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विद्रोह जैसे हालात की गवाह बनी दिल्ली पुलिस, साथियों पर हमले के विरोध में प्रदर्शन

राजधानी में पुलिस और वकीलों की झड़प के बाद मंगलवार को अजीबोगरीब माहौल देखने को मिला. शनिवार को शुरू हुआ विवाद विकराल रूप लेते दिखी, जब साथी पुलिसकर्मियों पर हुए हमले के विरोध में दिल्ली पुलिस के हजारों कर्मचारी पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने लगे. लगभग 10 घंटे तक चले इस धरना-प्रदर्शन से विचलित दिल्ली पुलिस के कई शीर्ष अधिकारियों को प्रदर्शकारियों के बीच आना पड़ा. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 5, 2019, 9:34 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस को मंगलवार को विद्रोह जैसे हालात का सामना करना पड़ा क्योंकि हजारों पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने काम पर लौटने की पुलिस आयुक्त तक की अपील नकार दी.

पुलिसकर्मी साकेत अदालत के बाहर सोमवार को अपने एक साथी पर हुए हमले का विरोध कर रहे थे और उन्होंने हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

दिल्ली पुलिस के प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने अपनी मांगे रखते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों से मारपीट करने वाले वकीलों के लाइसेंस वापस लिए जाएं और पुलिस कर्मियों के खिलाफ निलंबन आदेश रद्द किए जाएं.

पुलिसकर्मियों द्वारा मंगलवार को प्रदर्शन करने की अभूतपूर्व घटना के चलते दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को उनसे ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध करना पड़ा.

पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच तनाव के हालात शनिवार से बनने शुरू हो गये थे, जब पार्किंग को लेकर हुई झड़प में कम से कम 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गये थे.

इस बीच साकेत जिला न्यायालय के बाहर बाइक पर सवार एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी को कोहनी और थप्पड़ मारने वाले एक वकील के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई हैं.

साकेत अदालत के बाहर सोमवार को वकीलों ने ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी की पिटाई कर दी थी.

पुलिसकर्मी पर हमला करते वकील.

घटना के एक वीडियो में, वकील बाइक पर सवार एक पुलिसकर्मी को पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं. वकीलों में से एक को पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारते भी देखा गया.

जब पुलिसकर्मी घटनास्थल से जा रहे थे, तब वकील ने उसके हेलमेट को उसकी बाइक पर दे मारा. प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मी पर हमला करने वाले वकील के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी बड़ी संख्या में आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर जमा होने लगे तो यातायात धीमा पड़ गया. ऐसे में पटनायक अपने कार्यालय से बाहर आए और उन्होंने पुलिसकर्मियों को आश्वस्त किया कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा.

पटनायक ने कहा, 'हमें एक अनुशासित बल की तरह व्यवहार करना होगा. सरकार और जनता हमसे कानून व्यवस्था को कायम रखने की उम्मीद रखती है, यह हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है. मैं अनुरोध करता हूं कि आप लोग काम पर लौट जाएं.'

उन्होंने मुख्यालय के बाहर एकत्रित हुए पुलिसकर्मियों से कहा, 'बीते कुछ दिन हमारे लिए परीक्षा की घड़ी रहे हैं. न्यायिक जांच चल रही है और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखें.'

जानकारी के लिए बता दें, दिल्ली पुलिस में 80,000 से अधिक कर्मी हैं.

प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों ने काली पट्टियां बांध रखी थीं और वे न्याय की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे. दिल्ली पुलिस के समस्त शीर्ष अधिकारी उन्हें शांत करने का प्रयास कर रहे थे.

पुलिसकर्मियों ने तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था, 'पुलिस वर्दी में हम इंसान हैं,' 'हम पंचिंग बैग नहीं हैं' और 'रक्षा करने वालों को सुरक्षा की जरूरत'. उन्होंने अपने वरिष्ठों से अनुरोध किया कि वर्दी का सम्मान बचाने की खातिर वे उनके साथ खड़े रहें.

police vs lawyers etv bharat
पुलिस वालों के परिजनों का इंडिया गेट पर प्रदर्शन.

एक महिला पुलिसकर्मी ने कहा, 'हमारे घायल साथियों से मिलने कोई भी पुलिस अधिकारी या राजनेता नहीं गया. ये निराशाजनक है और हमारे मनोबल को गिराने वाला है.'

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल घायल वकीलों से मुलाकात करने तो पहुंचे, लेकिन इस घटना में घायल हमारे साथियों से मिलने नहीं पहुंचे. क्या यह अन्यायपूर्ण नहीं है.'

इस टकराव से कई पुलिसकर्मियों को 1988 में हुई ऐसी ही घटना की याद ताजा हो गयी, जब वकीलों और पुलिस में संघर्ष हुआ था और उस विवाद के केंद्र में पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी थीं.

पढ़ें - वकील-पुलिस जंग : दिल्ली पुलिस का अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन खत्म

कई पुलिसकर्मी प्रदर्शन के दौरान बेदी के पोस्टर लिए हुए थे और नारे लगा रहे थे - 'किरण बेदी शेरनी हमारी' और 'हमारा कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो.' किरण बेदी इस समय पुदुचेरी की उप राज्यपाल हैं.

प्रदर्शन के कारण आईटीओ की ओर आने वाले कई रास्तों पर यातायात जाम हो गया और दिल्ली पुलिस को ट्विटर पर यातायात परामर्श जारी करना पड़ा.

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने उक्त वीडियो ट्विटर पर साझा किया और लिखा, 'कानून को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए. यह किसी समूह का समर्थन करने का सवाल नहीं है.'

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किरन रिजिजू का ट्वीट.

अधिकारियों ने बताया कि शनिवार की झड़प में कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई या उनमें आग लगा दी गई. इन घटनाओं की कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने ट्विटर के माध्यम से कड़ी निंदा की और नाराजगी जाहिर की.

दिल्ली पुलिस के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी मधुर वर्मा ने सवाल करते हुए लिखा, 'मैं क्षमा चाहता हूं. हम पुलिस हैं. हमारा कोई वजूद नहीं है. हमारे परिवार नहीं हैं. हमारे मानवाधिकार नहीं हैं!!!' वर्मा फिलहाल अरुणाचल प्रदेश के उप महानिरीक्षक हैं.

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मधुर वर्मा द्वारा किया गया ट्वीट.

आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस हमले की निंदा की और 'अपमान' तथा 'हमले' का सामने करने वाले अपने साथियों के साथ एकजुटता दिखाई.

एसोसिएशन के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया, 'पुलिस और वकीलों के बीच हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों के आधार पर सभी को इस घटना के प्रति संतुलित नजरिया रखना चाहिए. देशभर की पुलिस उन पुलिसकर्मियों के साथ खड़ी है, जिन्हें अपमानित किया गया और जिनके साथ मारपीट की गई. कानून तोड़ने के सभी प्रयासों की निंदा करता हूं, चाहे ऐसा प्रयास करने वाला कोई भी हो.

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आईपीएस एसोसिएशन द्वारा किया गया ट्वीट.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा, 'नागरिक समाज की रक्षा करने और कानून-व्यवस्था को कायम रखने में अपना पूरा जीवन बिताने वाले पुलिसकर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार देखकर बेहद दुख हुआ.'

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस को मंगलवार को विद्रोह जैसे हालात का सामना करना पड़ा क्योंकि हजारों पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने काम पर लौटने की पुलिस आयुक्त तक की अपील नकार दी.

पुलिसकर्मी साकेत अदालत के बाहर सोमवार को अपने एक साथी पर हुए हमले का विरोध कर रहे थे और उन्होंने हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

दिल्ली पुलिस के प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने अपनी मांगे रखते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों से मारपीट करने वाले वकीलों के लाइसेंस वापस लिए जाएं और पुलिस कर्मियों के खिलाफ निलंबन आदेश रद्द किए जाएं.

पुलिसकर्मियों द्वारा मंगलवार को प्रदर्शन करने की अभूतपूर्व घटना के चलते दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को उनसे ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध करना पड़ा.

पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच तनाव के हालात शनिवार से बनने शुरू हो गये थे, जब पार्किंग को लेकर हुई झड़प में कम से कम 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गये थे.

इस बीच साकेत जिला न्यायालय के बाहर बाइक पर सवार एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी को कोहनी और थप्पड़ मारने वाले एक वकील के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई हैं.

साकेत अदालत के बाहर सोमवार को वकीलों ने ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी की पिटाई कर दी थी.

पुलिसकर्मी पर हमला करते वकील.

घटना के एक वीडियो में, वकील बाइक पर सवार एक पुलिसकर्मी को पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं. वकीलों में से एक को पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारते भी देखा गया.

जब पुलिसकर्मी घटनास्थल से जा रहे थे, तब वकील ने उसके हेलमेट को उसकी बाइक पर दे मारा. प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मी पर हमला करने वाले वकील के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी बड़ी संख्या में आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर जमा होने लगे तो यातायात धीमा पड़ गया. ऐसे में पटनायक अपने कार्यालय से बाहर आए और उन्होंने पुलिसकर्मियों को आश्वस्त किया कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा.

पटनायक ने कहा, 'हमें एक अनुशासित बल की तरह व्यवहार करना होगा. सरकार और जनता हमसे कानून व्यवस्था को कायम रखने की उम्मीद रखती है, यह हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है. मैं अनुरोध करता हूं कि आप लोग काम पर लौट जाएं.'

उन्होंने मुख्यालय के बाहर एकत्रित हुए पुलिसकर्मियों से कहा, 'बीते कुछ दिन हमारे लिए परीक्षा की घड़ी रहे हैं. न्यायिक जांच चल रही है और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखें.'

जानकारी के लिए बता दें, दिल्ली पुलिस में 80,000 से अधिक कर्मी हैं.

प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों ने काली पट्टियां बांध रखी थीं और वे न्याय की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे. दिल्ली पुलिस के समस्त शीर्ष अधिकारी उन्हें शांत करने का प्रयास कर रहे थे.

पुलिसकर्मियों ने तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था, 'पुलिस वर्दी में हम इंसान हैं,' 'हम पंचिंग बैग नहीं हैं' और 'रक्षा करने वालों को सुरक्षा की जरूरत'. उन्होंने अपने वरिष्ठों से अनुरोध किया कि वर्दी का सम्मान बचाने की खातिर वे उनके साथ खड़े रहें.

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पुलिस वालों के परिजनों का इंडिया गेट पर प्रदर्शन.

एक महिला पुलिसकर्मी ने कहा, 'हमारे घायल साथियों से मिलने कोई भी पुलिस अधिकारी या राजनेता नहीं गया. ये निराशाजनक है और हमारे मनोबल को गिराने वाला है.'

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल घायल वकीलों से मुलाकात करने तो पहुंचे, लेकिन इस घटना में घायल हमारे साथियों से मिलने नहीं पहुंचे. क्या यह अन्यायपूर्ण नहीं है.'

इस टकराव से कई पुलिसकर्मियों को 1988 में हुई ऐसी ही घटना की याद ताजा हो गयी, जब वकीलों और पुलिस में संघर्ष हुआ था और उस विवाद के केंद्र में पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी थीं.

पढ़ें - वकील-पुलिस जंग : दिल्ली पुलिस का अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन खत्म

कई पुलिसकर्मी प्रदर्शन के दौरान बेदी के पोस्टर लिए हुए थे और नारे लगा रहे थे - 'किरण बेदी शेरनी हमारी' और 'हमारा कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो.' किरण बेदी इस समय पुदुचेरी की उप राज्यपाल हैं.

प्रदर्शन के कारण आईटीओ की ओर आने वाले कई रास्तों पर यातायात जाम हो गया और दिल्ली पुलिस को ट्विटर पर यातायात परामर्श जारी करना पड़ा.

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने उक्त वीडियो ट्विटर पर साझा किया और लिखा, 'कानून को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए. यह किसी समूह का समर्थन करने का सवाल नहीं है.'

police vs lawyers etv bharat
किरन रिजिजू का ट्वीट.

अधिकारियों ने बताया कि शनिवार की झड़प में कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई या उनमें आग लगा दी गई. इन घटनाओं की कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने ट्विटर के माध्यम से कड़ी निंदा की और नाराजगी जाहिर की.

दिल्ली पुलिस के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी मधुर वर्मा ने सवाल करते हुए लिखा, 'मैं क्षमा चाहता हूं. हम पुलिस हैं. हमारा कोई वजूद नहीं है. हमारे परिवार नहीं हैं. हमारे मानवाधिकार नहीं हैं!!!' वर्मा फिलहाल अरुणाचल प्रदेश के उप महानिरीक्षक हैं.

police vs lawyers etv bharat
मधुर वर्मा द्वारा किया गया ट्वीट.

आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस हमले की निंदा की और 'अपमान' तथा 'हमले' का सामने करने वाले अपने साथियों के साथ एकजुटता दिखाई.

एसोसिएशन के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया, 'पुलिस और वकीलों के बीच हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों के आधार पर सभी को इस घटना के प्रति संतुलित नजरिया रखना चाहिए. देशभर की पुलिस उन पुलिसकर्मियों के साथ खड़ी है, जिन्हें अपमानित किया गया और जिनके साथ मारपीट की गई. कानून तोड़ने के सभी प्रयासों की निंदा करता हूं, चाहे ऐसा प्रयास करने वाला कोई भी हो.

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आईपीएस एसोसिएशन द्वारा किया गया ट्वीट.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा, 'नागरिक समाज की रक्षा करने और कानून-व्यवस्था को कायम रखने में अपना पूरा जीवन बिताने वाले पुलिसकर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार देखकर बेहद दुख हुआ.'

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Print Printपीटीआई-भाषा संवाददाता 18:20 HRS IST

विद्रोह जैसे हालात की गवाह बनी दिल्ली पुलिस, साथियों पर हमले के विरोध में पुलिसकर्मियों का प्रदर्शन

नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस को मंगलवार को उस समय विद्रोह जैसे हालात का सामना करना पड़ा जब हजारों पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और अपने मुखिया पुलिस आयुक्त के वापस जाने के अनुरोध को नकार दिया।



पुलिसकर्मी साकेत अदालत के बाहर सोमवार को अपने एक साथी पर हुए हमले का विरोध कर रहे थे और उन्होंने हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।



दिल्ली पुलिस के प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने अपनी मांगे रखते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों से मारपीट करने वाले वकीलों के लाइसेंस वापस लिए जाएं और पुलिस कर्मियों के खिलाफ निलंबन आदेश रद्द किए जाएं।



मंगलवार को पुलिसकर्मियों द्वारा प्रदर्शन करने की अभूतपूर्व घटना के चलते दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को उनसे ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध करना पड़ा।



पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच तनाव के हालात शनिवार से बनने शुरू हो गए थे जब पार्किंग को लेकर हुई झड़प में कम से कम 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गए थे।



इस बीच साकेत जिला न्यायालय के बाहर बाइक पर सवार एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी को कुहनी और थप्पड़ मारने वाले एक वकील के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई हैं।



प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी बड़ी संख्या में आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर जमा होने लगे तो यातायात धीमा पड़ गया। ऐसे में पटनायक अपने कार्यालय से बाहर आए और उन्होंने पुलिसकर्मियों को आश्वस्त किया कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा।



पटनायक ने कहा, ‘‘हमें एक अनुशासित बल की तरह व्यवहार करना होगा। सरकार और जनता हमसे कानून व्यवस्था को कायम रखने की उम्मीद रखती है, यह हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है। मैं अनुरोध करता हूं कि आप लोग काम पर लौट जाएं।’’



उन्होंने मुख्यालय के बाहर एकत्रित हुए पुलिसकर्मियों से कहा, ‘‘बीते कुछ दिन हमारे लिए परीक्षा की घड़ी रहे हैं। न्यायिक जांच चल रही है और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखें।’’ दिल्ली पुलिस में 80,000 से अधिक कर्मी हैं।



प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों ने काली पट्टियां बांध रखी थीं और वे न्याय की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे। दिल्ली पुलिस के समस्त शीर्ष अधिकारी उन्हें शांत करने का प्रयास कर रहे थे।



पुलिसकर्मियों ने तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था, ‘‘पुलिस वर्दी में हम इंसान हैं,’’ ‘‘हम पंचिंग बैग नहीं हैं’’ और ‘‘रक्षा करने वालों को सुरक्षा की जरूरत’’। उन्होंने अपने वरिष्ठों से अनुरोध किया कि वर्दी का सम्मान बचाने की खातिर वे उनके साथ खड़े रहें।



एक महिला पुलिसकर्मी ने कहा, ‘‘हमारे घायल साथियों से मिलने कोई भी पुलिस अधिकारी या राजनेता नहीं गया। ये निराशाजनक है और हमारे मनोबल को गिराने वाला है।’’



एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल घायल वकीलों से मुलाकात करने तो पहुंचे लेकिन इस घटना में घायल हमारे साथियों से मिलने नहीं पहुंचे। क्या यह अन्यायपूर्ण नहीं है।’’



इस टकराव से कई पुलिसकर्मियों को 1988 में हुई ऐसी ही घटना की याद ताजा हो आयी जब वकीलों और पुलिस में संघर्ष हुआ था और उस विवाद के केंद्र में पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी थीं।



कई पुलिसकर्मी प्रदर्शन के दौरान बेदी के पोस्टर लिए हुए थे और नारे लगा रहे थे- ‘‘किरण बेदी शेरनी हमारी’’ और ‘‘हमारा कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो।’’ किरण बेदी इस समय पुदुचेरी की उप राज्यपाल हैं।



प्रदर्शन के कारण आईटीओ की ओर आने वाले कई रास्तों पर यातायात जाम हो गया और दिल्ली पुलिस को ट्विटर पर यातायात परामर्श जारी करना पड़ा।



साकेत अदालत के बाहर सोमवार को वकीलों ने ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी की पिटाई कर दी थी।



घटना के एक वीडियो में, वकील बाइक पर सवार एक पुलिसकर्मी को पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं। वकीलों में से एक को पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारते भी देखा गया।



जब पुलिसकर्मी घटनास्थल से जा रहे थे, तब वकील ने उसके हेलमेट को उसकी बाइक पर दे मारा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मी पर हमला करने वाले वकील के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।



केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने उक्त वीडियो ट्विटर पर साझा किया और लिखा, ‘‘कानून को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए। यह किसी समूह का समर्थन करने का सवाल नहीं है।’’



अधिकारियों ने बताया कि शनिवार की झड़प में कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई या उनमें आग लगा दी गई। इन घटनाओं की कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने ट्विटर के माध्यम से कड़ी निंदा की और नाराजगी जाहिर की।



दिल्ली पुलिस के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी मधुर वर्मा ने सवाल करते हुए लिखा, ‘‘मैं क्षमा चाहता हूं...हम पुलिस हैं...हमारा कोई वजूद नहीं है... हमारे परिवार नहीं हैं... हमारे मानवाधिकार नहीं हैं!!!’’ वर्मा फिलहाल अरूणाचल प्रदेश के उप महानिरीक्षक हैं।



आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस हमले की निंदा की और ‘‘अपमान’’ तथा ‘‘हमले’’ का सामने करने वाले अपने साथियों के साथ एकजुटता दिखाई।



एसोसिएशन के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘‘पुलिस और वकीलों के बीच हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों के आधार पर सभी को इस घटना के प्रति संतुलित नजरिया रखना चाहिए। देशभर की पुलिस उन पुलिसकर्मियों के साथ खड़ी है जिन्हें अपमानित किया गया और जिनके साथ मारपीट की गई। कानून तोड़ने के सभी प्रयासों की निंदा करता हूं, चाहे ऐसा प्रयास करने वाला कोई भी हो।



जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा, ‘‘नागरिक समाज की रक्षा करने और कानून-व्यवस्था को कायम रखने में अपना पूरा जीवन बिताने वाले पुलिसकर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार देखकर बेहद दुख हुआ।’’


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