नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की. इसमें करीब 300 आतंकी के ढेर होने की सूचना है. वायुसेना के हवाई हमलों की विभिन्न रक्षा विशेषज्ञों ने सराहना की है. विशेषज्ञों ने कहा कि इस्लामाबाद को कड़ा संदेश मिल गया है. वहीं, एक पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि भारत को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान जल्द प्रतिक्रिया कर सकता है.
ईटीवी भारत ने रक्षा विशेषज्ञ रंजीत कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को इस तरह के हमले की उम्मीद नहीं रही होगी और भारतीय वायु सेना ने आतंकवादी शिविरों पर हमला करने के लिए एक सराहनीय काम किया है.
उन्होंने कहा कि इस हमले के बाद पाकिस्तानी सेना ने निश्चित रूप से स्लीपर सेल को सक्रिय किया होगा. मुझे विश्वास है कि भारतीय सेना निश्चित रूप से मामले की देखरेख करेगी. सेना को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि आतंकवादी के स्लीपर सेल एक गुप्त ऑपरेशन की योजना बना रहे होंगे.
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भारत को कूटनीतिक रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है, इस सवाल पर कुमार ने कहा कि भारत ने P5 राष्ट्रों को आमंत्रित करके और आतंकवादी गतिविधियों के बारे में सूचित करके भारत ने कूटनीतिक रूप से कार्रवाई की है.
पूर्व रक्षामंत्री ए के एंटनी ने कहा कि ‘पाकिस्तान को समझना चाहिए कि वह भारत के सशस्त्र बलों की शक्ति का मुकाबला नहीं कर सकता.’
विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि भारत ने मंगलवार तड़के जैश ए मोहम्मद के आतंकी शिविर पर हवाई हमला किया जिसमें बड़ी संख्या में आतंकवादी और उनके प्रशिक्षक मारे गए.
भारतीय वायुसेना के हवाई हमलों पर विभिन्न रक्षा विशेषज्ञों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) सैयद अता हसनैन ने इस अभियान को 'अच्छी तरह सोच-समझ कर दिया गया उचित जवाब' करार दिया. उन्होंने कहा कि यह हमलों को रोकने के लिए किया गया हमला है और 'हम काफी अंदर तक गए, इसलिए पाकिस्तान की ओर से इनकार किए जाने की कोई संभावना नहीं है.'
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हसनैन ने कहा, 'हमने केवल आतंकी शिविर को निशाना बनाया. हमने किसी सैन्य या असैन्य इलाके को निशाना नहीं बनाया. हमारा कदम ऐसा है कि अगर ऐसे में स्थिति भड़कती है तो उसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान की होगी.'
पंद्रहवीं और 21वीं कोर के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग ने कहा, 'इसके अलावा, इस उद्देश्य पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार हमारे साथ खड़ा रहेगा और राजनयिक तथा अन्य माध्यमों से मिले समर्थन का प्रभाव जारी रहेगा.'
लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) अजय सिंह ने कहा कि उनकी भावना मिश्रित है. उन्होंने कहा, 'यह दुधारी तलवार की तरह है. कार्रवाई ने जहां देश को जोश और देशभक्ति से भर दिया है, वहीं इससे पाकिस्तान चौकन्ना भी हो गया है.'
वर्ष 1962, 1965 और 1971 की जंग में हिस्सा ले चुके 84 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा, 'उन्हें (पाकिस्तान) संदेश पहुंच गया है, लेकिन हमने पाकिस्तान को चौकन्ना कर दिया है, और अब वे सतर्कता बरतेंगे.'
पूर्व वायुसेना प्रमुख एस कृष्णास्वामी ने ऐसा कदम उठाने के लिए सरकार की सराहना की, लेकिन आगाह किया कि पाकिस्तान की ओर से 'प्रतिक्रिया' हो सकती है. उन्होंने कहा, 'प्रतिक्रिया (पाकिस्तान की ओर से) स्वाभाविक है. यदि पाकिस्तान की ओर से 48 घंटे के भीतर प्रतिक्रिया नहीं होती है तो मुझे आश्चर्य होगा.'
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लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) बलजीत सिंह जसवाल ने कहा, 'सटीक हमला हमारी क्षमता है. एक आश्चर्यजनक काम और इसकी तारीफ होनी चाहिए. सरकार की इच्छाशक्ति कार्रवाई में तब्दील हो गई...हम पाकिस्तान की हरकतों को और सहन नहीं कर सकते.'