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महागठबंधन में सीटों के बंटवारे से सीपीएम खुश, जीत का कर रही दावा

बिहार विधानसभा चुनाव में आज महागठबंधन ने सीटों के बंटवारे की घोषणा कर दी है. राजद के तेजस्वी यादव को बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया गया है. सीट बंटवारें में वाम दलों के हिस्से में 29 सीटें आईं हैं.

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सीपीएम
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Published : Oct 3, 2020, 9:52 PM IST

Updated : Oct 3, 2020, 11:04 PM IST

नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव में आज महागठबंधन ने सीटों के बंटवारे का एलान कर दिया. वाम दलों के हिस्से में 29 सीटें आईं हैं. बिहार में मुख्य रूप से सीपीएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) तीन वामपंथी दल हैं. वामपंथी दलों का अच्छा कैडर बेस बिहार में मौजूद है. पिछले विधानसभा चुनाव में लेफ्ट पार्टियों ने अलग मोर्चा बना कर चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. लोक सभा चुनाव 2019 में तो लेफ्ट पार्टियां भी एक-दूसरे से अलग हो गईं और एक-दूसरे के खिलाफ ही उम्मीदवार उतार दिए. इसके कारण एक बार फिर उनका खाता नहीं खुल सका.

वामपंथी दलों का 29 सीटों पर चुनाव लड़ना तय

पिछले चुनावों से सीख लेते हुए इस बार तीनों लेफ्ट पार्टियों ने महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया. अब सीट बंटवारे की घोषणा के बाद उनका 29 सीटों पर चुनाव लड़ना तय हो गया है. इनमें से सीपीएम 4, सीपीआई 6 और सीपीआई एमएल 19 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वामपंथी दलों के महागठबंधन के साथ आने से न केवल महागठबंधन को मजबूती मिली है, बल्कि यह भी कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

विभूतिपुर, मटिहानी, पीपरा और मांझी विधानसभा सीट पर लड़ेगी सीपीएम

ईटीवी भारत से बातचीत में सीपीएम के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रभारी हनन मोल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी. सीपीआई ने 20 सीटें और सीपीआई एमएल ने 30 सीटों की मांग की थी, लेकिन जब तीनों पार्टियों की बैठक दिल्ली में हुई, तब यह भी तय किया गया था कि सीटों के लिए कोई मतभेद नहीं करेंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे. अब यह निर्णय लिया गया है कि जो पार्टी जहां मजबूत स्थिति में है, वह वहां अपने उम्मीदवार उतारेगी. सीपीएम समस्तीपुर जिला के विभूतिपुर विधानसभा सीट, बेगूसराय के मटिहानी, पूर्वी चंपारण के पीपरा और सारण के मांझी विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.

महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने से बेहतर नतीजे आएंगे

हनन मोल्ला मानते हैं कि इस बार सभी लेफ्ट पार्टियों के साथ आकर महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने से बेहतर नतीजे आएंगे. लेफ्ट पार्टियों को साथ लाने में सीपीएम की भूमिका अहम रही है. लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाने के लिए जो बैठक हुई थी, उसमें यह तय किया गया था कि सभी दल एक साथ चुनाव में जाएंगे और सीटों की संख्या के कारण इस गठबंधन को नहीं तोड़ेंगे.

इस बार बिहार में बदलाव लाने में सक्षम होंगे

सीपीआई के महासचिव डी राजा ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में यह स्पष्ट कहा था कि उनके पार्टी का मुख्य लक्ष्य एनडीए को हराना होगा. हनन मोल्ला का कहना है कि लेफ्ट पार्टी का कैडर चुनाव में महत्वपूर्ण साबित होता है और वोट ट्रांसफर करने में सक्षम हैं. इसका फायदा महागठबंधन को निश्चित रूप से मिलेगा. इस बार बिहार में बदलाव लाने में वह सक्षम होंगे. दूसरी तरफ लोजपा के एनडीए से बाहर जाने की खबरों पर सीपीएम नेता ने कहा कि निश्चित रूप से एनडीए को इसका नुकसान होगा.

नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव में आज महागठबंधन ने सीटों के बंटवारे का एलान कर दिया. वाम दलों के हिस्से में 29 सीटें आईं हैं. बिहार में मुख्य रूप से सीपीएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) तीन वामपंथी दल हैं. वामपंथी दलों का अच्छा कैडर बेस बिहार में मौजूद है. पिछले विधानसभा चुनाव में लेफ्ट पार्टियों ने अलग मोर्चा बना कर चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. लोक सभा चुनाव 2019 में तो लेफ्ट पार्टियां भी एक-दूसरे से अलग हो गईं और एक-दूसरे के खिलाफ ही उम्मीदवार उतार दिए. इसके कारण एक बार फिर उनका खाता नहीं खुल सका.

वामपंथी दलों का 29 सीटों पर चुनाव लड़ना तय

पिछले चुनावों से सीख लेते हुए इस बार तीनों लेफ्ट पार्टियों ने महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया. अब सीट बंटवारे की घोषणा के बाद उनका 29 सीटों पर चुनाव लड़ना तय हो गया है. इनमें से सीपीएम 4, सीपीआई 6 और सीपीआई एमएल 19 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वामपंथी दलों के महागठबंधन के साथ आने से न केवल महागठबंधन को मजबूती मिली है, बल्कि यह भी कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

विभूतिपुर, मटिहानी, पीपरा और मांझी विधानसभा सीट पर लड़ेगी सीपीएम

ईटीवी भारत से बातचीत में सीपीएम के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रभारी हनन मोल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी. सीपीआई ने 20 सीटें और सीपीआई एमएल ने 30 सीटों की मांग की थी, लेकिन जब तीनों पार्टियों की बैठक दिल्ली में हुई, तब यह भी तय किया गया था कि सीटों के लिए कोई मतभेद नहीं करेंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे. अब यह निर्णय लिया गया है कि जो पार्टी जहां मजबूत स्थिति में है, वह वहां अपने उम्मीदवार उतारेगी. सीपीएम समस्तीपुर जिला के विभूतिपुर विधानसभा सीट, बेगूसराय के मटिहानी, पूर्वी चंपारण के पीपरा और सारण के मांझी विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.

महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने से बेहतर नतीजे आएंगे

हनन मोल्ला मानते हैं कि इस बार सभी लेफ्ट पार्टियों के साथ आकर महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने से बेहतर नतीजे आएंगे. लेफ्ट पार्टियों को साथ लाने में सीपीएम की भूमिका अहम रही है. लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाने के लिए जो बैठक हुई थी, उसमें यह तय किया गया था कि सभी दल एक साथ चुनाव में जाएंगे और सीटों की संख्या के कारण इस गठबंधन को नहीं तोड़ेंगे.

इस बार बिहार में बदलाव लाने में सक्षम होंगे

सीपीआई के महासचिव डी राजा ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में यह स्पष्ट कहा था कि उनके पार्टी का मुख्य लक्ष्य एनडीए को हराना होगा. हनन मोल्ला का कहना है कि लेफ्ट पार्टी का कैडर चुनाव में महत्वपूर्ण साबित होता है और वोट ट्रांसफर करने में सक्षम हैं. इसका फायदा महागठबंधन को निश्चित रूप से मिलेगा. इस बार बिहार में बदलाव लाने में वह सक्षम होंगे. दूसरी तरफ लोजपा के एनडीए से बाहर जाने की खबरों पर सीपीएम नेता ने कहा कि निश्चित रूप से एनडीए को इसका नुकसान होगा.

Last Updated : Oct 3, 2020, 11:04 PM IST
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