नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने बुधवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की तीखी आलोचना की है. केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति की बैठक में हिस्सा नहीं लिया, यह बैठक दूरसंचार सेवाओं, इंटरनेट के निलंबन और इसके प्रभाव पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी.
सीपीआईएम के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा कि नौकरशाहों द्वारा लगातार सरकार चलाई जा रही है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि संसदीय समिति की बैठक में भाग लेने या न लेने का फैसला नौकरशाह करते हैं. यह पूरी तरह से निंदनीय है.
उन्होंने कहा कि तानाशाही सरकार एक तरफ है, संसदीय समिति किसी मुद्दे को लेकर बैठक आयोजित करती है, तो इसका फैसला नौकरशाह करेंगे की बैठक में कौन हिस्सा लेगा कौन नहीं. यह आरएसएस की मानसिकता है, जो नौकरशाही में भी फैल गई है.
बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर संसद की स्थायी समिति की बैठक बुधवार को कांग्रेस के सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में हुई. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला बैठक में शामिल नहीं हुए.
अजय भल्ला ने व्यापार के नियम 270 का हवाला दिया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले पर चर्चा की अनुमति नहीं देता है. थरूर को पत्र के माध्यम से सूचित किया कि वह बैठक में भाग नहीं लेंगे.
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इस मुद्दे पर सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों के सदस्यों में आरोप-प्रत्यारोप के कारण बैठक काफी हंगामेदार रही. बैठक में जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध का मुद्दा उठने पर भाजपा और अन्य सदस्यों में तीखी बहस हुई.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में मौजूद भाजपा सदस्यों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे का हवाला देते हुए जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट कनेक्टिविटी के विषय पर चर्चा का विरोध किया. भाजपा सांसदों ने बार-बार उस विषय पर वोट की मांग की, जो समिति के अध्यक्ष थरूर द्वारा लाया गया था.
इससे पहले भी कई मामलों में समिति ने जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट और संचार सेवाओं पर विशेष रूप से इस मुद्दे पर चर्चा की है.