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मध्य सितंबर में चरम पर पहुंच सकते हैं कोविड-19 के मामले

कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि भारत में कोविड-19 के मामले मध्य सितंबर में चरम पर पहुंच सकते हैं. इस वायरस को खासतौर पर गांवों में फैलने से रोकने होगा, जहां देश की दो-तिहाई आबादी रहती है.

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Published : Jul 19, 2020, 7:48 AM IST

Updated : Jul 19, 2020, 8:00 AM IST

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बेंगलुरु : भारत में कोरोना वायरस बड़ी तेजी से पैर पसार रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोविड-19 के मामले मध्य सितंबर में चरम पर पहुंच सकते हैं. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि अब इस वायरस को खासतौर पर गांवों में फैलने से रोकने होगा, जहां देश की दो-तिहाई आबादी रहती है.

उन्होंने यह चिंता भी जताई कि अब यह वायरस कहीं अधिक तेजी से फैल रहा है. भारत में इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना संक्रमण के मामले 10 लाख के आंकड़े को पार कर गए. वहीं इस महामारी से मरने वालों की संख्या 25,000 से अधिक हो चुकी है.

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, हम इसे खतरनाक स्तर पर पहुंचने से रोक सकते थे, लेकिन अभी भी हमे अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करने की जरुरत है.

रेड्डी ने कोविड-19 के मामले बढ़ने के बारे में कहा, अलग-अलग स्थानों (राज्यों) में संक्रमण के अपने चरम पर पहुंचने का समय अलग-अलग होगा.

पढ़ें- कोविड-19 : एम्स में सोमवार से शुरू होगा 'कोवैक्सीन' का मानव परीक्षण

उन्होंने कहा कि यदि लोग मास्क पहनने के साथ सामाजिक दूरी का पालन कर तो, कोविड-19 के मामले कम से कम दो महीने में अपने चरम पर होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के माामलों का चरम पर होना लोगों के व्यवहार और सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों पर निर्भर करता है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हृदय रोग विभागाध्यक्ष रह चुके रेड्डी ने कहा कि दूसरे चरण के लॉकडाउन तक नियंत्रण के उपाय बहुत सख्त थे, भारत ने वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने की कोशिश की.

उन्होंने कहा कि लेकिन तीन मई के बाद, जब पाबंदियों में छूट देना शुरू किया गया, तब घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना, शीघ्र जांच करना और संक्रमितों को पृथक रखना तथा संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों का जोरशोर से पता लगाना सहित अन्य उपाय बरकरार रखे जाने चाहिए थे.

पढ़ें- देखिए, चार राज्यों में कोरोना संक्रमित हाई-प्रोफाइल लोगों की लिस्ट

उनके मुताबिक, वे सभी एहतियात जन स्वास्थ्य उपाय, सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार संबंधी व्यक्तिगत एहतियाती उपाय तब से नजर अंदाज किए जाने लगे और लॉकडाउन पूरी तरह से हटने के बाद वे और अधिक नजर अंदाज कर दिए गए.

उन्होंने कहा कि यह ऐसा नजर आया कि हम अचानक ही आजाद हो गए. उन्होंने कहा हमने बहुत अधिक समय अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता पर बिताया. यह भी जरूरी था, लेकिन संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने का पूरा कार्य पुलिसकर्मियों पर छोड़ दिया गया, जबकि इसे जन स्वास्थ्य कार्य के रूप में नहीं देखा गया.

उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य कार्य अब वायरस को ग्रामीण इलाकों में फैलने से रोकने का होना चाहिए. छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को अवश्य ही यथासंभव बचाना चाहिए. क्योंकि वहां दो-तिहाई भारत रहता है. यदि हम इसे रोक सकें, तो हम अभी भी नुकसान को टाल सकते हैं.

बेंगलुरु : भारत में कोरोना वायरस बड़ी तेजी से पैर पसार रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोविड-19 के मामले मध्य सितंबर में चरम पर पहुंच सकते हैं. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि अब इस वायरस को खासतौर पर गांवों में फैलने से रोकने होगा, जहां देश की दो-तिहाई आबादी रहती है.

उन्होंने यह चिंता भी जताई कि अब यह वायरस कहीं अधिक तेजी से फैल रहा है. भारत में इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना संक्रमण के मामले 10 लाख के आंकड़े को पार कर गए. वहीं इस महामारी से मरने वालों की संख्या 25,000 से अधिक हो चुकी है.

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, हम इसे खतरनाक स्तर पर पहुंचने से रोक सकते थे, लेकिन अभी भी हमे अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करने की जरुरत है.

रेड्डी ने कोविड-19 के मामले बढ़ने के बारे में कहा, अलग-अलग स्थानों (राज्यों) में संक्रमण के अपने चरम पर पहुंचने का समय अलग-अलग होगा.

पढ़ें- कोविड-19 : एम्स में सोमवार से शुरू होगा 'कोवैक्सीन' का मानव परीक्षण

उन्होंने कहा कि यदि लोग मास्क पहनने के साथ सामाजिक दूरी का पालन कर तो, कोविड-19 के मामले कम से कम दो महीने में अपने चरम पर होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के माामलों का चरम पर होना लोगों के व्यवहार और सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों पर निर्भर करता है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हृदय रोग विभागाध्यक्ष रह चुके रेड्डी ने कहा कि दूसरे चरण के लॉकडाउन तक नियंत्रण के उपाय बहुत सख्त थे, भारत ने वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने की कोशिश की.

उन्होंने कहा कि लेकिन तीन मई के बाद, जब पाबंदियों में छूट देना शुरू किया गया, तब घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना, शीघ्र जांच करना और संक्रमितों को पृथक रखना तथा संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों का जोरशोर से पता लगाना सहित अन्य उपाय बरकरार रखे जाने चाहिए थे.

पढ़ें- देखिए, चार राज्यों में कोरोना संक्रमित हाई-प्रोफाइल लोगों की लिस्ट

उनके मुताबिक, वे सभी एहतियात जन स्वास्थ्य उपाय, सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार संबंधी व्यक्तिगत एहतियाती उपाय तब से नजर अंदाज किए जाने लगे और लॉकडाउन पूरी तरह से हटने के बाद वे और अधिक नजर अंदाज कर दिए गए.

उन्होंने कहा कि यह ऐसा नजर आया कि हम अचानक ही आजाद हो गए. उन्होंने कहा हमने बहुत अधिक समय अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता पर बिताया. यह भी जरूरी था, लेकिन संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने का पूरा कार्य पुलिसकर्मियों पर छोड़ दिया गया, जबकि इसे जन स्वास्थ्य कार्य के रूप में नहीं देखा गया.

उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य कार्य अब वायरस को ग्रामीण इलाकों में फैलने से रोकने का होना चाहिए. छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को अवश्य ही यथासंभव बचाना चाहिए. क्योंकि वहां दो-तिहाई भारत रहता है. यदि हम इसे रोक सकें, तो हम अभी भी नुकसान को टाल सकते हैं.

Last Updated : Jul 19, 2020, 8:00 AM IST
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