नई दिल्ली: देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में नवजात शिशुओं तथा पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर कम हुई है, वहीं 16 राज्यों में पांच साल से कम उम्र के ऐसे बच्चों के प्रतिशत में इजाफा हुआ है जिनका वजन बहुत कम है. ये खुलासा हुआ है पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) में. सर्वेक्षण 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को पांचवां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण जारी किया, जिसमें भारत और उसके राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए जनसंख्या, स्वास्थ्य और पोषण पर विस्तृत जानकारी है.
इन राज्यों में कम कद वाले बच्चे
आंकड़ों के अनुसार जिन 22 राज्यों में सर्वेक्षण किया गया उनमें से 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में पांच साल से छोटे ऐसे बच्चों का प्रतिशत 2015-16 की तुलना में बढ़ गया जिनका कद छोटा रह गया.
एनएफएचएस-5 के अनुसार गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, लक्षद्वीप और दादरा और नगर हवेली तथा दमन दीव में पांच साल से कम उम्र के ऐसे बच्चों का प्रतिशत एनएफएचएस-4 (2015-16) की तुलना में बढ़ गया, जिनका कद कम रह गया.
इन राज्यों में कमजोर बच्चों की संख्या बढ़ी
12 राज्यों में पांच साल से कम उम्र के ऐसे बच्चों का प्रतिशत एनएफएचएस-4 की तुलना में बढ़ गया जो कमजोर रह गए, वहीं दो राज्यों में यह प्रतिशत एनएफएचएस-4 की तरह ही रहा.
आंकड़ों के अनुसार असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, तेलंगाना, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और लक्षद्वीप में पांच साल से कम उम्र के कमजोर बच्चों का प्रतिशत बढ़ गया, वहीं महाराष्ट्र तथा पश्चिम बंगाल में यह प्रतिशत पहले की तरह रहा. वहीं 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पांच साल से कम उम्र के ऐसे बच्चों के प्रतिशत में वृद्धि हुई है जो अधिक वजन के हैं.
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख में लिंगानुपात घटा
एनएफएचएस-5 (2019-20) के अनुसार 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एनएचएचएस-4 की तुलना में कुल आबादी का लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएं) बढ़ गया है. वहीं हिमाचल प्रदेश, केरल, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लिंगानुपात कम हो गया है.