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ऐसा हुआ तो गिर जाएगी कमलनाथ सरकार ?

मध्यप्रदेश में राजनीतिक पारा चरम पर है. कांग्रेस के 17 विधायक बेंगलुरु चले गए हैं. ऐसे में अल्प बहुमत वाली कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा गया है. अगर ये विधायक वापस सरकार का समर्थन करने नहीं आए, तो सरकार गिर सकती है. भाजपा ने वैसे तो इसे कांग्रेस का अंदरूनी मामला बताया है, लेकिन उसने खुद भी तैयारी कर रखी है. होली बाद भाजपा इस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है. हालांकि, अभी पूरी तरह से यह स्थिति साफ नहीं हो पाई है कि कौन विधायक किस तरफ है. पढ़ें पूरी खबर....

कमलनाथ सरकार
कमलनाथ सरकार
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Published : Mar 9, 2020, 10:32 PM IST

नई दिल्ली : मध्यप्रदेश में सियासी संकट गहरा गया है. कमलनाथ सरकार के गिरने की नौबत आ पहुंची है. उनके 17 विधायक बेंगलुरु जा चुके हैं. इस राजनीतिक उठा-पटक के केन्द्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया बताए जा रहे हैं. हालांकि, उनकी ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है. उनके नाम से तरह-तरह की खबरें चल रही हैं.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया एक दिन पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गए थे, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया. कहा जाता है कि इससे सिंधिया बहुत ही क्षुब्ध थे. इस रिपोर्ट के अनुसार सिंधिया की मांग है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ राज्यसभा की सीट मिलनी चाहिए.

इस दांव-पेंच के लिए यह जानना जरूरी है कि राज्य विधानसभा की अभी क्या स्थिति है. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीट हैं. इसमें से जौरा और आगर विधानसभा के विधायक का निधन हो गया है. इसलिए विधानसभा में 228 विधायक ही बचे हैं. कांग्रेस विधायक हरदीप डांग पद से इस्तीफा दे चुके हैं. उनका इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है. बहुमत के लिए वर्तमान में 115 विधायक की जरूरत है. कांग्रेस के पास कुल 114 विधायक हैं. उसे दो बसपा और एक सपा विधायक का समर्थन है. चार निर्दलीय भी कमलनाथ सरकार के साथ हैं. इस संख्या को जोड़ दें, तो उनके पक्ष में 121 विधायक दिख पड़ते हैं.

पर, कांग्रेस के 17 विधायक गायब हैं. ये सभी विधायक बेंगलुरु में एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं. कर्नाटक में भाजपा की सरकार है. और भाजपा होली बाद 16 मार्च को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है.

पढ़ें : इन विधायकों पर टिका मध्य प्रदेश सरकार का भविष्य

भाजपा के पास 107 विधायक हैं. यदि कांग्रेस के 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए, तो भाजपा की सरकार बन सकती है. यदि 10 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, तो एमपी विधानसभा में विधायकों की संख्या 218 हो जाएगी. बहुमत के लिए मात्र 110 विधायकों की जरूरत होगी. जाहिर है, अभी निश्चिंतता के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. सबकुछ विधायकों के रूक पर निर्भर करता है.

कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा जाने के कारण निर्दलीय विधायक सुरेंद्र शेरा ने अपने को गृह मंत्री बनाने की मांग कर दी है.

पढ़ें : एमपी में सियासी नाटक जारी : कांग्रेस की आपातकालीन बैठक

आपको बता दें कि तीन मार्च को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि भाजपा कांग्रेस विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है.

उसके कुछ देर बाद ही मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली के रवाना हुए और कुछ देर बाद फिर पता चला कि उनके साथ कांग्रेस के दो मंत्री भी मौजूद हैं. दिल्ली से मिली सूचना के मुताबिक वहां पर पहले से ही कांग्रेस के आठ विधायक मौजूद थे. हालांकि, तब ये भी खबर आई कि सभी विधायक वापस लौट गए.

विधायक बिसाहू लाल साहू के परिवार वालों ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. भाजपा के भी दो विधायक कमलनाथ से मिलने चले गए.

नई दिल्ली : मध्यप्रदेश में सियासी संकट गहरा गया है. कमलनाथ सरकार के गिरने की नौबत आ पहुंची है. उनके 17 विधायक बेंगलुरु जा चुके हैं. इस राजनीतिक उठा-पटक के केन्द्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया बताए जा रहे हैं. हालांकि, उनकी ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है. उनके नाम से तरह-तरह की खबरें चल रही हैं.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया एक दिन पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गए थे, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया. कहा जाता है कि इससे सिंधिया बहुत ही क्षुब्ध थे. इस रिपोर्ट के अनुसार सिंधिया की मांग है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ राज्यसभा की सीट मिलनी चाहिए.

इस दांव-पेंच के लिए यह जानना जरूरी है कि राज्य विधानसभा की अभी क्या स्थिति है. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीट हैं. इसमें से जौरा और आगर विधानसभा के विधायक का निधन हो गया है. इसलिए विधानसभा में 228 विधायक ही बचे हैं. कांग्रेस विधायक हरदीप डांग पद से इस्तीफा दे चुके हैं. उनका इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है. बहुमत के लिए वर्तमान में 115 विधायक की जरूरत है. कांग्रेस के पास कुल 114 विधायक हैं. उसे दो बसपा और एक सपा विधायक का समर्थन है. चार निर्दलीय भी कमलनाथ सरकार के साथ हैं. इस संख्या को जोड़ दें, तो उनके पक्ष में 121 विधायक दिख पड़ते हैं.

पर, कांग्रेस के 17 विधायक गायब हैं. ये सभी विधायक बेंगलुरु में एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं. कर्नाटक में भाजपा की सरकार है. और भाजपा होली बाद 16 मार्च को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है.

पढ़ें : इन विधायकों पर टिका मध्य प्रदेश सरकार का भविष्य

भाजपा के पास 107 विधायक हैं. यदि कांग्रेस के 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए, तो भाजपा की सरकार बन सकती है. यदि 10 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, तो एमपी विधानसभा में विधायकों की संख्या 218 हो जाएगी. बहुमत के लिए मात्र 110 विधायकों की जरूरत होगी. जाहिर है, अभी निश्चिंतता के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. सबकुछ विधायकों के रूक पर निर्भर करता है.

कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा जाने के कारण निर्दलीय विधायक सुरेंद्र शेरा ने अपने को गृह मंत्री बनाने की मांग कर दी है.

पढ़ें : एमपी में सियासी नाटक जारी : कांग्रेस की आपातकालीन बैठक

आपको बता दें कि तीन मार्च को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि भाजपा कांग्रेस विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है.

उसके कुछ देर बाद ही मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली के रवाना हुए और कुछ देर बाद फिर पता चला कि उनके साथ कांग्रेस के दो मंत्री भी मौजूद हैं. दिल्ली से मिली सूचना के मुताबिक वहां पर पहले से ही कांग्रेस के आठ विधायक मौजूद थे. हालांकि, तब ये भी खबर आई कि सभी विधायक वापस लौट गए.

विधायक बिसाहू लाल साहू के परिवार वालों ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. भाजपा के भी दो विधायक कमलनाथ से मिलने चले गए.

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