चेन्नई : तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल डीएमके और पीएमके ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों की रिहाई के बारे में जल्द फैसला करने का आग्रह किया है.
इन दलों की प्रतिक्रिया राजीव गांधी हत्याकांड के एक मुजरिम एजी पेरारिवलन की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से भी ज्यादा समय से लंबित होने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नाखुशी जताए जाने के बाद आई है.
सात दोषियों में से एक, पेरारिवलन आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसने अपनी दया याचिका में माफी मांगी है.
डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने मामले पर शीर्ष अदालत की नाखुशी का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल को पेरारिवलन सहित सात दोषियों की रिहाई पर तेजी से फैसला करना चाहिए.
उन्होंने राज्य की एआईएडीएमके सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि सरकार मूकदर्शक न बने और कम से कम अब से राज्यपाल पुरोहित से आग्रह करे.
उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, राज्यपाल का राजीव गांधी मामले में सात दोषियों की रिहाई पर फैसला अनिश्चितकाल के लिए विलंबित करना अमानवीय है और यह उनकी शक्तियों का उल्लंघन है.
वहीं, पीएमके संस्थापक एस रामदास ने कहा कि शीर्ष अदालत के शब्दों ने उनकी रिहाई के लिए उम्मीद की एक नई किरण दी है.
राज्यपाल सातों दोषियों की रिहाई की सिफारिश करने वाले मंत्रिमंडल के नौ सितंबर, 2018 के प्रस्ताव पर निर्णय विलंबित कर रहे हैं.
रामदास ने कहा कि जब दो सप्ताह की अवधि में फैसला लिया जा सकता है, तो इसमें देरी करना और दो वर्ष से अधिक समय में निर्णय नहीं लेना अस्वीकार्य है.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार को राज्यपाल पुरोहित को यह स्पष्ट करना चाहिए कि दोषियों की प्रस्तावित रिहाई का बहु-अनुशासनिक निगरानी एजेंसी (एमडीएमए) की जांच से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्यपाल उनकी रिहाई को मंजूरी दें.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हम इस समय अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, लेकिन हम इस बात से खुश नहीं है कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश दो साल से लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट 46 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने इस मामले में अपनी उम्र कैद की सजा सीबीआई के नेतृत्व वाली एमडीएमए की जांच पूरी होने तक निलंबित रखने का अनुरोध किया है.
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता पेरारिवलन के वकील से जानना चाहा कि क्या इस मामले में न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अपने अधिकार का इस्तेमाल करके राज्यपाल से इस पर निर्णय करने का अनुरोध कर सकता है.
इस समय उम्र कैद की सजा काट रहे पेरारिवलन ने अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल के पास यह याचिका दायर की थी. इसी अनुच्छेद के तहत राज्यपाल को किसी आपराधिक मामले में क्षमा देने का अधिकार प्राप्त है.