श्रीनगर: कश्मीर घाटी के ज्यादातर क्षेत्रों में प्रतिबंधों में ढील के बाद स्थिति शांतिपूर्ण है लेकिन लगातार 29वें दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि घाटी के ज्यादातर क्षेत्रों से अवरोधक हटा दिये गए हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों को तैनात रखा गया है.
अधिकारियों ने बताया कि घाटी में 76 टेलीफोन एक्सचेंजों में लैंडलाइन सेवाएं बहाल कर दी गई है. हालांकि, यह सेवा कारोबारी क्षेत्र लाल चौक और प्रेस एन्क्लेव में अब भी बंद है.
उन्होंने बताया कि स्थिति शांतिपूर्ण रही और रविवार किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है. घाटी के 105 पुलिस थानों में से 82 में दिन के प्रतिबंधों में छूट दी गई है.
इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने बताया कि घाटी के 90 फीसदी हिस्से में दिन के समय की पाबंदियां हटा दी गई है.
कंसल ने कहा कि कश्मीर घाटी में 111 पुलिस थाना क्षेत्रों में दिन के समय की पाबंदियां 92 थाना क्षेत्रों से पूरी तरह से हटा दी गई है, जो पिछले हफ्ते के 81 थाना क्षेत्रों से अधिक है.
पढ़ें: J-K: लाल चौक पर आने लगे लोग, सामान्य हो रहा माहौल
उन्होंने कहा, 'इस तरह घाटी के 90 फीसदी हिस्से में दिन के समय की पाबंदियां पूरी तरह से हटा दी गई हैं.'
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें अस्पताल में लगभग सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.
इस बारे में ईटीवी भारत ने स्थानीय लोगों से बातचीत की. इस दौरान लोगों ने जम्मू-कश्मीर के हालातों के बारे में बात की.
प्रधान सचिव ने कहा, 'जम्मू और लद्दाख सभी तरह की पाबंदियों से पहले से ही पूरी तरह से मुक्त हैं. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के 93 फीसदी हिस्से आज किसी निषेधाज्ञा से पूरी तरह से मुक्त हैं.'
उन्होंने कहा कि घाटी में 26 हजार से अधिक लैंडलाइन फोन काम कर रहे हैं. कंसल ने कहा, 'हमने 29 और टेलीफोन एक्सचेंज खोलने का फैसला किया है. इस तरह कुल 95 एक्सचेंज में से अब 76 संचालित हो रहे हैं.'
अधिकारियों ने हालांकि कहा कि सोमवार को लगातार 29वें दिन आम जनजीवन प्रभावित रहा. दुकानें बंद रहीं और सड़कों से सार्वजनिक वाहन नदारद रहे.
श्रीनगर के कई इलाकों में निजी वाहनों की आवाजाही दिखी. शहर के सिविल लाइन इलाकों में कुछ रेहड़ी वालों ने अपनी दुकानें लगाई.
पांच अगस्त को केंद्र की ओर से अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के बाद से मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं.