चंडीगढ़ : पंजाब कैबिनेट ने आज एक बैठक में कांग्रेस के दो राज्यसभा सदस्यों- प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह ढुलो को तत्काल निष्कासित करने की मांग की है.
तत्काल निष्कासन की कार्रवाई की मांग दोनों की 'पार्टी विरोधी और सरकार विरोधी' गतिविधियों के लिए की गई है.
गुरुवार को सीएम अमरिंदर सिंह के साथ कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में दोनों की बर्खास्तगी की मांग की गई.
प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दुलो पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर हमलावर रहने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगे हैं.
मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान में दोनों सांसदों को बिना देरी किए तुरंत फटकार लगाने को कहा. उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता किसी भी समय में बर्दाश्त नहीं की जाएगी, खासतौर पर उस समय पर, जब राज्य में विधानसभा चुनावों में दो साल से भी कम का समय शेष हो.
मंत्रियों ने कहा कि दोनों सांसदों ने राज्यसभा के अपने कार्यकाल में राज्य के हित के किसी भी मुद्दे को उठाने की जहमत नहीं उठाई. उन्होंने अकाली शासन के दौरान ड्रग्स के मुद्दे की ईडी जांच पूरी करने के लिए दबाव क्यों नहीं डाला? उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ सदन में विरोध क्यों नहीं किया ? सीबीआई के मामलों की जांच में विफलता के बारे में उन्होंने कभी क्यों नहीं कहा?
मंत्रियों ने आगे कहा कि मामले को लेकर दोनों सांसदों ने न केवल लोकतांत्रिक शासन के आधार पर हमला किया, बल्कि पंजाब पुलिस बल को कमजोर करने की कोशिश की गई, जो कोविड महामारी के दबाव के बावजूद शराब माफिया पर प्रभावी रूप से नकेल कस रही थी.
यह लोकतांत्रिक प्रणाली और संस्थानों के कार्य करने का तरीका नहीं है, मंत्रियों ने कहा कि मामले को सीबीआई जांच की जरूरत तभी होती है, जब पुलिस विफल हो रही हो.
इसके अलावा, सीबीआई जांच की सिफारिश करने या न करने का निर्णय राज्य सरकार के पास है, न कि दो सांसदों के पास. वह खुद संसद में पंजाब के हितों का भी ठीक से प्रतिनिधित्व कर पाने में असमर्थ हैं.
सांसदों के रूप में अपना काम करने के बजाय, बाजवा और डुल्लो दोनों ही अपनी सरकार को अस्थिर करने का इरादा लेकर बैठे थे.
उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के पास एक मजबूत नेतृत्व है, उसे ऐसे अनुशासनहीन सदस्यों की जरूरत नहीं.
गौरतलब है कि दोनों सांसद काफी समय से सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. पंजाब में शराब मामले को लेकर भी उन्होंने जांच के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा था.