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दिल्ली-एनसीआर : वायु प्रदूषण रोकने के लिए 15 से होगी सख्ती

प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण के प्रमुख भूरेलाल ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था की हालत वैसे ही अच्छी नहीं है, ऐसे में हम सभी को कोशिश करनी चाहिए कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए आपात कदम ना उठाने पड़ें. वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्रवाई योजना (ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान) के तहत 15 अक्टूबर से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कड़े कदम उठाए जाएंगे.

Delhi air quality
वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना
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Published : Oct 9, 2020, 7:55 AM IST

Updated : Oct 9, 2020, 9:28 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय से अधिकार प्राप्त प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने गुरुवार को कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्रवाई योजना (ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान) के तहत 15 अक्टूबर से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कड़े कदम उठाए जाएंगे.

पर्यावरण प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों से कहा कि सभी विनिर्माण और पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) के अलावा अन्य ईंधन के उपयोग पर प्रतिबंध जैसे आपात कदम ना उठाने पड़ें, इसका पूर्ण प्रयास करें क्योंकि लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति सही नहीं है. प्राधिकरण ने दिल्ली, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश की सरकारों को निर्देश दिया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम की सीमा में आवश्यक और आपात सेवाओं को छोड़कर अन्य किसी भी कार्य में डीजल जेनरेटर का उपयोग प्रतिबंधित करें.

प्राधिकरण जल्दी ही अपवाद और आपात सेवाओं की सूची जारी करेगा, जहां डीजल वाले जेनरेटरों के उपयोग की अनुमति होगी. उसने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है हमें वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए आपात कदम उठाने की जरुरतों से बचने का प्रयास करना चाहिए. लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था पहले से खराब स्थिति में है. इसलिए हमारा संयुक्त प्रयास यह होना चाहिए कि हालात और ना बिगड़ें. विनिर्माण गतिविधियों, गैर-पीएनजी ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योग और ताप विद्युत संयंत्रों को बंद करने जैसे कदम उस वक्त उठाए जाएंगे जब क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंच जाएगा.

प्राधिकरण के प्रमुख भूरेलाल ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है राजमार्ग और मेट्रो जैसी बड़ी विनिर्माण परियोजनाएं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियों को हलफनामा देंगे कि धूल प्रबंधन के लिए वह तय मानदंडों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेंगे. प्राधिकरण ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के आपात कदम के रूप में विनिर्माण कार्यों या ट्रकों के परिचालन जैसी आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाने से कोरोना वायरस महामारी के कारण पहले से खराब अर्थव्यवस्था की स्थिति और बिगड़ जाएगी.

पढ़ें : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो गया है केंद्रीय राजनीतिक नियंत्रण बोर्ड: सौरभ भारद्वाज

प्राधिकरण ने एक पत्र में कहा है लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था की हालत वैसे ही अच्छी नहीं है, ऐसे में हम सभी को कोशिश करनी चाहिए कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए आपात कदम ना उठाने पड़ें. ऐसे में हमारा संयुक्त प्रयास यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि हालात और ना बिगड़ें.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय से अधिकार प्राप्त प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने गुरुवार को कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्रवाई योजना (ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान) के तहत 15 अक्टूबर से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कड़े कदम उठाए जाएंगे.

पर्यावरण प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों से कहा कि सभी विनिर्माण और पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) के अलावा अन्य ईंधन के उपयोग पर प्रतिबंध जैसे आपात कदम ना उठाने पड़ें, इसका पूर्ण प्रयास करें क्योंकि लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति सही नहीं है. प्राधिकरण ने दिल्ली, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश की सरकारों को निर्देश दिया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम की सीमा में आवश्यक और आपात सेवाओं को छोड़कर अन्य किसी भी कार्य में डीजल जेनरेटर का उपयोग प्रतिबंधित करें.

प्राधिकरण जल्दी ही अपवाद और आपात सेवाओं की सूची जारी करेगा, जहां डीजल वाले जेनरेटरों के उपयोग की अनुमति होगी. उसने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है हमें वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए आपात कदम उठाने की जरुरतों से बचने का प्रयास करना चाहिए. लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था पहले से खराब स्थिति में है. इसलिए हमारा संयुक्त प्रयास यह होना चाहिए कि हालात और ना बिगड़ें. विनिर्माण गतिविधियों, गैर-पीएनजी ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योग और ताप विद्युत संयंत्रों को बंद करने जैसे कदम उस वक्त उठाए जाएंगे जब क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंच जाएगा.

प्राधिकरण के प्रमुख भूरेलाल ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है राजमार्ग और मेट्रो जैसी बड़ी विनिर्माण परियोजनाएं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियों को हलफनामा देंगे कि धूल प्रबंधन के लिए वह तय मानदंडों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेंगे. प्राधिकरण ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के आपात कदम के रूप में विनिर्माण कार्यों या ट्रकों के परिचालन जैसी आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाने से कोरोना वायरस महामारी के कारण पहले से खराब अर्थव्यवस्था की स्थिति और बिगड़ जाएगी.

पढ़ें : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो गया है केंद्रीय राजनीतिक नियंत्रण बोर्ड: सौरभ भारद्वाज

प्राधिकरण ने एक पत्र में कहा है लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था की हालत वैसे ही अच्छी नहीं है, ऐसे में हम सभी को कोशिश करनी चाहिए कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए आपात कदम ना उठाने पड़ें. ऐसे में हमारा संयुक्त प्रयास यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि हालात और ना बिगड़ें.

Last Updated : Oct 9, 2020, 9:28 AM IST
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