नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया घोटाला केस के सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने आर्थिक-अपराधियों के गिरफ्तारी से पहले जमानत मिलने पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यता जताई. कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया घोटाले जैसे हाई-प्रोफाइल मामलें में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के प्रावधानों को अनुचित बताया.
उच्चतम न्यायालय ने बोला कि मौजूदा कानून में संशोधन की आवश्यता है.
उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि गिरफ्तारी के पूर्व जमानत का मतलब यह नहीं है कि उच्च-प्रोफ़ाइल के आर्थिक अपराधियों द्वारा दुरुपयोग किया जाए. ऐसे मामलें में प्रतिनिधियों को कानून तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
'गिरफ्तारी के पहले जमानत हाई-प्रोफाइल के आर्थिक अपराधियों के लिए नहीं है. समय आ गया है कि संसद को पूर्व प्रावधानों को प्रतिबंधित करके, संविधान में उपयुक्त संशोधन करना चाहिए. गिरफ्तारी से पहले तत्काल जमानत हाई-प्रोफाइल मामलों के आर्थिक अपराधियों के लिए अनुचित है. यह समय की मांग है.'
उच्च न्यायालय ने INX मीडिया मामले में यह बात अपने 24-पृष्ठ के फैसले में कही है. धन-शोधन और भ्रष्टाचार में पूर्व केंद्रीय मंत्री को जमानत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
अदालत ने कहा कि आर्थिक अपराधियों पर कानून को कड़े से कड़े कदम उठाना चाहिए.
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उच्च न्यायालय अपने 24-पृष्ठ के फैसले में कहा, 'अक्सर यह देखा जाता है कि आर्थिक अपराधी गिरफ्तारी से पहले जमानत ले लेते है, जिससे जाँच काफी कमजोर होती है, जैसे इस मामले में. यह न केवल बड़े घोटाला में मामलों को कमजोर करता है, बल्कि यह वास्तव में अभियोजन को रोकता है. यह अदालत इस संवेदनशील मामले को भी अन्य हाई-प्रोफाइल मामलों की तरह अभियोजन पक्ष को धुएं में समाप्त करने लिए अनुमति नहीं दे सकता है.'
गुरुवार को सेवानिवृत हो रहे न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने आगे कहा कि इस तथ्य से अवगत है कि एक नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता अधिकार है, लेकिन कोई भी कानून से ऊपर नहीं हो सकता.
बता दें, आईएनएक्स मीडिया केस में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से कोर्ट ने मना कर दिया है. चिदंबरम इस मामले में आरोपित है.