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किसान आंदोलन : दिल्ली की अदालत ने पत्रकार मंदीप पूनिया को जमानत दी - सिंघु बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किए गए स्वतंत्र (फ्रीलांस) पत्रकार मंदीप पूनिया को दिल्ली की एक अदालत ने सशर्त जमानत दे दी. पूनिया पर सरकारी कर्मचारी के कामकाज में बाधा डालने समेत कई आरोप लगाए गए थे.

पत्रकार मंदीप पूनिया
पत्रकार मंदीप पूनिया
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Published : Feb 2, 2021, 10:40 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किए गए स्वतंत्र (फ्रीलांस) पत्रकार मंदीप पूनिया को मंगलवार को जमानत दे दी. उन्हें दिल्ली पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार किया था.

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतबीर सिंह लाम्बा ने पूनिया की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि 'शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह सिर्फ पुलिसकर्मी ही हैं, इसलिए इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आरोपी/प्रार्थी किसी पुलिस अधिकारी को प्रभावित कर सकता है.'

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में पूनिया को रविवार को गिरफ्तार किया गया था.

न्यायाधीश ने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि कथित हाथापाई की घटना शाम करीब साढ़े छह बजे की है, जबकि, मौजूदा प्राथमिकी अगले दिन रात करीब एक बजकर 21 मिनट पर दर्ज की गई.

उन्होंने यह भी कहा, आरोपी फ्रीलांस पत्रकार है. आरोपी व्यक्ति जांच को प्रभावित नहीं करेगा और आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखे जाने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी.'

उन्होंने कहा कि कानून का यह बखूबी स्थापित विधिक सिद्धांत है कि 'जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है.'

न्यायाधीश ने कहा, इसलिए तथ्यों एवं परिस्थितियों पर दोनों पक्षों की ओर से पेश गई दलीलों पर और न्यायिक हिरासत में आरोपी को रखने की अवधि पर संपूर्णता से विचार करते हुए वह 25,000 रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके के साथ जमानत मंजूर करते हैं.'

ये आरोप लगाए गए थे

पूनिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 186 (सरकारी कर्मचारी के कामकाज में बाधा डालना), 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए उस पर हमला करना या उस पर आपराधिक बल प्रयोग करना) और 332 (सरकारी कर्मचारी को उसकी ड्यूटी से रोकने के लिए उसे स्वैच्छिक रूप से चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

देश से बाहर नहीं जा सकेंगे पूनिया

अदालत ने पूनिया पर उसकी (अदालत की) पूर्व अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाने सहित शर्तें भी लगाई. अदालत ने कहा, 'आरोपी जमानत पर रिहा रहने के दौरान इस प्रकार का कोई अपराध या कोई अन्य अपराध नहीं करेगा. आरोपी किसी भी तरह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा.'

पढ़ें- ट्रैक्टर रैली हिंसा : गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग पर सुनवाई से कोर्ट का इनकार

अदालत ने निर्देश दिया कि जब जांच एजेंसी को आवश्यकता होगी, तब आरोपी पेश होगा. पूनिया ने अदालत से कहा है कि वह बेकसूर हैं और उन्हें मामले में फंसाया गया है. गौरतलब है कि पूनिया को गिरफ्तारी के बाद अदालत ने रविवार को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किए गए स्वतंत्र (फ्रीलांस) पत्रकार मंदीप पूनिया को मंगलवार को जमानत दे दी. उन्हें दिल्ली पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार किया था.

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतबीर सिंह लाम्बा ने पूनिया की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि 'शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह सिर्फ पुलिसकर्मी ही हैं, इसलिए इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आरोपी/प्रार्थी किसी पुलिस अधिकारी को प्रभावित कर सकता है.'

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में पूनिया को रविवार को गिरफ्तार किया गया था.

न्यायाधीश ने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि कथित हाथापाई की घटना शाम करीब साढ़े छह बजे की है, जबकि, मौजूदा प्राथमिकी अगले दिन रात करीब एक बजकर 21 मिनट पर दर्ज की गई.

उन्होंने यह भी कहा, आरोपी फ्रीलांस पत्रकार है. आरोपी व्यक्ति जांच को प्रभावित नहीं करेगा और आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखे जाने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी.'

उन्होंने कहा कि कानून का यह बखूबी स्थापित विधिक सिद्धांत है कि 'जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है.'

न्यायाधीश ने कहा, इसलिए तथ्यों एवं परिस्थितियों पर दोनों पक्षों की ओर से पेश गई दलीलों पर और न्यायिक हिरासत में आरोपी को रखने की अवधि पर संपूर्णता से विचार करते हुए वह 25,000 रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके के साथ जमानत मंजूर करते हैं.'

ये आरोप लगाए गए थे

पूनिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 186 (सरकारी कर्मचारी के कामकाज में बाधा डालना), 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए उस पर हमला करना या उस पर आपराधिक बल प्रयोग करना) और 332 (सरकारी कर्मचारी को उसकी ड्यूटी से रोकने के लिए उसे स्वैच्छिक रूप से चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

देश से बाहर नहीं जा सकेंगे पूनिया

अदालत ने पूनिया पर उसकी (अदालत की) पूर्व अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाने सहित शर्तें भी लगाई. अदालत ने कहा, 'आरोपी जमानत पर रिहा रहने के दौरान इस प्रकार का कोई अपराध या कोई अन्य अपराध नहीं करेगा. आरोपी किसी भी तरह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा.'

पढ़ें- ट्रैक्टर रैली हिंसा : गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग पर सुनवाई से कोर्ट का इनकार

अदालत ने निर्देश दिया कि जब जांच एजेंसी को आवश्यकता होगी, तब आरोपी पेश होगा. पूनिया ने अदालत से कहा है कि वह बेकसूर हैं और उन्हें मामले में फंसाया गया है. गौरतलब है कि पूनिया को गिरफ्तारी के बाद अदालत ने रविवार को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

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