आईं, जिसमें कोरोना के डर से ग्नामीणों ने घर लौटे प्रवासियों की पिटाई कर दी, जिससे लोग बुरी तरह घायल हो गए.

पहली घटना
वासमत तालुका के हट्टा गांव का एक परिवार मई की शुरुआत में मुंबई से लौटा था. डॉक्टर से सलाह लेने के बाद उन्होंने गांव से कुछ दूर अपने खेत में खुद को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर लिया था, जब 27 मई को उनकी क्वारंटाइन की अवधि पूरी हुई तो परिवार के दो लोग बाहर निकले और सड़क किनारे अपने खेत की तरफ जाकर बैठ गए. तभी उधर से गुजर रहे दो लोगों ने उनके साथ गाली-गलौज की और अपने खेत में लौटने को कहा. बाद में कुछ और ग्रामीण पहुंचे और परिवार के साथ झगड़ा करने लगे. गुस्साए गांववालों ने गर्भवती महिला को भी नहीं बख्शा और उसके पेट पर भी लात मार दी.

इस मामले में दो शिकायतें दर्ज की गई हैं. पीड़ित परिवार ने उन ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, जिन्होंने उनपर हमला किया. इसके विपरीत गांव वालों ने भी परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है.

दूसरी घटना
इसी तरह की दूसरी घटना में एक व्यक्ति की बेरहमी से पिटाई की गई, जब वह मलीहवाड़ा गांव के एक सार्वजनिक कुंए में पानी भरने के लिए गया. जानकारी के मुताबिक, मुरलीधर भोकरे की पत्नी अपनी बेटी के साथ एक महीने पहले औरंगाबाद में गृहनगर से गांव लौटी थी. डॉक्टरों की सलाह पर परिवार ने खुद को क्वारंटाइन किया.

क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद भोकारे ने गांव के सरपंच और पुलिस को सूचना दी और गांव वापस आने की इच्छा जताई. जब वह पानी लाने के लिए गांव के सार्वजनिक कुएं पर गए, तो कुछ ग्रामीणों ने आपत्ति जताई और उनकी पिटाई शुरू कर दी.

भोकरे के सिर पर गंभीर चोटें आईं और काफी खून बह निकला. जब कुछ अन्य लोगों ने बीच बचाव की कोशिश की तो उन्हें भी पीटा गया. चारों घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया. जब भोकरे की हालत गंभीर हो गई, तो उन्हें इलाज के लिए नांदेड़ जाने के लिए कहा गया.

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