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सरकार की खालिस्तान समर्थकों पर सख्त कार्रवाई, 40 वेबसाइट्स पर लगाई रोक

केंद्र सरकार ने रविवार को एलान किया कि अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन करने को लेकर प्रतिबंधित संगठन 'सिख्स फॉर जस्टिस' (एसएफजे) से जुड़ी 40 वेबसाइट ब्लॉक कर दी गई हैं. गृह मंत्रालय की सिफारिश के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने वेबसाइट ब्लॉक करने का आदेश जारी किया. बता दें कि MEITY भारत में साइबर स्पेस की निगरानी करने के लिए नोडल प्राधिकार है. वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ ने इस मामले से जुड़े शीर्ष सुरक्षा जानकार से बात की.

भारत ने प्रतिबंधित किए 40 वेबसाइट्स
भारत ने प्रतिबंधित किए 40 वेबसाइट्स
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Published : Jul 5, 2020, 11:11 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 2:02 AM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ी 40 वेबसाइट ब्लॉक कर दी है. अमेरिका स्थित एसएफजे एक खालिस्तान समर्थक समूह है. गृह मंत्रालय की सिफारिश पर इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 की धारा-69 ए के तहत एसएफजे की 40 वेबसाइट ब्लॉक करने के आदेश जारी कर दिए. सरकार ने एसएफजे को 10 जुलाई, 2019 को प्रतिबंधित कर दिया था.

खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा प्रयोग किए जा रहे रूसी पोर्टल को ब्लॉक किए जाने को लेकर मिली जानकारी के अनुसार यह पोर्टल खालिस्तान की मांग से जुड़े 'रेफरेंडम 2020' के लिए समर्थकों का पंजीकरण करने को लेकर एक अभियान शुरू किया गया था. एसएफजे ने अपने अलगाववादी एजेंडे के तहत सिख जनमत संग्रह पर जोर दिया था.

एसएफजे ने पंजाब के 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के साथ-साथ भारत में किसी अन्य स्थान पर रहने वाले सिखों से भी जनमत संग्रह में भाग लेने और वोट देने की अपील की. बता दें कि 1955 में तत्कालीन सरकार ने इसी दिन इकट्ठे अलगाववादी सिख कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने का आदेश दिया था.

इस संबंध में सुरक्षा मामलों से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'रेफरेंडम 2020' की योजना अगस्त, 2018 में लंदन में शुरू हुई थी. इसे 6 जून, 2020 को पंजाब में लॉन्च किया जाना था. यह दिन ऑपरेशन ब्लूस्टार से जुड़ा है. हालांकि, अपेक्षित समर्थन नहीं मिलने के कारण तारीख फिर से तय की गई. 4 जुलाई को प्रस्तावित रेफरेंडम भी विफल रहा.' बता दें कि 2020 में ऑपरेशन ब्लू्स्टार की 36वीं वर्षगांठ है.

इससे पहले रविवार को गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'ग़ैर क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) एक गैरकानूनी संगठन है.' बकौल गृह मंत्रालय, एसएफजे ने अपने मंसूबे के लिए समर्थकों का पंजीकरण करने को लेकर एक अभियान शुरू किया था.

इससे पहले पिछले वर्ष गृह मंत्रालय ने एसएफजे की कथित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को लेकर उसे प्रतिबंधित कर दिया था. एसएफजे ने अपने अलगाववादी एजेंडे के तहत सिख जनमत संग्रह, 2020 पर जोर दिया था.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह संगठन खालिस्तान बनाये जाने का खुले तौर पर समर्थन करता है और ऐसा कर भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देता है.

गृह मंत्रालय ने अलगाववादी खालिस्तानी संगठन से जुड़े नौ लोगों को एक जुलाई को यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित कर दिया था. इनमें से चार लोग पाकिस्तान में हैं. ये लोग विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं.

यूएपीए के तहत आतंकी घोषित किए गए लोगों में बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सरगना वाधवा सिंह बब्बर,इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का नेतृत्व संभाल रहा लखबीर सिंह, खालिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स का नेतृत्वकर्ता रंजीत सिंह और खालिस्तान कमांडो फोर्स का नेतृत्व कर रहा परमजीत सिंह शामिल है. ये चारों पाकिस्तान में हैं.

गृह मंत्रालय ने कहा ये नौ लोग पाकिस्तान और अन्य देशों से संचालित हो रहे हैं तथा आतंकवाद की विभिन्न गतिविधियों में संलिप्त हैं.

मंत्रालय के मुताबिक, 'वे लोग अपनी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और खालिस्तान समर्थक गतिविधयों में संलिप्त हो कर पंजाब में आतंकवाद का सिर फिर से उठाने की कोशिश कर देश को अस्थिर करने के लिये अपने नापाक मंसूबों में अनवरत लगे हुए हैं.'

एसएफजे का नेतृत्व अवतार सिंह पन्नू और गुरपटवंत सिंह पन्नू कर रहे हैं, जिन्होंने खालिस्तान की वकालत करने के साथ ही रेफरेंडम 2020 के लिए ऑनलाइन अलगाववादी अभियान को अंजाम दिया. अमेरिका स्थित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पनुन ने एक वीडियो के माध्यम से मतदाता पंजीकरण की घोषणा की थी, जिसमें पंजाब पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को भी शामिल किया गया था.

13 जनवरी, 2019 को, पनुन ने इस्लामाबाद में चीन के राजदूत याओ जिंग को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने 23 नवंबर, 2018 को कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले में भारतीय खुफिया विभाग के शामिल होने का आरोप लगाया था.

गौरतलब है कि भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थक किसी भी गतिविधि पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद एसएफजे ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक जमीनी स्तर की योजना बनाई कि रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण फॉर्म पंजाब के हर घर तक पहुंचे.

एक अधिकारी ने कहा कि अलगाववादी समूह रेफरेंडम के लिए मतदाता पंजीकरण के माध्यम से भारत विरोधी प्रयास के लिए समर्थन पाने में विफल रहा, क्योंकि बड़ी संख्या में पुलिस के वाहन और सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी देश की शांति और कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में तैनात किए गए थे.

अलगाववादी समूह ने एक बयान में कहा कि उसके चार जुलाई के मतदाता पंजीकरण को पंजाब के लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसने भारत सरकार को वोटों के पंजीकरण को रोकने के लिए एक हताश प्रयास के साथ रूसी पोर्टल तक पहुंच को अवरुद्ध करने के लिए मजबूर किया.

अमेरिका स्थित आतंकवादी गुरपटवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो के माध्यम से मतदाता पंजीकरण की घोषणा की थी, जिसके बाद पंजाब पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की भी परेशानी बढ़ गई थी.

कट्टरपंथी समूह एसएफजे को पाकिस्तान स्थित संचालकों द्वारा पंजाब में कट्टरपंथी सिख तत्वों को पैसा और अन्य जरूरी सहायता प्रदान की जाती है, ताकि भारत में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके.

SFJ के प्रमुख प्रचारक पनुन को 1 जुलाई, 2020 में केंद्र सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था, जो पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और खालिस्तान आंदोलन में शामिल होने की कोशिश कर रहा था. इसके अलावा केंद्र ने आठ अन्य खालिस्तान समर्थकों को भी आतंकवादी घोषित किया था.

कट्टरपंथी समूह SFJ को पाकिस्तान स्थित संचालकों द्वारा पैसा और तार्किक सहायता दी जाती है. इस ग्रूप का नेतृत्व अवतार सिंह पनुन और गुरपतवंत सिंह कर रहे हैं और इसने ही खालिस्तान की वकालत करने के साथ-साथ रेफरेंडम 2020 के लिए ऑनलाइन अलगाववादी अभियान शुरू किया.

गौरतलब है कि 'रेफरेंडम 2020' के लिए पहली बार 14 अप्रैल, 2019 को गुरुद्वारा पंजा साहिब (पाकिस्तान) से पंजीकरण किया गया था. उसके बाद उसी दिन अमेरिका के स्टॉकटन, कैलिफोर्निया में और फिर ब्रिटिश कोलंबिया के सरी में, 20 अप्रैल, 2019 को कनाडा में पंजीकरण कराया गया था. बाद में, हांगकांग, न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी जैसे स्थानों में ऑनलाइन पंजीकरण का प्रयास जारी रहा.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इससे पहले खालिस्तानी संगठनों से जुड़े नौ लोगों को आतंकवादी घोषित कर दिया था.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ी 40 वेबसाइट ब्लॉक कर दी है. अमेरिका स्थित एसएफजे एक खालिस्तान समर्थक समूह है. गृह मंत्रालय की सिफारिश पर इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 की धारा-69 ए के तहत एसएफजे की 40 वेबसाइट ब्लॉक करने के आदेश जारी कर दिए. सरकार ने एसएफजे को 10 जुलाई, 2019 को प्रतिबंधित कर दिया था.

खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा प्रयोग किए जा रहे रूसी पोर्टल को ब्लॉक किए जाने को लेकर मिली जानकारी के अनुसार यह पोर्टल खालिस्तान की मांग से जुड़े 'रेफरेंडम 2020' के लिए समर्थकों का पंजीकरण करने को लेकर एक अभियान शुरू किया गया था. एसएफजे ने अपने अलगाववादी एजेंडे के तहत सिख जनमत संग्रह पर जोर दिया था.

एसएफजे ने पंजाब के 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के साथ-साथ भारत में किसी अन्य स्थान पर रहने वाले सिखों से भी जनमत संग्रह में भाग लेने और वोट देने की अपील की. बता दें कि 1955 में तत्कालीन सरकार ने इसी दिन इकट्ठे अलगाववादी सिख कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने का आदेश दिया था.

इस संबंध में सुरक्षा मामलों से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'रेफरेंडम 2020' की योजना अगस्त, 2018 में लंदन में शुरू हुई थी. इसे 6 जून, 2020 को पंजाब में लॉन्च किया जाना था. यह दिन ऑपरेशन ब्लूस्टार से जुड़ा है. हालांकि, अपेक्षित समर्थन नहीं मिलने के कारण तारीख फिर से तय की गई. 4 जुलाई को प्रस्तावित रेफरेंडम भी विफल रहा.' बता दें कि 2020 में ऑपरेशन ब्लू्स्टार की 36वीं वर्षगांठ है.

इससे पहले रविवार को गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'ग़ैर क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) एक गैरकानूनी संगठन है.' बकौल गृह मंत्रालय, एसएफजे ने अपने मंसूबे के लिए समर्थकों का पंजीकरण करने को लेकर एक अभियान शुरू किया था.

इससे पहले पिछले वर्ष गृह मंत्रालय ने एसएफजे की कथित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को लेकर उसे प्रतिबंधित कर दिया था. एसएफजे ने अपने अलगाववादी एजेंडे के तहत सिख जनमत संग्रह, 2020 पर जोर दिया था.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह संगठन खालिस्तान बनाये जाने का खुले तौर पर समर्थन करता है और ऐसा कर भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देता है.

गृह मंत्रालय ने अलगाववादी खालिस्तानी संगठन से जुड़े नौ लोगों को एक जुलाई को यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित कर दिया था. इनमें से चार लोग पाकिस्तान में हैं. ये लोग विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं.

यूएपीए के तहत आतंकी घोषित किए गए लोगों में बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सरगना वाधवा सिंह बब्बर,इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का नेतृत्व संभाल रहा लखबीर सिंह, खालिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स का नेतृत्वकर्ता रंजीत सिंह और खालिस्तान कमांडो फोर्स का नेतृत्व कर रहा परमजीत सिंह शामिल है. ये चारों पाकिस्तान में हैं.

गृह मंत्रालय ने कहा ये नौ लोग पाकिस्तान और अन्य देशों से संचालित हो रहे हैं तथा आतंकवाद की विभिन्न गतिविधियों में संलिप्त हैं.

मंत्रालय के मुताबिक, 'वे लोग अपनी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और खालिस्तान समर्थक गतिविधयों में संलिप्त हो कर पंजाब में आतंकवाद का सिर फिर से उठाने की कोशिश कर देश को अस्थिर करने के लिये अपने नापाक मंसूबों में अनवरत लगे हुए हैं.'

एसएफजे का नेतृत्व अवतार सिंह पन्नू और गुरपटवंत सिंह पन्नू कर रहे हैं, जिन्होंने खालिस्तान की वकालत करने के साथ ही रेफरेंडम 2020 के लिए ऑनलाइन अलगाववादी अभियान को अंजाम दिया. अमेरिका स्थित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पनुन ने एक वीडियो के माध्यम से मतदाता पंजीकरण की घोषणा की थी, जिसमें पंजाब पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को भी शामिल किया गया था.

13 जनवरी, 2019 को, पनुन ने इस्लामाबाद में चीन के राजदूत याओ जिंग को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने 23 नवंबर, 2018 को कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले में भारतीय खुफिया विभाग के शामिल होने का आरोप लगाया था.

गौरतलब है कि भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थक किसी भी गतिविधि पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद एसएफजे ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक जमीनी स्तर की योजना बनाई कि रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण फॉर्म पंजाब के हर घर तक पहुंचे.

एक अधिकारी ने कहा कि अलगाववादी समूह रेफरेंडम के लिए मतदाता पंजीकरण के माध्यम से भारत विरोधी प्रयास के लिए समर्थन पाने में विफल रहा, क्योंकि बड़ी संख्या में पुलिस के वाहन और सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी देश की शांति और कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में तैनात किए गए थे.

अलगाववादी समूह ने एक बयान में कहा कि उसके चार जुलाई के मतदाता पंजीकरण को पंजाब के लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसने भारत सरकार को वोटों के पंजीकरण को रोकने के लिए एक हताश प्रयास के साथ रूसी पोर्टल तक पहुंच को अवरुद्ध करने के लिए मजबूर किया.

अमेरिका स्थित आतंकवादी गुरपटवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो के माध्यम से मतदाता पंजीकरण की घोषणा की थी, जिसके बाद पंजाब पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की भी परेशानी बढ़ गई थी.

कट्टरपंथी समूह एसएफजे को पाकिस्तान स्थित संचालकों द्वारा पंजाब में कट्टरपंथी सिख तत्वों को पैसा और अन्य जरूरी सहायता प्रदान की जाती है, ताकि भारत में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके.

SFJ के प्रमुख प्रचारक पनुन को 1 जुलाई, 2020 में केंद्र सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था, जो पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और खालिस्तान आंदोलन में शामिल होने की कोशिश कर रहा था. इसके अलावा केंद्र ने आठ अन्य खालिस्तान समर्थकों को भी आतंकवादी घोषित किया था.

कट्टरपंथी समूह SFJ को पाकिस्तान स्थित संचालकों द्वारा पैसा और तार्किक सहायता दी जाती है. इस ग्रूप का नेतृत्व अवतार सिंह पनुन और गुरपतवंत सिंह कर रहे हैं और इसने ही खालिस्तान की वकालत करने के साथ-साथ रेफरेंडम 2020 के लिए ऑनलाइन अलगाववादी अभियान शुरू किया.

गौरतलब है कि 'रेफरेंडम 2020' के लिए पहली बार 14 अप्रैल, 2019 को गुरुद्वारा पंजा साहिब (पाकिस्तान) से पंजीकरण किया गया था. उसके बाद उसी दिन अमेरिका के स्टॉकटन, कैलिफोर्निया में और फिर ब्रिटिश कोलंबिया के सरी में, 20 अप्रैल, 2019 को कनाडा में पंजीकरण कराया गया था. बाद में, हांगकांग, न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी जैसे स्थानों में ऑनलाइन पंजीकरण का प्रयास जारी रहा.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इससे पहले खालिस्तानी संगठनों से जुड़े नौ लोगों को आतंकवादी घोषित कर दिया था.

Last Updated : Jul 6, 2020, 2:02 AM IST
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