हैदराबाद : सिंचाई समेत सभी क्षेत्रों में जल की मांग बढ़ रही है किन्तु जल की आपूर्ति सीमित है. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से भी खतरा है क्योंकि उनसे जल संसाधनों की उपलब्धता और भी कम हो जाएगी. जल स्रोतों, भूमिगत जल और सतही जल के दूषित होने से इस्तेमाल के लायक जल की उपलब्धता और कम हो जाती है.
बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जल का संरक्षण करने और सभी क्षेत्रों में जल को दूषित होने से बचाने की आवश्यकता है. इसके अलावा सभी क्षेत्रों में जल के प्रयोग की दक्षता बढ़ाने की भी जरूरत है. सिंचाई के लिए जल का जरूरत के अनुसार उपयोग के लिए ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी सीएसआईआरओ ने स्थानीय एग्रोटेक कंपनी Goanna Agwil से हाथ मिलाया है.
दोनों कंपनियां यह दावा कर रही हैं कि उनकी तकनीक इसका अनुमान लगाने में कारगर होगी कि फसलों को पानी की कितनी आवश्यकता है,
सीएसआईआरओ का एल्गोरिदम और मशीन का संयोजन अगले सात दिनों तक फसलों की पानी की आवश्यकता को निर्धारित करने में मदद करता है.
'वाटरवाइज' की स्मार्ट एनालिटिक्स को Goanna Ag द्वारा डेटा स्ट्रीम के रूप में किसानों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे वे यह अनुमान लगाने में सक्षम होंगे कि फसल को सिंचाई की जरूरत है या नहीं.
यह तकनीक पानी बचाने या प्रति बूंद अधिक फसल पैदा करने में योगदान देने के लिए तैयार की जा रही है.
जल का समुचित उपयोग करने के लिए फार्म सेंसिंग सिस्टम का निर्माण करने वाली Goanna Ag कंपनी अपने ऑन-फार्म ग्राहकों को डेटा स्ट्रीम के रूप में 'वाटरवाइज' की स्मार्ट एनालिटिक्स प्रदान करेगी.
अगली पीढ़ी के लिए उन्नत खेती की तकनीक विकसित करने के लिए साल 2018 में Goanna Ag की स्थापना की गई थी, जो जल संसाधन प्रबंधन और दक्षतापूर्ण उपयोग में सुधार के लिए डेटा-संचालित समाधान प्रदान करती है.
'वाटरवाइज' टीम लीडर डी रोज ब्रोड्रिक के अनुसार, वास्तविक सफलता विज्ञान है. मनुष्यों की तरह, पौधों के लिए एक अनुकूल तापमान होता है. जब चीजें सामान्य होती हैं तो भविष्यवाणी करना आसान होता है कि पौधे को पानी की आवश्यकता कब होगी. लेकिन जब परिस्थितियां बदलती हैं, जैसे नई फसल, नया खेत या असामान्य रूप से गर्म या सर्द मौसम का पूर्वानुमान लगाना कठिन काम होता है. इसलिए किसानों को उचित निर्णय लेने में मदद की आवश्यकता पड़ती है.
सीएसआईआरओ की इस उपलब्धि में भौतिकविदों, डेटा लर्निंग और मशीन लर्निंग एक्सपर्ट्स, सॉफ्टवेयर इंजीनियर्य, सामाजिक वैज्ञानिकों और कृषिविदों की टीम शामिल है. Goanna Ag को उम्मीद है कि यह तकनीक किसानों के लिए जल्द ही उपलब्ध होगी.